…तो भारतीय जनता पार्टी शासित राज्यों में अब नहीं होंगे डिप्टी सीएम!
इम्पेक्ट एक्सक्लूसिव। रायपुर। नई दिल्ली।
भारतीय जनता पार्टी अब जल्द ही एक बड़ा रणनीतिक फेरबदल करने की तैयारी में है। संगठन के सूत्रों की मानें तो अब भाजपा शासित राज्यों में जहां भाजपा अपने एलाइंस के बगैर सरकार चला रही है वहां अब उप मुख्यमंत्री के पद समाप्त किए जा सकते हैं। इसके लिए नमो ने एक नया सूत्र वाक्य दे दिया है। खबर है कि जल्द ही इसके आधार पर ऐसे सभी राज्यों में मंत्रीमंडल का स्वरूप बदल सकता है।
उपमुख्यमंत्री राज्य सरकार का सदस्य होता है। जबकि कोई संवैधानिक पद नहीं है। एक उप मुख्यमंत्री आमतौर पर गृह मंत्री या वित्त मंत्री के रूप में एक कैबिनेट पोर्टफोलियो रखता है। सरकार की संसदीय प्रणाली में, मुख्यमंत्री को कैबिनेट में मुख्यमंत्री के बाद पहला मंत्री के तौर पर जाना जाता है। हिंदुस्तान में उप-मुख्यमंत्री की स्थिति का उपयोग गठबंधन सरकार के भीतर राजनीतिक संतुलन और समन्वय के लिए किया जाता रहा है। बारह पदस्थ उपमुख्यमंत्री भाजपा के हैं।
लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी अब भाजपा के राजनीतिक स्वरूप में एक बड़ा बदलाव लाने की कोशिश कर रहे हैं। इससे देश को संदेश देने की कोशिश भी है कि सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास के लिए राजनीतिक संतुलन के लिए अपनी ही पार्टी की सरकार में सत्ता के दो केंद्र ना हों।
बल्कि जिनके पास मुख्यमंत्री पद का दायित्व है वे ही प्रदेश के लिए शक्ति के एकमात्र केंद्र हों। संगठन और सत्ता के बीच सामन्जस्य स्थापित कर सरकार चलाने का दायित्व सीएम के पास ही रहे। यदि ऐसा संभव होता है तो आने वाले दिनों में कम से कम भाजपा शासित राज्यों से डिप्टी सीएम के पद समाप्त किए जा सकते हैं।
वर्तमान में, उन्तीस राज्यों और दो केन्द्र-शासित प्रदेशों में से 16 में उप मुख्यमंत्री बनाए गए हैं। इन 16 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में से, आंध्र प्रदेश में पवन कल्याण आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री हैं। अब तक कर्नाटक में 9 कार्यकालों में 11 उपमुख्यमंत्री बने हैं। वहीं सिद्धारमैया दो बार इस पद पर रहे। फिलहाल यहां डीके शिवकुमार उपमुख्यमंत्री हैं। जबकि उत्तर प्रदेश में दो उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य 19 मार्च 2017, ब्रजेश पाठक 25 मार्च 2022 से इस पद हैं।
छत्तीसगढ़ में पहली बार कांग्रेस सरकार के दौरान राजनीतिक संतुलन के लिए टीएस सिंहदेव को उपमुख्यमंत्री बनाया गया। दरअसल कथित तौर पर ढाई—ढाई साल वाले फार्मुला के तहत सीएम का पद निर्धारण करने के बाद भूपेश बघेल जब नहीं माने तो सिंहदेव को डिप्टी सीएम बनाकर संतुलन स्थापित करने की कोशिश की गई। बावजूद इसके कांग्रेस विधानसभा चुनाव में बुरी तरह से पराजित हो गई।
इसके बाद भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार में बिना किसी प्रयास के दो—दो डिप्टी सीएम बनाए गए। संभवत: यह लोकसभा चुनाव के दौरान राजनीतिक संतुलन बनाने के नजरिए से प्रयोग मात्र था। आदिवासी मुख्यमंत्री के साथ एक ओबीसी और एक सामान्य वर्ग को डिप्टी सीएम बनाकर भाजपा ने संदेश देने की कोशिश की। लोकसभा में भाजपा ने छत्तीसगढ़ में 10 सीटों में जीत हासिल कर कीर्तिमान भी स्थापित किया।
2023 के विधानसभा चुनाव के बाद मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर सभी को चौंकाया था। मध्यप्रदेश में डा. मोहन यादव, राजस्थान में भजनलाल शर्मा और छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव साय को मुख्यमंत्री के तौर पर सबसे पहले शपथ दिलाया गया। शपथ ग्रहण कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं उपस्थित रहे।
राजस्थान में सीएम के नाम की घोषणा के दौरान जो दृश्य देखने को मिला उसे लोग अब तक नहीं भूले हैं। विधायकों की बैठक के दौरान जब रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने सीएम के नाम का पर्चा राजस्थान में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के हाथ में थमाया और जिसे पढ़कर वे चौंक गई और पहचानने की कोशिश करती दिखीं कि जिनका नाम पर्चे में लिखा गया है आखिर वे हैं कौन?
बिल्कुल इसी तरह से मध्यप्रदेश में पहली बार विधायक निर्वाचित हुए डा. मोहन यादव को केंद्रीय नेतृत्व ने मुख्यमंत्री बना दिया। छत्तीसगढ़ में भाजपा ने वरिष्ठ आदिवासी नेता सांसद, मंत्री, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रहे विष्णुदेव साय को सीएम बनाने की घोषणा की।
छत्तीसगढ़ का गणित
छत्तीसगढ़ में पहली बार के विधायक विजय शर्मा और पूर्व सांसद पहली बार के विधायक अरूण साव को डिप्टी सीएम बनने को मौका दिया गया। छत्तीसगढ़ में वरिष्ठ विधायक बृजमोहन अग्रवाल को मंत्री बनाया गया। इसके बाद लोकसभा में टिकट देकर राज्य की राजनीति से उन्हें बाहर कर दिया गया। फिलहाल पुराने मंत्रियों में केदार कश्यप, रामविचार नेताम, दयालदास बघेल को छोड़ शेष सभी मंत्री पहली बार निर्वाचित विधायक ही हैं। यदि डिप्टी सीएम के पद समाप्त किए जाते हैं तो यह सवाल समाप्त हो जाएगा कि आखिर सरकार कौन चला रहा है। सीएम विष्णुदेव साय अपेक्षाकृत सरल स्वभाव के हैं वे लोगों से विनम्रता से पेश आते हैं। ज्यादा बोलते नहीं हैं। कांग्रेस इस बात को लेकर आक्रामक हो रही है कि सरकार कौन चला रहा है? दरअसल प्रदेश में मंत्रियों पर किसी तरह का नियंत्रण दिखाई नहीं दे रहा है। विधायक, मंत्री और नेता सभी असंतुष्ट हो रहे हैं। सांसद विजय बघेल और बृजमोहन अग्रवाल आक्रामक हैं। पुराने दिग्गज नेताओं में अजय चंद्राकर, राजेश मूणत, अमर अग्रवाल भी बेचैन हैं। प्रदेश मंत्रीमंडल में दो पद रिक्त है पर अब तक किसी की नियुक्ति नहीं की गई है। छत्तीसगढ़ में कम से कम तीन ऐसे मंत्री हैं जिनके काम—काज को लेकर भारी असंतोष उपज रहा है। डिप्टी सीएम का गणित यदि भविष्य में समाप्त हो जाता है तो संभव है नए सिरे से राजनीतिक असंतुलन की स्थिति से बचा जा सकेगा।
मध्यप्रदेश में
वहीं मध्यप्रदेश में मोहन यादव मुख्यमंत्री हैं। वे उज्जैन दक्षिण से विधायक हैं। इस बार वह तीसरी बार विधायक बने हैं। वह 2013 में उज्जैन दक्षिण सीट से पहली बार विधायक बने थे। 2018 मध्य प्रदेश विधान सभा चुनाव में, वह एक बार फिर चुने गए और उज्जैन दक्षिण सीट से विधायक बने। उन्होंने मध्य प्रदेश के शिक्षा मंत्री के रूप में कार्य किया। 2 जुलाई 2020 को उन्होंने शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली मध्य प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री के रूप में पहली बार शपथ ली थी। मध्यप्रदेश में राजेंद्र शुक्ला और जगदीश देवड़ा डिप्टी सीएम हैं।
राजेंद्र शुक्ता 2003 में मौजूदा पुष्पराज सिंह को हराकर पहली बार विधानसभा के लिए चुने गए। उन्होंने 2008 और 2013 के मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में फिर से अपनी जीत दोहराई। विधायक के रूप में अपने कार्यकाल में, उन्होंने वानिकी, जैव विविधता/जैव प्रौद्योगिकी, खनिज संसाधन और कानून और विधायी मामलों सहित विभिन्न मंत्रालयों के अधीन कार्य किया। उन्होंने 2023 में शिवराज सिंह चौहान सरकार के तहत कैबिनेट मंत्री के रूप में भी कार्यभार संभाला ।
2018 में उनके खिलाफ सत्ता विरोधी लहर में उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार अभय मिश्रा के खिलाफ 18,089 वोटों के अंतर से जीत हासिल की। उन्होंने 26 अगस्त, 2023 को शिवराज सिंह चौहान सरकार के तहत विधानसभा चुनाव 2023 से ठीक पहले कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली। 2023 के चुनाव में जीत हासिल करने के बाद उन्हें डिप्टी सीएम बनाया गया।
इसी तरह से जगदीश देवड़ा पहली बार 2008 में विधानसभा चुनाव में विजयी रहे। इसके बाद 2023 में जीत हासिल करने के बाद उन्हें डिप्टी सीएम बनाया गया है।
राजस्थान में
2023 विधानसभा चुनाव में भजन लाल शर्मा ने सांगानेर निर्वाचन क्षेत्र से राजस्थान विधानसभा चुनाव लड़ा। कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार के खिलाफ मुकाबला करते हुए, उन्होंने बड़े अंतर से जीत हासिल की। पहली बार विधायक बने, उन्हें भारतीय जनता पार्टी द्वारा दो डिप्टी सीएम, दीया कुमारी और प्रेम चंद बैरवा के साथ राजस्थान के 14वें मुख्यमंत्री बनाया गया।
बीजेपी ने दीया कुमारी और प्रेम चंद बैरवा को राजस्थान के उपमुख्यमंत्री बनाया। दीया कुमारी का जयपुर के राजघराने से ताल्लुक है। वह जयपुर की विद्याधर नगर विधानसभा सीट से विधायक हैं। वह इससे पहले लोकसभा की राजसमंद सीट से सांसद थीं। वहीं, बैरवा दलित समाज से आते हैं। दलित परिवार में जन्मे प्रेमचंद बैरवा जयपुर के दूदू सीट से बीजेपी के विधायक हैं।
भाजपा शासित राज्यों में
इसके अलावा भाजपा शासित राज्यों में उत्तराखंड, असम, गुजरात में भाजपा बिना किसी अलाएंस के सरकार चला रही है। इन राज्यों में फिलहाल किसी को डिप्टी सीएम नहीं बनाया गया है। जबकि आंध्रप्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र में भाजपा गठबंधन के साथ सरकार में हैं इन राज्यों में भाजपा के ही डिप्टी सीएम हैं।
अब खबर है कि भारतीय जनता पार्टी में इस बात को लेकर गंभीर मंथन चल रहा है कि आने वाले समय में भाजपा शासित राज्यों में से डिप्टी सीएम के पद समाप्त कर दिए जाएंगे। इसके लिए संगठन स्तर पर संकेत दे दिया गया है। इसके पीछे भाजपा की रणनीति स्पष्ट है कि डिप्टी सीएम का पद सवैंधानिक दायित्व नहीं है तो भाजपा संविधान की मंशा के अनुरूप ही अपने शासित राज्यों में सरकार का संचालन करेगी!
यदि ऐसा हुआ तो यह हिंदुस्तान की राजनीति के लिए एक बड़ा संदेश होगा जब बिना गठबंधन की सरकार में राजनीतिक संतुलन बनाने के लिए डिप्टी सीएम जैसा पद स्थापित ना किए जाएं। ऐसा करते हुए भाजपा संदेश देने की कोशिश कर सकती है कि सत्ता के केंद्र को प्रभावित करने से रोका जा सके।