मौत के 82 साल बाद 61 करोड़ में बिकी अमृता शेरगिल की यह पेंटिंग… देखें क्या है खास…
इम्पैक्ट डेस्क.
28 की छोटी सी उम्र में दुनिया को अलविदा करहने वाली अमृता शेरगिल ने भारत को पेंटिंग के ऐसे नमूने दिए हैं जो आज भी दुनियाभर में चर्चा बटोरते रहते हैं। हाल ही में एक सैफ्रोनार्ट ऑक्शन में उनकी पेंटिंग 61.8 करोड़ रुपये में बेची गई। यह भारत की सबसे महंगी बनने वाली पेंटिंग बन गई है। इससे पहले सैयद हैदर रजा की पेंटिंग की कीमत 51.7 करोड़ रुपये लगाई गई थी। इसके साथ ही सैयद रजा की पेंटिंग दूसरी सबसे महंगी भारतीय पेंटिंग है। वहीं 2020 में वसुदेव एस गायतोंडे की पेंटिंग की कीमत 32 करोड़ रुपये लगाई गई थी जो कि तीसरे नंबर पर है।
बता दें कि साल 2006 में भी सबसे महंगी पेंटिंग का रिकॉर्ड अमृता शेरगिल ने ही बनाया था। उनकी पेंटिंग 6.9 करोड़ रुपये की थी। यह पेंटिंग के लिए भारत में अदी की गई आज भी सबसे बड़ी रकम है। इसमें कुछ महिलाएं बैठी थीं जिनके साथ बच्चे भी थे। ग्रामीण परिदृश्य दिखाया गया था। अब जिस पेंटिंग की इतनी ऊंची कीमत लगी है उसमें गायों के साथ महिलाओं को दिखाया गया है। यह दृश्य भी गांव का ही है।
अमृता शेरगिल का कहना था, मैं सिर्फ भारत में पेंटिंग बना सकती हूं, क्योंकि यूरोप तो पिकासो और मैटिस का है। लेकिन हिंदुस्तान सिर्फ मेरे लिए है। अमृता शेरगिल ने पेंटिंग के इतिहास में ऐसे गहरे रंग छोड़े हैं जिनकी चमक कभी फीकी नहीं पड़ने वाली। आज भी जब किसी गैलरी में उनकी पेंटिंग आ जाती है तो उसके आगे बाकी पेंटिंग धुंधली दिखाई देने लगती हैं। उनका जन्म बुडापेस्ट, हंगरी में हुआ था। उनके पिता सिख त मां यहूदी थीं। 1921 में वह परिवार के साथ भारत आ गईं।
अमृता पांच साल की उम्र से ही पेंटिंग करती थीं। 1924 में वह कला सीखने इटली गईं। लेकिन अब उनका मन भारत में ही लगता था। छह साल यूरोप में बिताने के बाद वह भी भारत आ गईं। इसके बाद शुरू हुआ भारतीय परिदृ्श्य को कैनवस पर उतारने का काम। उन्होंने अपनी पेंटिंग में महिलाओं को प्राथमिकता दी। लाहौर में 1937 में हुई एक कला प्रदर्शनी में उकी 33 पेंटिंग शामिल हुई थीं. उनकी कला देखने वाले इतने थे कि प्रदर्शनी का समय बढ़ाना पड़ा। हालांकि बेहद कम उम्र में वह बीमार हो गईं और 5 दिसंबर 1941 में 28 की उम्र में ही दुनिया छोड़कर चली गईं।