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पंचायती राज संस्थानों की महिला प्रतिनिधियों को ‘स्कूटी’ दी जाए: किरण बेदी

नई दिल्ली
 पुदुचेरी की पूर्व उपराज्यपाल किरण बेदी ने  सरकार से पंचायती राज संस्थानों की महिला प्रतिनिधियों को ‘स्कूटी’ देने के लिए एक योजना शुरू करने का आग्रह किया।

लाल किले पर स्वतंत्रता दिवस समारोह में विशेष अतिथि के तौर पर शामिल होने राजधानी पहुंचीं करीब 400 महिला प्रतिनिधियों और पंचायती राज संस्थाओं (पीआरआई) के निर्वाचित प्रतिनिधियों की उपस्थिति में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बेदी ने कहा कि इलेक्ट्रिक स्कूटी से महिला प्रतिनिधियों को आवाजाही में सुगमता होगी।

राष्ट्रीय राजधानी में पंचायतों में महिला नेतृत्व पर आयोजित एक राष्ट्रीय कार्यशाला में जमीनी स्तर पर ‘सरपंच-पति’ प्रथा का मुद्दा भी उठा। बेदी ने बताया कि आवाजाही में असुविधा के कारण महिलाओं को पुरुष रिश्तेदारों पर निर्भरता मजबूर होना पड़ता है।

बेदी ने कहा, ‘‘महिला पंचायत प्रतिनिधियों…जो पंचायत के काम के लिए अपने क्षेत्र में बाहर निकलती हैं, उन्हें एक स्कूटी दी जानी चाहिए या उन्हें सब्सिडी पर स्कूटी दी जानी चाहिए ताकि उन्हें दूसरों पर निर्भर न होना पड़े।’’

उन्होंने कहा, ‘‘अगर किसी महिला को क्षेत्र में आवाजाही के लिए अपने पति या बेटे पर निर्भर रहना पड़ता है तो वह पूरी तरह से स्वतंत्र नहीं हो सकती है। वास्तविक समस्या यह है कि हमारी महिलाओं के पास न तो गतिशीलता है, न ही दृश्यता।’’ उन्होंने हालांकि कहा कि कई महिलाओं को साइकिल चलाना नहीं आता। उन्होंने उन्हें यह सीखने के लिए भी प्रोत्साहित किया।

भारतीय पुलिस सेवा में शामिल होने वाली पहली महिला पुलिस अधिकारी ने कहा कि उनका गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) नवज्योति फाउंडेशन लंबे समय से ग्रामीण इलाकों में काम कर रहा है और पंचायत उनके दिल के करीब है।

पंचायती राज सचिव विवेक भारद्वाज ने इस बीच कहा कि महिला पंचायत प्रतिनिधियों के लिए एक अलग प्रशिक्षण की आवश्यकता है और मंत्रालय इस पर गौर करेगा।

सचिव ने लोकप्रिय वेब सीरीज ‘पंचायत’ का जिक्र किया और कहा कि उन्हें बताया गया कि इसमें कैसे वास्तविकता को दर्शाया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘कुछ दिन पहले एक कंपनी के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक मुझसे मिलने आए। उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या मैंने पंचायत वेब सीरीज देखी है… एक अन्य व्यक्ति, जो एक कंसल्टेंसी का नेतृत्व करते हैं, ने मुझे बताया कि उन्होंने पूरी पंचायत श्रृंखला देखने के लिए एक दिन की छुट्टी ली थी…।’’

उन्होंने कहा, ‘‘उन्हें लगता होगा कि मैं खुश हो जाऊंगा, लेकिन मुझे बहुत बुरा लगा। क्योंकि वेब सीरीज दिखाती है कि उसमें एक महिला सरपंच है लेकिन उसका पति सारा कामकाज कर रहा होता है।’’ वहां पंचायती राज प्रतिनिधियों से मुलाकात करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘प्रधान पति के इस रिवाज को खत्म करना आपकी जिम्मेदारी है। इस प्रयास में हम आपके साथ हैं।’’

सचिव ने कहा कि 32 लाख पंचायती राज प्रतिनिधियों में से 46 प्रतिशत महिलाएं हैं, लेकिन आश्चर्य है कि इनमें से कितनी अपनी जिम्मेदारियों को स्वयं पूरा करने में सक्षम हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘हम जीपीडीपी प्रशिक्षण आयोजित करते हैं, लेकिन महिलाओं के लिए अलग से कोई प्रशिक्षण नहीं है। एक कुशल सरपंच बनने के लिए एक महिला को क्या चाहिए … इस संबंध में कोई प्रशिक्षण नहीं दिया जाता है। यह हमारी कमी है, हम जल्द ही इसे दूर करेंगे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘चीन और भारत के बीच सबसे बड़ा अंतर यह है कि वहां महिलाओं की भागीदारी बहुत अधिक है। अगर 20-30 प्रतिशत महिलाएं काम नहीं करेंगी तो समाज का विकास नहीं हो सकता।’’