छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार के खिलाफ #ACB की ताबड़तोड़ कार्रवाई से जाग रही उम्मीद…
इम्पेक्ट न्यूज। रायपुर।
छत्तीसगढ़ में सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टालरेंस की नीति पर काम करती दिख रही है। छत्तीसगढ़ में एंटी करप्शन ब्यूरो और आर्थिक अपराध अनुसंधान ब्यूरो में हालिया परिवर्तन के बाद बदलाव साफ दिखाई दे रहा है। बीते दिन एक साथ करीब आधा दर्जन अलग—अलग जगहों पर घूसखोरी के खिलाफ एसीबी की कार्रवाई से उम्मीद तो जाग रही है कि आम जनता को भ्रष्टाचार रहित व्यवस्था मुहैया हो सकेगी। इस समय एसीबी और ईओडब्ल्यू के प्रमुख के तौर पर तेज तर्रार आईपीएस अमरेश मिश्रा के नेतृत्व में टीम काम कर रही है।
वैसे अमरेश मिश्रा को यहां लाने के पीछे राज्य सरकार का मकसद साफ ही था कि वे राज्य में भ्रष्टाचार मुक्त व्यवस्था की दिशा में बढ़ना चाह रहे हैं। ना केवल संवेदनशील जिलो में पुलिस अधीक्षक के तौर पर बल्कि आईबी और एनआईए जैसी एजेंसियों के साथ काम का एक लंबा अनुभव श्री मिश्रा को रहा है। यही वजह है कि केंद्र की प्रतिनियुक्ति से उन्हें वापस लाया गया है।
पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोपों की झड़ी लगी है। शराब, कोल, धान—खरीदी और कस्टम मिलिंग में भ्रष्टाचार के मामलों की जांच चल ही रही है। इसके अलावा शिक्षा, स्वास्थ्य और जिला खनिज न्यास की राशि में बड़े पैमाने में गड़बड़ी को लेकर पूर्ववर्ती सरकार के अफसर निशाने पर हैं।
कोरबा और दंतेवाड़ा जिले में डीएमएफ की राशि में जिस तरह की बंदरबाट उजागर हुई है उसके बाद सभी सकते में हैं। विष्णुदेव सरकार ने अपने पहले बदलाव में ऐसे जिलों के जिला अधिकारियों को हटाया जहां इस तरह की शिकायतें ज्यादा रहीं। दंतेवाड़ा जिले में डीएमएफ के मामले में आर्थिक गड़बड़ी की एक बड़ी कड़ी उजागर हुई।
यह पहला जिला रहा जहां से कलेक्टर को सीधे मंत्रालय में अटैच किया गया था। हांलाकि चुनाव के दौरान दंतेवाड़ा से हटाए गए कलेक्टर विनित नंदनवार को आबकारी विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसे लेकर भी बड़ा सवाल है। दंतेवाड़ा जिले के डीएमएफ घोटाला के मामले में पीएमओ को शिकायत के बाद हो रही जांच में फिलहाल क्या प्रगति है इसका ब्योरा उपलब्ध नहीं है। उम्मीद है एंटी करप्शन ब्यूरो दंतेवाड़ा जिले में भी पूर्ववर्ती सरकार के दौरान किए गए भ्रष्टाचार पर भी ध्यान केंद्रित करेगा।
बहरहाल छत्तीसगढ़ में एक ही दिन में आधा दर्जन से ज्यादा भ्रष्टाचार के मामले उजागर होने के बाद आम जनमानस में विष्णुदेव सरकार के प्रति करप्शन के खिलाफ कार्रवाई को लेकर विश्वास का भाव उत्पन्न हुआ है। सरकारी एजेंसी द्वारा करवाए जा रहे निर्माण कार्यों की गुणवत्ता भी भ्रष्टाचार के कारण ही प्रभावित होती है। गाहे बगाहे इस तरह के भ्रष्टाचार का शिकार आम आदमी ही होता है। केंद्र सरकार और राज्य सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ कृतसंकल्पित होकर कार्रवाई के लिए जांच एजेंसियों को अधिकार संपन्न बना रही है तो इसका लाभी भी निश्चित तौर पर आम लोगों को ही होगा।
छत्तीसगढ़ के वित्तमंत्री ओपी चौधरी ने अपने बजट भाषण में छत्तीसगढ़ को भ्रष्टाचार मुक्त व्यवस्था देने के लिए जीरो टालरेंस नीति पर भी बात की थी। इसके लिए उन्होंने तकनीकी संसाधनों के उपयोग के लिए भी बजट का प्रबंध किया है। इससे साफ है कि आने वाले समय में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में एक करप्शन मुक्त राज्य की दिशा में बड़ा कदम देखने को मिलेगा। इसलिए उम्मीद की जा रही है कि राज्य में भ्रष्टाचार में लिप्त किसी भी अधिकारी को शासन के स्तर पर संरक्षण नहीं मिलेगा।
वैसे राज्य में जमीनी स्तर पर पटवारी, पंचायत सचिव, ग्राम सेवक, विभागीय लिपिक के साथ आम आदमी का ज्यादातर संपर्क होता है। इन जगहों पर अक्सर बिना खर्चा—पानी काम करवाने में आम लोगों को भारी दिक्कत होती है। शिक्षा विभाग में जिला शिक्षा अधिकारी, समग्र शिक्षा में डीएमसी, नगरीय निकाय में नक्शा पास करवाने, एनओसी हासिल करने, बिजली विभाग में मीटर कनेक्शन लेने, सरकारी निर्माण एजेंसियों द्वारा निर्माण लागत का ठेकेदारों को भुगतान करने में भ्रष्टाचार की शिकायतें आम हैं।
एक सच्चाई यह भी है कि जब तक पीड़ित शिकायत ही नहीं करेगा तब तक चाहे कितनी भी ईमानदार एजेंसी हो वह भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई कैसे करेगी? आम जनता को अब जागरूक होकर इस तरह की जमीनी हालात में भ्रष्टाचार के मामलों की शिकायत एंटी करप्शन ब्यूरो तक पहुंचाना चाहिए। ताकि आम जनों को ही एक भ्रष्टाचार मुक्त व्यवस्था में अपना जीवन जीने के लिए राह आसान हो सके।