PM मोदी क्या चंद्रबाबू नायडू की बात मानेंगे, पूरे देश में लागू हो यह अनोखा मॉडल तो स्विट्जरलैंड जैसा हो जाएगा देश
नई दिल्ली
नरेंद्र मोदी सरकार में शामिल आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायड ने हाल ही में अपने राज्य में स्किल सेंसस कराने की बात कही है। चंद्रबाबू नायडू ने इंडिया गठबंधन के एजेंडे की आलोचना करते हुए कहा कि जाति जनगणना के बजाय कौशल जनगणना की ज्यादा जरूरत है। अगर नायडू की यह योजना रंग लाती है तो इस तरह की जनगणना कराने वाला आंध्र प्रदेश देश का पहला राज्य होगा।
यह जनगणना हमें हमारे वर्कफोर्स की कैपेसिटी और खामियों को उजागर कर सकेगी। माना जा रहा है कि नायडू की इस पहल से मानव संसाधान का भरपूर इस्तेमाल किया जा सकेगा। सोशल मीडिया पर नायडू की इस पहल का स्वागत किया जा रहा है। ज्यादातर लोग इसे पूरे भारत में लागू करने की बात कर रहे हैं। दरअसल, आज जब हर ओर जब जाति जनगणना, धर्म आधारित जनगणना की बात हो रही है तो ऐसे में नायडू की यह पहल बेहद क्रांतिकारी साबित हो सकती है। एक्सपर्ट के अनुसार, नायडू की यह पहल इतनी अच्छी है कि यह पूरे देश के लिए नजीर बन सकती है।
भारत में डिग्रीधारी बहुत, मगर नौकरियों के लिए फिट नहीं
कौशल के मामले में भारत में मिली-जुली स्थिति है। भारत में आधी से ज़्यादा आबादी 25 साल से कम उम्र की है। यह बहुत बड़ी संभावना है। हालांकि, भारतीय युवा बेरोजगारी और कम रोजगार के हाई रेट का सामना कर रहे हैं। बहुत से लोगों के पास डिग्री तो है, लेकिन उपलब्ध नौकरियों के लिए जरूरी कौशल की कमी है। आागे बढ़ने से पहले ग्राफिक से ये समझते हैं कि देश में बेरोजगारी की क्या स्थिति है।
ग्रेजुएट करने वाले युवाओं में बेरोजगारी चरम पर
पीरियड लेबर फोर्स सर्वे, 2022-23 के अनुसार, ग्रेजुएट करने वाले युवाओं में बेरोजगारी की दर काफी ज्यादा है। इनमें 24 फीसदी के साथ आंध्र प्रदेश नंबर वन पर है। वहीं, बीमारू राज्यों में बेरोजगारी दर 16.6 फीसदी के साथ बिहार, 11 फीसदी के साथ उत्तर प्रदेश, 9.3 फीसदी के साथ मध्य प्रदेश और 23.1 फीसदी के साथ राजस्थान है।
जरूरत के मुताबिक लोगों को स्किल ट्रेनिंग
स्किल सेंसस से हम सटीक रूप से पता लगा सकते हैं कि देश भर की अलग-अलग इंडस्ट्री में किस तरह के कौशल की कितनी कमी है। इसे हम ट्रेनिंग देकर पूरी कर सकते हैं। मान लीजिए- किसी इंडस्ट्री को आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से ट्रेंड लोगों की जरूरत है। ऐसे में हम ज्यादा लोगों को एआई की ट्रेनिंग देकर उस इंडस्ट्री की जरूरत पूरी कर सकते हैं। आगे बढ़ने से पहले ये ग्राफिक देख लीजिए।
वैश्विक कौशल की जरूरतों को पूरा करने में मददगार
स्किल सेंसस से वैश्विक स्तर पर किन स्किल्स की डिमांड ज्यादा है, इसका पता लगाया जा सकता है। इससे कोई भी देश अपने वर्कफोर्स को ट्रेनिंग देकर इन्हें ज्यादा प्रतिस्पर्धी बना सकता है। दिल्ली यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर राजीव रंजन गिरि के अनुसार, नायडू की इस पहल का पूरे देश में स्वागत होना चाहिए। पीएम मोदी को भी इसे पूरे देश में लागू करना चाहिए, ताकि भारत को अपने मानव संसाधन के बारे में सटीक जानकारी हो। यह भी जानकारी हो पाएगी कि यह मानव संसाधन कितना स्किलफुल है।
जो स्किल चाहिए, उसके लिए ट्रेनिंग प्रोग्राम विकसित करना
स्किल जनगणना से प्रभावी ट्रेनिंग प्रोग्राम डेवलप किया जा सकता है। ऐसे पाठ्यक्रम तैयार किए जा सकते हैं, जो जरूरी स्किल्स को पूरी कर सके। ऐसा तभी किया जा सकता है, जब स्किल सेंसस से इस बारे में पता लग सके कि कितने लोग स्किल से लैस हैं।
दुनिया में फिनलैंड ज्यादा स्किल वाला देश
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की ह्मून कैपिटल इंडेक्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया में सबसे ज्यादा स्किल आबादी वाला देश फिनलैंड, नॉर्वे और स्विट्जरलैंड हैं, जो पहले, दूसरे और तीसरे पायदान पर हैं। इन देशों में प्राइमरी स्कूलों की व्यवस्था काफी अच्छी है। युवाओं की साक्षरता बेहद अच्छी है और ऐसी पढ़ाई या ट्रेनिंग दी जाती है, जो उन्हें हर तरह की स्किल के लिए तैयार करती है। प्रोफेसर गिरि के अनुसार, भारत भी अगर स्किल सेंसस कराए और अपनी आबादी को इंडस्ट्री की जरूरत के हिसाब से तैयार करे तो यह स्विट्जरलैंड या नॉर्वे जैसा देश बन सकता है।
जाति-धर्म आधारित जनगणना से जरूरी है स्किल सेंसस
दिल्ली यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर राजीव रंजन गिरि कहते हैं कि आंध्र प्रदेश में स्किल सेंसस की पहल काफी अच्छी योजना है। इससे सिर्फ आंध्र ही नहीं, पूरे भारत की तस्वीर बदल सकती है। जब हमें यह पता होगा कि हमारा वर्कफोर्स कितनी तरह की स्किल से लैस है तो हम दुनिया के दूसरे देशों को मनमुताबिक मानव संसाधनों को लेकर तोल-मोल कर सकते हैं। तब यह वर्कफोर्स सिर्फ लेबर नहीं रह जाएगा। वह अपनी शर्तों पर काम कर पाएगा। पीएम मोदी को स्किल सेंसस पूरे भारत में करानी चाहिए। जो मौजूदा राजनीति में जाति-धर्म आधारित जनगणना से इतर एक अलग नजीर पेश करेगा।
प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना से आगे की बात
प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) को प्रधानमंत्री यूथ ट्रेनिंग प्रोग्राम के नाम से भी जाना जाता है। भारत सरकार ने इस योजना को जुलाई 2015 में शुरू किया गया था। इस योजना के तहत 2020 तक एक करोड़ युवाओं को प्रशिक्षण (ट्रेनिंग) देने की योजना बनाई गई थी। इस योजना का मकसद ऐसे लोगों को रोजगार मुहैया कराना है जो कम पढ़े-लिखे हैं या बीच में स्कूल छोड़ देते हैं। इस योजना में तीन महीने, छह महीने और एक साल के लिए रजिस्ट्रेशन होता है। कोर्स पूरा करने के बाद सर्टिफिकेट दिया जाता है। यह प्रमाणपत्र पूरे देश में मान्य होता है।