CG : बारदा आदिवासी बालिका छात्रावास का भवन निर्माण अधूरा… 6 साल से अटका हुआ है काम, छात्राओं को हो रही परेशानी…
इम्पैक्ट डेस्क.
कांकेर। जिले के आदिवासी बहुल क्षेत्र कोयलीबेड़ा विकास खण्ड के आश्रित ग्राम पंचायत बारदा में निर्माणाधीन आदिवासी बालिका छात्रावास का भवन अधूरा है। ग्रामीणों एवं छात्रो के मुताबिक पिछले 6 साल से यहां निर्माण कार्य प्रगति पर है। पर अब तक भवन निर्माण पूर्ण नहीं हुआ है जबकि यह बारदा ग्राम पखांजुर से लगभग 10 किलोमीटर पर स्थित हैं जो ब्लाक के मुख्य कार्यालय से निकट्म होते हुए भी इस भवन निर्माण कार्य में इतने धीमी है इस से आन्दाजा लगाया जा सकता है कि और अन्दर आदिवासी ग्रामीणॊ की विकास हेतु बनने वाले स्कूल एवं छात्रावासॊ की क्या हालत होगी सभी जन प्रतिनिधि एवं विकास खण्ड के सभी आधिकारी अधिकतर इस छात्रावास के निकट ही ब्लाक मुख्य कार्यालय पखांजुर में रहते है आदिवासी छात्राओं की पढ़ाई लिखाई और रहने के लिए सर्वसुविधायुक्त भवन नहीं है।
आदिवासी छात्र युवा संगठन ने अपनी पड़ताल में बताया की बीते 2017-18 से निर्माणधीन छात्रावास भवन छ: साल से आदिवासी छात्राओं के लिए नया भवन निर्माण किया जा रहा है। यह निर्माण कार्य 6 साल से ठप्प हो गया है। आदिवासी विकास विभाग और जिला प्रशासन के अलावा यहां के जनप्रतिनिधियों को पुरासत नहीं । सरकार बड़े बड़े विकास की दावे तो करती है पर सरकार विकास के दावे कागजों पर ही दम तोड़ रहें हैं। गांववालों का यह भी कहना है कि बारदा में एक आदिवासी बालिका छात्रावास है जहां पीने के पानी की समस्या से छात्राओं को जूझना पड़ रहा है। हाल ही कुछ दिनों पहले एक बोर खनन के लिए एक बोर गाडी आयी थी वो भी खनन पूर्ण नहीं हुआ अधे अधुरा खनन कर दुबारा 2 महीने बाद पुनः आने की चर्चा सहुलियत देकर चल दिया गाड़ी वो भी आज तक छात्रावास में नहीं दिखा है 50 सीट वाले इस छात्रावास में अब 14 छात्राओं को ही रख कर अधिक्षीका को छात्रावास संचालन करना पड़ रहा है।
अधिक्षीका ने बतायी की यहाँ बहुत दूरांचल , वनांचल एवं अति संवेदनशील इलाकों से छात्राए इस छात्रावास में प्रवेश लेने आते हैं लेकिन भवन नहीं होने पर इस से अधिक छात्राओ को प्रवेशित नहीं कर पाते हैं । उन्होंने बोर खनन की मांग की है, क्योंकि हैंडपंप गर्मी के दिनों में खराब ही रहता है। अधिक्षीका ने माँग कियी की एक गार्ड की होना जरुरी है कभी कभी अपनी कार्यलय के काम के लिए छात्रावास से छात्राओ को छोड़ कर जाना होता है इस लिए एक गार्ड की मांग किए है साथ ही सब छात्राओ ने जल्द से जल्द भवन निर्माण पूर्ण करने की मांग रखे | जिससे आदिवासी छात्राओ को पढ़ाई लिखाई करने में दिक्कतॊ का सामना करना न पड़ॆ.
ऐसे में आदिवासी लड़कियों की पढ़ाई लिखाई और उनके जीवन स्तर का अंदाजा लगा पाना आसान है। नागरिक जीवन की सुविधाओं के बगैर ये बच्चे अपना भविष्य गढ़ने मेहनत कर रहें हैं। जरूरत इस बात की है कि आदिवासियों की बेहतरी के लिए काम करने का दावा करने वाला आदिवासी विकास विभाग और स्थानीय प्रशासन के साथ जनप्रतिनिधि भी अपनी जिम्मेदारी निभाये और छात्रावासों की हालत देखें।
हॉस्टल में व्यवस्था दुरुस्त करने आदिवासी छात्र युवा संगठन लगातार कर रहा है प्रयास। जो लगातार शिक्षा के लिए काम कर रही है ।इस मौके पर अध्यक्ष राजेश नुरूटी, सोमा नुरूटी, निखिलेश नाग, लक्षमण मंडावी, भुमिका नवगो, काजल पोयॊ, रुखमी जुर्री, बबलू कोवाची, अजय कड़ीयाम ने दौरा कर छात्राओं से बातचीत की और समास्याओ की जानकारी ली |