गांदरबल में आतंकवादियों ने अमेरिका की नाटो असॉल्ट राइफल M-4 से की थी ओपन फायरिंग
नई दिल्ली
जम्मू-कश्मीर के गांदरबल में 20 अक्टूबर की शाम टनल कंस्ट्रक्शन में लगे मजदूरों पर आतंकवादियों ने नाटो असॉल्ट राइफल M-4 से हमला किया था। बेहद अडवांस इस राइफल का इस्तेमाल अमेरिकी सेना करती है। एक्सपर्ट मानते हैं कि इससे एक मिनट में 970 गोलियां दागी जा सकती हैं और इतने के बाद भी राइफल गर्म नहीं होती। जांच में जुटे सुरक्षा बलों को घटनास्थल पर लगे CCTV कैमरों की एक फुटेज भी मिली है, जिसमें 2 आतंकी दिखे हैं। हालांकि हमले को अंजाम देने वाले आतंकियों की संख्या 2 से 3 बताई जा रही है। कैमरे में कैद हुए आतंकियों की तलाश में कई जगह दबिश दी जा रही है।
खून-खराबे का इरादा रखते हुए मजदूरों के कैंप में दाखिल हुए
सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि दोनों आतंकी बड़े पैमाने पर खून-खराबे का इरादा रखते हुए मजदूरों के कैंप में दाखिल हुए थे। अंदर पहुंचने पर लोगों को देखते हुए उन्होंने ओपन फायरिंग शुरू कर दी थी। घटना में 7 लोग मारे गए थे और कई घायल हुए। आतंकियों ने जिस तरह से इस हमले को अंजाम दिया उसे देखते हुए आशंका यह भी जताई जा रही है कि कहीं दोनों या इनमें से किसी एक का रियासी हमले से भी संबंध है। ठीक इसी तरह से आतंकवादियों ने इसी साल 9 जून को जम्मू के रियासी में तीर्थ यात्रियों की बस में ओपन फायरिंग की थी। लगभग वही पैटर्न आतंकवादियों ने इस हमले में भी अपनाया। रियासी अटैक वाले आतंकवादी भी अभी खुले घूम रहे हैं।
चेहरा छुपाने की कोशिश नहीं की, शॉल से राइफल छिपाई
गांदरबल हमले के बारे में एजेंसियों का कहना है कि फिलहाल दो आतंकियों के बारे में ही जानकारी मिल रही है। दोनों ने अपना चेहरा ढकने की कोई कोशिश नहीं की थी। यानी वह अपनी पहचान ना छिपाते हुए एक तरह से यह मेसेज देना चाह रहे थे कि हिम्मत है तो हमें पकड़कर दिखाओ। दोनों ने शॉल ओढ़े हुए थे। शॉल शायद राइफल छिपाने के लिए लिए थे। दोनों आतंकियों की उम्र 22 से 30 साल के बीच की लग रही है। दोनों ने कमर पर पिट्टू बैग थे। शायद उस बैग में गोली और खाने-पीने का सामान भरा हो। हमले को अंजाम देने के बाद दोनों मौके से भाग गए थे।
100 से ज्यादा लोगों से हुई पूछताछ
मामले की जांच जम्मू-कश्मीर पुलिस के हाथों में है। लेकिन, आने वाले समय में यह मामला राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को ट्रांसफर होने की बात कही जा रही है। फरार आतंकियों और स्थानीय स्तर पर उनकी मदद करने वालों की धर-पकड़ के लिए पुलिस, सेना, सीआरपीएफ और अन्य फोर्सेज तलाशी अभियान चला रही हैं। अभी तक 100 से अधिक लोगों से पूछताछ की जा चुकी है। एजेंसियों को शक है कि फरार आतंकियों की मदद स्थानीय स्तर पर की गई थी। नहीं तो इतना सटीक और टाइमिंग के हिसाब से हमला नहीं हो पाता। शक है कि आतंकियों ने कुछ दिन पहले यहां मजदूर के रूप में काम भी किया हो या उनका कोई साथी मजदूरों या कंस्ट्रक्शन साइट से संबंधित अन्य ग्रुप में शामिल हो।
पता था कि मजदूर कहां मिलेंगे
आतंकियों को यह अच्छे से पता था कि दिनभर काम करने के बाद अब मजदूर कहां मिलेंगे? उसी स्पाट को आतंकियों ने निशाना बनाया। हालांकि, जम्मू-कश्मीर पुलिस सूत्रों का कहना है कि स्थानीय लोगों से पूछताछ करने पर उन्होंने बताया कि शुरुआत में लगा कि पटाखे जलाए जा रहे हैं। क्योंकि घटनास्थल के पास में ही सोमवार को लड़की की शादी थी। हमले के समय वहां घर पर ढोल-नगाड़ों पर डांस चल रहा था। लेकिन चंद मिनटों में लग गया कि यह हमला है। हमले के दौरान एक बात यह भी सामने आ रही है कि यहां की लाइट ऑफ हो गई थी। अब लाइट को आतंकवादियों ने बंद किया या फिर मजदूरों ने या फिर बिजली विभाग द्वारा ही बंद की गई। इसकी भी जांच की जा रही है।
M-4 राइफल के बारे में जानें
1980 के दशक में इसका शुरुआती वर्जन अमेरिका ने बनाया।
गैस से चलने वाली यह एयर कूल्ड असॉल्ट राइफल है।
एक मिनट में 700 से 970 राउंड गोलियां दाग सकती है।
इसकी प्रभावी रेंज 500-600 मीटर है और अधिकतम रेंज 3,600 मीटर है।
इसे चलाने के लिए बहुत ज्यादा मिलिट्री ट्रेनिंग की जरूरत नहीं होती।
अब 60 से ज्यादा देशों के सुरक्षा बल भी इसका इस्तेमाल करती है।
इससे ग्रेनेड भी लॉन्च किया जा सकता है।