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उपलब्धि : असम और ओड़िसा के बाद बस्तर के दंतेवाड़ा में मिला अनोखी प्रजाति का सांप… यूरोपियन जर्नल के ताज़ा अंक में छपा नाम… देखिए इस सांप को…

इम्पेक्ट न्यूज़। दंतेवाड़ा।

छत्तीसगढ़ में दंतेवाड़ा जिले की बैलाडीला की पहाड़ियों में दुर्भल प्रजाति का एक सांप मिला है। इस सांप का नाम ‘लौडांकिया’ है। इससे पहले इंडिया में यह असम और ओडिशा में मिल चुका है। छत्तीसगढ़ में यह सांप पहली बार मिला है। वन विभाग और प्राणी संरक्षण कल्याण समिति ने इस सांप को सुरक्षित रूप से जंगल में छोड़ दिया है। अब इस सांप को लेकर शोध करने की तैयारी है। इस संबंध में दंतेवाड़ा का ज़िक्र करते यूरोपियन जर्नल में यह प्रकाशित किया गया है।

प्राणी संरक्षण कल्याण समिति के सदस्य अमित मिश्रा ने cg impact से बातचीत में बताया कि, बैलाडीला की पहाड़ी में NMDC के स्क्रीनिंग प्लांट में यह सांप मिला है।

ये एक वाइन स्नैक है। पूरे भारत में वाइन स्नैक की करीब 7 से 8 प्रजाति है। लेकिन, ये बिल्कुल दुर्लभ प्रजाति का है। जब इसका आकार, खूबसूरती अन्य वाइन स्नैक से मैच नहीं हुए तो इसकी जांच के लिए तस्वीरें स्पेशलिस्ट के पास भेजी गई थी।

साल 2019 में पहली बार हुई पहचान
जहां से इसकी पहचान लौडांकिया वाइन स्नैक के रूप में हुई। खास बात है कि, वाइन स्नैक की यह बेहद ही नायाब प्रजाति है। पूरे भारत में यह पहली बार साल 2019 में सिर्फ असम और ओडिशा में मिला था। जिसके बाद अब छत्तीसगढ़ में मिला है।

इसकी जानकारी मिलते ही वन विभाग को इस नए प्रजाति के बारे में बताया गया। बैलाडीला की पहाड़ी में इनकी संख्या कितनी है, माइनिंग इलाके में ये सेफ हैं या नहीं इसपर शोध किया जा रहा है।

यह है खासियत
इस सांप की लंबाई करीब चार से साढ़े चार फीट की होती है। रंग हल्का भूरा होता है। इसकी पहचान इसके सिर से होती है, जो थोड़ा नुकीला आकार का होता है। यदि साइड एंगल से देखे तो एक तीर के सामने वाले हिस्से की तरह होता है। इस सांप में जहर कम होता है। यह बेहद खूबसूरत और आकर्षक है। ये अमूमन पेड़ों पर पाए जाते हैं। छोटे कीड़े, छिपकली, बर्ड्स एग ये इनके मुख्य आहार होते हैं। यदि ये किसी इंसान को काट ले तो मौत के चांस कम होते हैं।

अब तक 20 हजार सांप पकड़कर जंगल में छोड़े
अमित मिश्रा ने बताया कि, प्राणी संरक्षण कल्याण समिति का गठन करीब 4 से 5 साल पहले हुआ था। इससे पहले इंडिविजुअल वे सांपों के रेस्क्यू करते और जंगल में छोड़ते थे। उन्होंने बताया कि, इस टीम में करीब 10 से 12 लोग हैं। जिले भर से अब तक करीब 15 से 20 हजार सांपों का रेस्क्यू कर उन्हें सुरक्षित जंगल में छोड़ा गया है।

इससे पहले भी मिल चुके हैं सांप

लगभग साल भर पहले बैलाडीला की पहाड़ी पर एक और दुर्लभ प्रजाति का सांप मिला था। इस सांप को ‘एरो हेडेड ट्रिंकेट’ के नाम से जाना जाता है। छत्तीसगढ़ में इस प्रजाति का पहला सांप मिला था। इससे पहले यह आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, झारखंड समेत गोवा के जंगल में मिले थे। यह भी बेहद ही दुर्लभ प्रजाति का सांप है। इसके दांतों में जहर बिल्कुल भी नहीं होता। यह अपने शिकार को दबोच कर मारता है। यदि यह किसी को काट ले तो कोई नुकसान नहीं होता है।