ट्रंप सरकार के शिक्षा विभाग पर लगा ताला,अमेरिकी ने जारी किया कार्यकारी आदेश
वाशिंगटन
अमेरिका में एजुकेशन डिपार्टमेंट यानी शिक्षा विभाग पर ताला लग गया है. डोनाल्ड ट्रंप ने उस आदेश पर अपनी कलम भी चला दी है. जी हां, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शिक्षा विभाग को ‘खत्म’ करने के उद्देश्य से एक आदेश पर हस्ताक्षर किए. यह अमेरिकी दक्षिणपंथियों का दशकों पुराना लक्ष्य रहा है. वो चाहते हैं कि अलग-अलग राज्य संघीय सरकार से मुक्त होकर खुद स्कूलों का संचालन करें. व्हाइट हाउस के ईस्ट रूम में डेस्क पर बैठे स्कूली बच्चों से घिरे डोनाल्ड ट्रंप एक खास समारोह में हस्ताक्षर करने के बाद आदेश दिखाते हुए मुस्कुरा रहे थे.
समाचार एजेंसी एएफपी के मुताबिक, डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि यह आदेश संघीय शिक्षा विभाग को हमेशा के लिए खत्म करने की शुरुआत करेगा. हम इसे बंद करने जा रहे हैं और जितनी जल्दी हो सके इसे बंद कर देंगे. यह हमारे लिए कुछ नहीं कर रहा है. हम शिक्षा को वापस राज्यों को सौंपने जा रहे हैं, जहां यह होना चाहिए.’
हालांकि, यह भी सच है कि 1979 में बनाए गए अमेरिकी शिक्षा विभाग को कांग्रेस की मंजूरी के बिना बंद नहीं किया जा सकता है. लेकिन ट्रंप के आदेश में इसे फंड और स्टाफ से वंचित करने की शक्ति होने की संभावना है. यह कदम डोनाल्ज ट्रंप के एक चुनावी वादे को पूरा करता है. यह सरकार के क्रूर बदलाव के अब तक के सबसे कठोर कदमों में से एक है जिसे ट्रंप टेक टाइकून एलन मस्क की मदद से अंजाम दे रहे हैं. आदेश में शिक्षा सचिव लिंडा मैकमोहन को ‘शिक्षा विभाग को बंद करने और शिक्षा प्राधिकरण को राज्यों को वापस करने की सुविधा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने’ का निर्देश दिया गया है.
शिक्षा विभाग को आखरि ट्रंप ने क्यों किया 'बंद'?
ट्रंप ने राष्ट्रपति की कुर्सी पर वापसी के लिए अपने चुनावी कैंपेन में एक वादा किया था- वादा था कि शिक्षा का विकेंद्रीकरण करने का. यानी केंद्र सरकार के हाथ में शिक्षा की बागड़ोर नहीं होगी. उन्होंने कहा था कि वह विभाग की शक्तियों को राज्य सरकारों को सौंप देंगे, जैसा कि कई रिपब्लिकन दशकों से चाहते थे.
बता दें कि परंपरागत रूप से, अमेरिका में शिक्षा में फेडरल सरकार (केंद्रीय सरकार) की सीमित भूमिका रही है. प्राइमरी और सेकेंडरी स्कूलों के लिए केवल 13 प्रतिशत फंड केंद्र के खजाने से आता है. बाकी राज्यों और स्थानीय समुदायों द्वारा वित्त पोषित किया जाता है. लेकिन कम आय वाले स्कूलों और विशेष जरूरतों वाले छात्रों के लिए केंद्र से आने वाला फंड अमूल्य है, उनके चलने का जरीया है. अब तक फेडरल सरकार छात्रों के लिए प्रमुख नागरिक अधिकार सुरक्षा लागू करने में आवश्यक रही है.