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विष्णु के सुशासन का प्रतिबिंब ‘ज्ञान’ की ‘गति’ है…

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त्वरित टिप्पणी। सुरेश महापात्र।
छत्तीसगढ़ में 3 मार्च को विष्णुदेव साय के सायं—सायं विकास की गाथा वित्तमंत्री ओपी चौधरी पढ़कर सुना रहे थे। यह भी जादू ही है कि अब हिंदुस्तान में शायद ही ऐसा कोई दूसरा वित्तमंत्री सामने देखने को मिले जिसने तीन रातों तक जागकर अपने हाथ से 100 पन्ने का बजट भाषण लिखा हो और लोगों को विश्वास दिलाया हो कि जनता के हित के लिए सरकार का फैसला अटल है…
करीब पौने दो घंटे तक बिना पानी पिए बजट भाषण देते हुए आईएएस अफसर से एक युवा राजनीतिक कार्यकर्ता से नेता बने और नेता से विधायक चुने गए और विधायक से वित्तमंत्री बनाए गए ओपी चौधरी को देखना अद्भुत रहा।
रायगढ़ जिले के एक छोटे से गांव बायंग से पढ़कर निकला एक ऐसा आकांक्षी युवक जिसने बचपन से लेकर अब तक संघर्ष के कई मुकाम देखे। हर बार संघर्ष पर जीत हासिल कर अपना परचम लहराया। आईएएस बना तो छत्तीसगढ़ का सीना चौड़ा हो गया। कलेक्टर बना तो ऐसा काम करके दिखा गया कि दो—दो बार प्रधानमंत्री ने एक्सीलेंसी अवार्ड से सम्मानित कर दिया।
दो सौ एकड़ में सीमित संसाधनों के साथ एक एजुकेशन सिटी बना देना। नक्सल प्रभावित इलाकों के बच्चों को शिक्षा के क्रांति से सीधे जोड़ देना। नन्हें परिंदे जैसी योजना चलाकर बच्चों के मन में बड़े सपने जगा देना। आदिवासी बहुल इलाके में शिक्षा से सरोकार को जमीन पर लाकर खड़ा कर देना। यह सब कुछ भी हमारा देखा हुआ है।
अफसरी छोड़कर युवा काल में ही राजनीति का जोखिम उठाना अपने सपनो को असली मुकाम तक पहुंचाने की कोशिश ही तो है। चुनाव में हार गए पर ठहरे नहीं बल्कि कार्यकर्ता की तरह जुटे रहे और अब जीते तो सारे सपनों में रंग भरते दिख रहे हैं।
वित्तमंत्री के तौर पर कौन सोच सकता था कि एक बरस पहले ‘ज्ञान’ GYAN की थीम पर जो बजट भाषण दिया था उसे अब वह ‘गति’ GATI प्रदान करने का ऐलान कर देगा।
छत्तीसगढ़ में आज का बजट भाषण केवल इसलिए महत्वपूर्ण नहीं है कि यह राज्य निर्माण के रजत वर्षगांठ का बजट है। बीते 25 बरस में छत्तीसगढ़ का बजट पांच हजार करोड़ से आगे बढ़कर एक लाख 65 हजार करोड़ यानी करीब तीस गुना बड़ा हो चुका है।
आज के बजट भाषण में गांव, गरीब, किसान, महिला, बेरोजगार, उद्योग, इंफ्रास्ट्रक्चर, तकनालॉजी, विकास, सड़क, पुल, नहर, पेयजल, शिक्षा, स्वास्थ्य, कर्मचारी, पत्रकार और विकास के साथ आजादी के स्वर्ण जयंती वर्ष 2047 के लिए विजन डाक्यूमेंट की प्रस्तुति जैसा ही रहा।
एक—एक पैसे का हिसाब देते हुए जब यह बताया जा रहा हो कि संपत्ति के पंजीयन के समय स्टाम्प ड्यूटी में लगने वाले 12 प्रतिशत सेस को हटा दिया गया, महंगाई भत्ता बढ़ाकर 53 प्रतिशत किया जा रहा है और पेट्रोल के वेट में कमी कर एक रुपए कम किए जा रहे हों पर कहीं भी टैक्स बढ़ाने की बात ना हो तो यह जादू जैसा ही है। सही मायने में आज विधानसभा में ओपी चौधरी ने विष्णु के सुशासन का प्रतिबिंब ज्ञान की गति के रूप में सामने रख दिया है।