कान्स फिल्म फेस्टिवल : 2 भाइयों पर बनी ‘ऑल दैट ब्रीथ्स’ डॉक्यूमेंट्री को मिला गोल्डन आई पुरस्कार… अब तक 23 हजार से अधिक पक्षियों का कर चुके हैं इलाज किया…
इम्पैक्ट डेस्क.
दिल्ली के वजीराबाद निवासी दो भाइयों के जीवन पर बनी डॉक्यूमेंट्री को अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिला है। दिल्ली के फिल्म निर्माता शौनक सेन की डॉक्यूमेंट्री ‘ऑल दैट ब्रीथ्स’ (All That Breathes) को लुइडियो पुरस्कार दिया गया है। इसे गोल्डन आई पुरस्कार के नाम से भी जाना जाता है।
2015 में फ्रांसीसी-भाषी लेखकों के समूह लास्कैम ने फ्रांस के कान्स फिल्म फेस्टिवल के साथ इसकी शुरुआत की थी। हाल में कान्स में विशेष स्क्रीनिंग के दौरान यह डॉक्यूमेंट्री दिखाई गई थी। इसमें मोहम्मद सऊद और नदीम शहबाज के जीवन को दर्शाया गया है, जो दिल्ली के एक गांव वजीराबाद में पक्षियों, विशेष रूप से काली चीलों को बचाते हैं और उनका इलाज करते हैं। निर्णायक मंडल ने 90 मिनट लंबी इस फिल्म को विजेता चुना। इस पुरस्कार के तहत विजेता को पांच हजार यूरो प्रदान किया जाता है।
लगभग 19 साल पहले नदीम शहजाद और मोहम्मद सऊद ने उत्तरी दिल्ली में अपने पुश्तैनी घर के पास चावड़ी बाजार की सड़कों पर एक काली चील को बचाया था।
फिल्म ने इस साल 28 जनवरी को वर्ल्ड सिनेमा डॉक्यूमेंट्री ग्रैंड जूरी पुरस्कार भी जीता है। जागरूकता फैलाने को wildliferescue.org.in और raptorrescue.org वेबसाइट भी विकसित की है।
पुरस्कार पाने वाले पक्षी प्रेमी मोहम्मद सऊद सोचा नहीं था यह फिल्म यहां तक पहुंच जाएगी। इस फिल्म में पूरी टीम ने बढ़िया काम किया है। मैं अभी लौटा हूं। फिल्म के निर्देशक और नदीम दूसरे फिल्म फेस्टिवल के लिए निकल गए हैं। हमारी कोशिश है कि अन्य लोग भी जागरूक हों और पक्षियों लिए कुछ बेहतर करने का प्रयास करें।
23 हजार से अधिक पक्षियों का इलाज किया
दोनों भाइयों ने 23,000 से अधिक पक्षियों का इलाज किया, जिनमें ज्यादातर शिकारी पक्षी थे। इसके अलावा, वजीराबाद में इन्होंने पक्षियों के लिए एक बचाव केंद्र भी बनवाया है। अभी केंद्र का खर्च दोनों भाई घर के बेसमेंट से चलने वाले साबुन-डिस्पेंसर के धंधे की कमाई से पूरा कर रहे हैं। नदीम शहजाद और मोहम्मद सऊद के घर की छत पर लगभग 300 पक्षी हैं।
सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि फिल्म निर्माता शौनक सेन को कान्स फिल्म फेस्टिवल में उनकी डॉक्यूमेंट्री ‘ऑल दैट ब्रीथ्स’ को लुइडियो पुरस्कार मिलने पर बधाई। मुझे यकीन है कि अन्य भारतीय डॉक्यूमेंट्री निर्माताओं को इससे प्रेरणा मिलेगी।