Madhya Pradesh

सुप्रीम कोर्ट ने पीथमपुर में यूका के कचरे को जलाने संबंध याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार किया

 पीथमपुर

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड के कचरे को जलाने पर रोक लगाने की याचिका पर तत्कालीक सुनवाई से इनकार कर दिया। यह याचिका सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. चिन्मय मिश्र की ओर से दाखिल की गई थी। इस पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने स्पष्ट रूप से कहा कि इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि इसकी निगरानी मध्य प्रदेश हाई कोर्ट और विशेषज्ञों की देखरेख में पहले से ही की जा रही है।

पीठ ने इस दौरान सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि इस जहरीले कचरे को हटाने के लिए हम वर्षों से संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन तथाकथित एनजीओ और सामाजिक कार्यकर्ता इस प्रक्रिया को लगातार बाधित करते आ रहे हैं। याचिका में कहा गया था कि मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने कचरा जलाने की अनुमति 72 दिनों के लिए दी थी, जिसकी समयसीमा 8 जून 2025 को समाप्त हो रही है। ऐसे में कोर्ट को हस्तक्षेप करना चाहिए ताकि पर्यावरणीय नुकसान को रोका जा सके। याचिकाकर्ता की ओर से अशोक कुमार वासुदेवन ने कहा कि पीथमपुर में जलाने की प्रक्रिया पर्यावरणीय मानकों के अनुरूप नहीं है और इससे स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने हालांकि इन दलीलों को सुनने के बाद कहा कि चूंकि यह मामला तकनीकी विशेषज्ञों और संबंधित पर्यावरण एजेंसियों की निगरानी में चल रहा है, अतः इस स्तर पर कोर्ट की तत्काल दखल की जरूरत नहीं है।

1984 गैस त्रासदी का है यह कचरा
बता दें कि 1984 में भोपाल में हुई यूनियन कार्बाइड गैस त्रासदी के बाद बचे रासायनिक कचरे का निपटारा लंबे समय से लंबित है। यह कचरा वर्तमान में भोपाल के आसपास सुरक्षित स्थानों पर संग्रहित है। इस कचरे को नष्ट करने के लिए पीथमपुर स्थित इंसिनरेटर में जलाया जा रहा है।