National News

वंदे भारत मेट्रो किन शहरों को जोड़ेंगी, गरीबों पर भी खास ध्यास, जाने किन शहरों को जोड़ेंगी

नई दिल्ली
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने गुरुवार को संसद में अगले कुछ सालों के प्लान की पूरी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि आम लोगों पर फोकस करते हुए हर एक्सप्रेस-मेल ट्रेन में कम से कम 4 जनरल कोच लगाने का प्लान है। इसके अलावा जल्दी ही ढाई हजार जनरल कोच ट्रेनों में जोड़ने वाले हैं। कुछ ही समय में 10 हजार बोगियां और तैयार होंगी। रेल मंत्री ने कहा कि  पीएम नरेंद्र मोदी ने अमृत भारत ट्रेन की कल्पना की है, जो गरीब लोगों को सस्ते में सफर करा सके। मालदा से बरेली, दरभंगा से दिल्ली के लिए दो अमृत भारत ट्रेनें चलाई गई है। इन ट्रेनों में 22 कोच हैं, जिनमें आधे स्लीपर और आधे जनरल डिब्बे हैं। इनमें मिलने वाली सुविधाएं किसी भी अन्य सरकार के दौरान चलने वाली सामान्य श्रेणी की ट्रेनों से बेहतर हैं।

अश्विनी वैष्णव ने कहा कि ये ट्रेनें काफी लोकप्रिय हुई हैं। इसलिए अब ऐ सी 50 और ट्रेनें चलाने का फैसला लिया है। हम वंदे भारत ट्रेनों की संख्या भी तेजी से बढ़ा रहे हैं। वंदे भारत ट्रेनों के जरिए देश के लगभग सभी राज्यों को कवर किया जा चुका है। पीएम मोदी ने जब वंदे भारत की शुरुआत की तो उनका स्पष्ट मत था कि नॉर्थ से साउथ और ईस्ट से वेस्ट तक हर प्रदेश में इन्हें चलाना है। इसीलिए कश्मीर से असम तक और केरल से गुजरात तक सभी राज्यों में ये चल रही हैं। हमारी योजना है कि 150 किलोमीटर तक के दायरे में पड़ने वाले दो बड़े शहरों के बीच वंदे भारत मेट्रो चले। इनकी टेस्टिंग हो चुकी है और कपूरथला से निकल चुकी है। विकसित देशों में ऐसी ट्रेनों का काफी प्रचलन है।

इसके अलावा लंबी दूरी के सफर के लिए वंदे भारत स्लीपर को भी डिजाइन किया गया है। पहली ट्रेन की मैन्युफैक्चरिंग हो गई है और उनकी टेस्टिंग का काम चल रहा है। इन ट्रेनों के चलने से आम लोगों का सफर बहुत आरामदायक होगा। इससे 140 करोड़ देशवासियों को राहत मिलेगी। भारत में साल भर में 700 करोड़ लोग यात्रा करते हैं। इस लिहाज से ट्रेनों का आरामदायक सफर बड़ा असर छोड़ने वाला है। अश्विनी वैष्णव ने कहा कि पैसेंजर सेफ्टी बहुत संवेदनशील मुद्दा है। रेल मंत्री ने कहा कि हमने कवच की व्यवस्था को लॉन्च किया है। अब इसके विस्तार पर हमारा फोकस है।

ट्रेन हादसे रोकने की तकनीक में देरी का कांग्रेस पर फोड़ा ठीकरा

उन्होंने कहा कि ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन यानी सिग्नल छूटने पर भी किसी रेल के सामने आने पर गाड़ियों के रुकने की व्यवस्था दुनिया में 1970 के दशक में शुरू हुई थी। लेकिन कांग्रेस अपने 50 साल के शासन में इस पर काम नहीं कर सकी। 2014 के बाद से ही इसकी शुरुआत हुई, जो मोदी सरकार का कार्यकाल था। रेल मंत्री ने कहा कि कवच को 2019 में इंटरनेशनल मान्यता मिली थी। इसके बाद इस पर काम शुरू हुआ है और पहले राउंड में 3000 किलोमीटर नेटवर्ट पर फोकस किया गया।