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चर्चा में है ये विधायक : जिस स्कूल में मां सफाईकर्मी, वहां मुख्य अतिथि बनकर पहुंचे, पूर्व सीएम को हराया था चुनाव…

इंपैक्ट डेस्क.

पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को हराने वाले लाभ सिंह उगोके फिर चर्चा में हैं। दरअसल, उनकी मां बलदेव कौर जिस स्कूल में पिछले 25 साल से सफाई कर्मचारी हैं, वहां लाभ सिंह मुख्य अतिथि बनकर पहुंचे। लाभ सिंह की मां का कहना है कि “यह बहुत गर्व की बात है, मुझे बहुत खुशी है कि मेरा बेटा विधायक बन गया है।” लाभ सिंह आम और मजदूर परिवार से संबंध रखते हैं। वह स्वयं एक मोबाइल रिपेयरिंग की दुकान पर काम करते रहे हैं जबकि उनके पिता ड्राइवर और माता सरकारी स्कूल में सफाई सेविका हैं।

लाभ सिंह ने चरणजीत सिंह चन्नी को 37000 से अधिक मतों के अंतर से विधानसभा चुनाव हराया था। मां बलदेव कौर का कहना है कि बेटा चाहे विधायक बन गया, परंतु उनका परिवार आज भी मेहनत की कमाई को ही प्रमुखता दे रहा है। लाभ सिंह की मां का कहना कि वह अपने कार्य को जारी रखेंगी। बड़ी कठिनाइयों और मुश्किलों के साथ उन्होंने अपने पुत्र लाभ को पढ़ाया लिखाया और बड़ा किया है। अब जब उनका बेटा विधायक बना है तो उनको इसकी बहुत ज्यादा खुशी है लेकिन वह अपनी ड्यूटी करती रहेंगी। ड्राइवरी कर गुजारा करने वाले विधायक लाभ सिंह उगोके के पिता दर्शन सिंह ने कहा कि बेटा विधायक बन गया है लेकिन हम दोनों अपना काम जारी रखेंगे और इसी कमाई से अपना घर चलाएंगे।

लाभ सिंह का एक साधारण परिवार है। दो कमरों के घर में रहने वाले लाभ सिंह की पत्नी घरेलू महिला हैं और लाभ के दो बच्चे हैं। लाभ सिंह पिछले लगभग 10 साल से आप से जुड़े हैं। वह भगवंत मान के करीबी हैं। लाभ सिंह उगोके के पास सिर्फ 75 हजार रुपये की नकदी है और 2014 मॉडल की पुरानी बाइक व दो कमरों का मकान है।

अपनी जीत पर सुनाया था यह किस्सा
लाभ सिंह ने अपनी जीत पर एक पुराना किस्सा साझा किया था। उन्होंने कहा था कि वह सिस्टम बदलने की लड़ाई लड़ रहे हैं, किसी भी कीमत में अपना जमीर नहीं बदल सकते हैं, क्योंकि कुल्लियों वालों की लड़ाई महलों वालों से थी लेकिन भदौड़ के जुझारू लोग पूंजीपति चन्नी को भारी बहुमत से मात देकर 1952 वाला इतिहास दोहराया है।

उन्होने बताया था कि 1952 में गरीब आदमी अर्जन सिंह का मुकाबला चुनाव में एक राजा से था। अर्जन सिंह बैलगाड़ी पर चुनाव प्रचार करते थे लेकिन राजा के पास सभी साधन थे और उस राजा ने उस समय अपने चुनाव पर एक लाख रुपया खर्च किया था लेकिन भदौड़ के लोगों ने अर्जन सिंह को जीत दिलाई और राजा को हराकर अहंकार तोड़ा। इस बार भी भदौड़ में यही हुआ है और वह हलका भदौड़ का दिल्ली मॉडल की तरह विकास करेंगे।