सफाई की चाह और राह पर चलकर आत्मनिर्भर बने शैलेंद्र सिकरवार
स्वच्छ भारत अभियान वॉश ऑन व्हील्स सेवा भोपाल मन चंगा तो कठौती में गंगा। शुचिता सिर्फ तन की ही नहीं, मनोविचारों की भी जरूरी है। स्वच्छता एक शैली नहीं, वरन् एक संस्कार है जो हमारे जीवन को और अधिक आलोकित करता है। कुछ ऐसी ही सोच और सेवा भाव से शैलेन्द्र सिकरवार ने काम और दाम के साथ नाम भी कमाया हैं। कहानी छिंदवाड़ा जिले की है। यहां के जुन्नारदेव में "स्वच्छता साथी" (वाश ऑन व्हील्स सेवा) ने स्वच्छता और रोजगार के क्षेत्र में नई राहें खोली हैं। इस सेवा
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