viral news

पत्नी के भाई को साला क्यों कहते हैं? : जानें साला का असली मतलब क्या होता है…

इम्पैक्ट डेस्क.

पत्‍नी के भाई को साला क्‍यों कहा जाता है? क्‍या आप जानते हैं इसका संबंध पौराणिक काल से है। कुछ लोग साला शब्‍द को अच्‍छा नहीं मानते हैं और इसकी तुलना गाली से करते हैं। लेकिन ऐसा बिल्‍कुल भी नहीं है। यह ए‍क आध्‍यात्मिक शब्‍द है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं साला शब्‍द की उपत्ति कहां से हुई और पत्‍नी के भाई को साला क्‍यों कहा जाता है।

यह कहानी समुद्र मंथन से जुड़ी हुई है। अमृत की प्राप्ति के लिए देवताओं और राक्षसों ने समुद्र मंथन किया था। समुद्र से अमृत के अलावा 14 अन्‍य रत्‍नों की भी उत्‍पत्ति हुई। इन्‍हीं में से एक है पांचजन्‍य शंख। समुद्र मंथन के दौरान मां लक्ष्‍मी भी स्‍वर्ण के रूप में समुद्र से प्रकट हुई थीं और उनके साथ यह भी समुद्र से निकला। मान्‍यता है कि जब यह शंख लक्ष्‍मीजी के साथ ही उत्‍पन्‍न हुआ, इसलिए देवतागण इसे मां लक्ष्‍मी का भाई मानने लगे। इस शंख को देखकर देवतागण बहुत प्रसन्‍न हुए और कहा कि देवी लक्ष्‍मी के साथ उनका भाई साला भी आया है। तभी से अवधारणा बन गई कि शादी के बाद जब कोई लड़की अपनी ससुराल जाती है तो उसके भाई को ससुराल के लोग साला कहकर बुलाते हैं। यही वजह है कि नई दुल्‍हन को लक्ष्‍मी और उसके भाई को साला कहा जाता है।

इसलिए शंख घर में होना मानते हैं शुभ

पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार लक्ष्‍मी माता को समुद्र देव की पुत्री माना जाता है और शंख को उनका पुत्र और मां लक्ष्‍मी का भाई माना जाता है। यही वजह है कि जिस घर में शंख होता है, मां लक्ष्‍मी भी उस घर से प्रसन्‍न होती हैं और साक्षात वास करती हैं। इसलिए शंख यानी कि साला को बहुत ही पवित्र माना जाता है और हर घर में पूजा में इसका प्रयोग किया जाता है। पूजा के दौरान शंखनाद करने से आपके घर से ही प्रकार की नकारात्‍मक ऊर्जा दूर होती है और दूषित स्‍थान भी पवित्र हो जाते हैं।

विवाह में निभाई जाती हैं यह परंपरा

हिंदी शब्द साला संस्कृत के शब्‍द श्याला से हुई है जिसका अर्थ है पत्नी का भाई। दरअसल, यह एक सांस्कृतिक शब्द जिसका संबंध हिंदू विवाह की ए‍क अहम परंपरा से भी है। हिंदू विवाह समारोह में भाई अपनी बहन के हाथ में पके हुए धान के छोटे-छोटे दाने सौंपता है और कन्‍या अपने होने वाले पति के सहयोग से धान के इन दानों को धरती माता को अर्पित करती है। वैदिक अनुष्ठान में यह संस्कार भाई द्वारा संपन्न कराया जाता है, इसलिए उसे श्याला कहा गया है।