कार्यकर्ताओं की बदौलत मिली थी जीत, विधायक विक्रम मुगालते में ना रहे : अजय…
पार्टी से निष्काष्ति युवा आयोग सदस्य का छलका दर्द, लगाया आरोप- जनता का हित भूला चहेतों को ठेका बांट साध रहे अपना हित, वास्तविकता को लेकर मुख्यमंत्री भी गंभीर नहीं…
इम्पैक्ट डेस्क.
बीजापुर। सालभर बाद होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले बीजापुर जिला कांग्रेस में मतभेद खुलकर बाहर आ रहे हैं। पार्टी से निष्कासित प्रदेश युवा आयोग के सदस्य अजय सिंह ने एक बार फिर क्षेत्र के विधायक विक्रम मंडावी पर जुबानी प्रहार किया है। सोशल मीडिया पर जारी अपने बयान में अजय का कहना है कि विपक्ष में रहने के दौरान जमीनी स्तर पर पार्टी के लिए उनकी मेहनत किसी से छिपी नहीं है। अजय के मुताबिक बीजापुर विधानसभा सीट पर 2008 के बाद पूरी तरह से बीजेपी काबिज हो गई थी। कांग्रेस के कद्दावर नेता राजेंद्र पामभोई के हाँथ से सीट फिसल कर भाजपा की झोली में आ गई और महेश गागड़ा विधायक बन गए। लगातार दो बार विधायक चुने गये , साथ ही संसदीय सचिव फिर दूसरी बार वर्ष 2013 के चुनाव में विक्रम मंडावी को परास्त कर कैबिनेट के मंत्री पद पर अपनी जगह बना ली ।
अजय का कहना है कि लगातार दो बार कांग्रेस की पराजय के बाद मानो इस सीट को हासिल करना कांग्रेस और क्षेत्रीय नेताओं के लिए कठिन चुनौती थी, बावजूद सभी कार्यकर्ताओं ने पार्टी के प्रति पूरी निष्ठा के साथ काम किया और अंदरूनी ग्रामीण क्षेत्रों में पहुँच कर एक-एक वोट हासिल किया, लेकिन सत्तासीन होते ही विजयी में भागीदारी जमीनी कार्यकर्ताओं को तरजीह कम दी जाने लगी। अब शायद पार्टी को जुझारु कार्यकर्ताओ की आवश्यकता नहीं है। अजय का आरोप है कि क्षेत्रीय विधायक अपनी मनमानी करने में लगे हुए हैं। सत्ता में आने से पहले जो वायदे जनता से किए गए थे, उस पर विधायक खड़े नहीं उतरे। विधायक चंद ठेकेदारों के हितैषी बन बैठे। जो सरकारी निर्माण कार्यों का ठेका अपने चेहेतों को बांट रहे हैं।
अपने बयान में विधायक को चेताते अजय ने कहा है कि विक्रम मंडावी को यह कदापि नहीं भूलना चाहिए कि वे आज जिस ओहदे पर है वह कार्यकर्ताओं की मेहनत की बदौलत है। विधायक इस गलत फहमी में ना रहे कि यह उनके अकेले परिश्रम का फल है। युवा आयोग सदस्य का यह भी कहना है कि उन्हें खेद है कि उन्होंने विधायक की कार्यशैली के खिलाफ आवाज उठाई, लेकिन अफसोस कि मुख्यमंत्री ने उनकी एक ना सुनी। इस संदर्भ में मुख्यमंत्री से मिलने की कई बार कोशिश की गई, उनके सचिव को पत्र लिखा, व्यक्तिगत मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को वाट्सअप में मैसेज किया, जिसका कोई जवाब नहीं आया । उन्हें लगता है मानो बीजापुर विधानसभा में पार्टी से केवल विधायक ही है अन्य कोई नेता या कार्यकर्ता नहीं । यहाँ तक की मुझे मुख्यमंत्री के कार्यक्रमों में प्रवेश की भी अनुमति नहीं है, जो बेहद निंदनीय है , बावजूद वे अभी भी कांग्रेस की विचार धाराओं पर चल रहे हैं, लेकिन विधायक निज स्वार्थ में आम जनता के हित को भूला बैठे हैं। उनका कहना है कि वे वही अजय है जिन्होंने विक्रम शाह मंडावी को जीत दिलाने बीजापुर विधानसभा में जमीन स्तर पर अपनी ताकत झोंक दी थी । इस बात का ज़िक्र करना वे आवष्यक समझते हैं, क्यों कि विक्रम शाह मंडावी , बस्तर संभाग क्षेत्र के कद्दावर नेता कहे जाने वाले बीजेपी से महेश गागड़ा का सामना एक बार कर चुके थे और इस दौरान उन्हें 9 हजार से अधिक मतों से बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा था।
विधानसभा चुनाव में हर संभव जीत हासिल करने के लिए कांग्रेस हाई कमान उन चेहरों की तलाश में थी जो पार्टी में रहकर क्षेत्र में जमीनी पकड़ बनाए हुए थे और जीत हासिल करने की काबलियत रखते हैं। उन्हें टिकट दिया जा रहा था, ऐसे में हारे हुए प्रत्याशियों को टिकट देना यानी लंगड़े घोड़े को रेस में उतार कर दांव लगाने का बड़ा रिस्क कांग्रेस आलाकमान 2018-19 के चुनाव में नहीं लेना चाहती थी। तमाम परिस्थिति को देखते हुए दूसरी बार विक्रम मंडावी को कांग्रेस से टिकट मिलना नामुमकिन था । बीजापुर के राजनीतिक गलियारों में कहा जाता है कि विक्रम मंडावी की 2018-19 के विधान सभा चुनाव में टिकट कटने की सुगबुगाहट लगते ही अजय सिंह ने उनके टिकट के लिए दिल्ली तक दौड़ लगाई थी ।