Madhya Pradesh

स्पेन यात्री जेवियर 10 सालों में चारों धाम सहित 12 ज्योतिर्लिंगों के पदैल दर्शन कर चुके, महाकुंभ में स्नान करने के बाद रीवा पहुंचे

रीवा
 दुनिया भर में रह रहे लोगों को भारत की संस्कृति अपनी ओर आकर्षित करती है. ऐसा कुछ कहना है स्पेन के रहने वाले जेवियर का है. दरअसल, भारत की पैदल यात्रा कर रहे जेवियर शनिवार यानि 15 फरवरी को रीवा पहुंचे. जेवियर 10 वर्ष पहले बिजनेस के सिलसिले से भारत आए थे. इसके बाद वे यहीं के हो गए. उनके अन्दर सनातन प्रेम ऐसा जागा की सबसे पहले उन्होंने खुद का सनातनी नाम दीपक रखा, फिर पैदल ही भारत भ्रमण की यात्रा शुरू कर दी. अब तक जेवियर 65 हजार किलोमीटर की यात्रा पूरी कर चुके हैं.

बिना पैसों के कर रहे भारत की पैदल यात्रा

रीवा पहुंचे 65 वर्षीय स्पेन निवासी जेवियर उर्फ दीपक ने बताया, "मैं स्पेन से आया हूं मेरा भारतीय नाम दीपक है. मैंने बिना पैसे के लेह लद्दाख से पैदल यात्रा शुरू की और कन्याकुमारी तक गए. सातों तीर्थ के साथ 12 ज्योर्तिलिंग की यात्रा पैदल कर चुके हैं. फिलहाल, प्रयागराज से महाकुंभ स्नान के बाद वे रीवा पहुंचे हैं. पदयात्री दीपक ने बताया कि "वर्ष 2015 के पहले वह बिजनेस के सिलसिले से भारत आए और यहीं रहते हुए वह सनातन धर्म के प्रति आकर्षित हुए."

2015 में लेह लद्दाख से शुरू की पैदल यात्रा

जेवियर बताते हैं कि "सनातन धर्म को गहराई से जानने के लिए वर्ष 2015 में अकेले ही पैदल धार्मिक यात्रा की शुरुआत लेह लद्दाख से की थी. इस दौरान उन्होंने सनातन, बौद्ध, सिख सहित आदि धर्मों के बारे में बहुत सारी जानकारी इकट्ठा की. वहीं, प्रयागराज में अयोजित महाकुंभ के बारे में जेवियर ने अपने विचार रखते हुए उन्होंने बताया कि यहां एक शानदार अनुभव रहा है. उन्होंने ने यह भी कहा कि, ''144 साल बाद हो रहे महाकुंभ स्नान में सभी को जरूर जाना चाहिए, लेकिन पूरी आध्यात्मिकता के भाव से, क्योंकि यह कोई सैर सपाटे की जगह नहीं है."

'खुद को ढूंढने की यात्रा है'

धार्मिक पैदल यात्रा के समापन को लेकर पूछे गए सवाल पर जेवियर कहा कि "इस तरह की यात्राएं ना तो अपने मन से शुरू की जा सकती और ना ही समाप्त की जा सकती हैं. मुझे नहीं पता की यह यात्रा कब तक चलेगी, क्योंकि उनके द्वारा शुरू की गई यह पैदल यात्रा स्वयं को ढूंढने की यात्रा है." हालांकि, मीडिया से बातचीत के दौरान जेवियर ने अंग्रेजी भाषा में ही बातचीत की, लेकिन अंत में जब उनसे हिंदी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया की उन्हें थोड़ी थोड़ी हिंदी भी आती है. इसके बाद वे अपनी आगे की यात्रा पर निकल गए.