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भारत में दूरसंचार, पे-टीवी सर्विस का रेवेन्यू 2029 में 50.7 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की संभावनाः रिपोर्ट

नई दिल्ली
मोबाइल डेटा और फिक्स्ड ब्रॉडबैंड सेगमेंट की बदौलत भारत में दूरसंचार और पे-टीवी सर्विस का रेवेन्यू 2024 में 44.9 बिलियन डॉलर से बढ़कर 2029 में 50.7 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई।

ग्लोबल डाटा की ‘इंडिया टेलीकॉम ऑपरेटर्स कंट्री इंटेलिजेंस रिपोर्ट’ के अनुसार, मोबाइल वॉयस सर्विस एआरपीयू में लगातार कमी के कारण पूर्वानुमान अवधि के दौरान मोबाइल वॉयस सर्विस रेवेन्यू में गिरावट आएगी, क्योंकि यूजर्स तेजी से ओटीटी कम्युनिकेशन प्लेटफार्मों की ओर रुख कर रहे हैं।

ग्लोबल डाटा के दूरसंचार विश्लेषक श्रीकांत वैद्य ने कहा, “भारत में ग्राहक आधार के हिसाब से 4जी सबसे लीडिंग मोबाइल टेक्नोलॉजी है, जो 2024 में रजिस्टर्ड कुल मोबाइल सब्सक्रिप्शन का 68.9 प्रतिशत है।

हालांकि, 2029 में यह हिस्सा घटकर 32.1 प्रतिशत रह जाने की उम्मीद है, जिसका मुख्य कारण हाई-स्पीड 5जी सर्विस की ओर ग्राहकों का पलायन है।”

दूसरी ओर, मोबाइल डेटा सर्विस रेवेन्यू पूर्वानुमान अवधि में 5.5 प्रतिशत की सीएजीआर पर बढ़ना जारी रखेगा, जो स्मार्टफोन अपनाने में निरंतर वृद्धि, मोबाइल इंटरनेट सब्सक्रिप्शन में वृद्धि और मोबाइल डेटा सर्विस की बढ़ती खपत से जुड़ा होगा।

दूसरी ओर, वैद्य के अनुसार, 5डी सेवाओं का 2024 में कुल मोबाइल सब्सक्रिप्शन में 15 प्रतिशत हिस्सा होगा, जो 2029 में बढ़कर 61.8 प्रतिशत हो जाएगा, जो मोबाइल ऑपरेटरों द्वारा चल रहे 5जी नेटवर्क विस्तार से जुड़ा है। उदाहरण के लिए, एयरटेल का 5जी नेटवर्क सितंबर 2024 तक 140,000 गांवों तक पहुंच गया है।

रिपोर्ट में बताया गया है कि फिक्स्ड ब्रॉडबैंड सर्विस रेवेन्यू 2024-29 की अवधि में 6.2 प्रतिशत की सीएजीआर से बढ़ने की उम्मीद है, जो कि फिक्स्ड ब्रॉडबैंड सब्सक्रिप्शन में लगातार वृद्धि के अनुरूप है, खासकर एफटीटीएच/बी एक्सेस लाइनों पर।

वैद्य ने कहा, “देश भर में फाइबर नेटवर्क इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार करने के सरकार के प्रयासों के पीछे हाईर स्पीड फाइबर ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी की बढ़ती मांग और बढ़ती उपलब्धता पूर्वानुमानित अवधि में फाइबर ब्रॉडबैंड सर्विस को अपनाने को बढ़ावा देगी।”

उदाहरण के लिए, देश भर के ग्रामीण क्षेत्रों में फाइबर ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने के उद्देश्य से 650 बिलियन रुपये (7.8 बिलियन डॉलर) की लागत वाले भारतनेट के तीसरे चरण की शुरुआत निकट भविष्य में होने की उम्मीद है।