रणजी ट्रॉफी में रोहित शर्मा गैर जिम्मेदाराना शॉट खेलकर हुए आउट, नहीं चल पाया उनका बल्ला
मुंबई
मुंबई और जम्मू एंड कश्मीर के बीच रणजी ट्रॉफी का मुकाबला खेला जा रहा है। इस मैच में हर किसी की निगाहें आउट ऑफ फॉर्म भारतीय कप्तान रोहित शर्मा पर थी। रोहित शर्मा का बल्ला पिछले कुछ समय से शांत है। बीसीसीआई द्वारा जारी निर्देश के बाद वह घरेलू मुकाबला खेलने उतरे, हालांकि यहां भी वह कुछ कमाल नहीं कर पाए। पहली पारी में 3 रन पर आउट होने के बाद वह दूसरी पारी में महज 28 ही रन बना पाए। दूसरी पारी में हिटमैन को अच्छी शुरुआत तो मिली थी, मगर वह गैर जिम्मेदाराना शॉट खेलकर हुए आउट। वहीं j&k के आबिद मुश्ताक ने सुपरमैन कैच पकड़ा। यशस्वी जायसवाल भी दूसरी पारी में फेल साबित हुए।
रोहित शर्मा के अलावा इस मैच में यशस्वी जायसवाल भी खेल रहे हैं। पहली पारी में दोनों ही सीनियर टीम के खिलाड़ी फ्लॉप रहे थे, उनके इस निराशाजनक प्रदर्शन के साथ मुंबई की टीम 120 रनों पर सिमट गई थी। इसके बाद जम्मू एंड कश्मीर की टीम ने 206 रन बनाकर मुंबई पर 86 रनों की बढ़त हासिल की। मुंबई की दूसरी पारी का आगाज करने उतरे रोहित शर्मा और यशस्वी जायसवाल की जोड़ी ने इस बार टीम को अच्छी शुरुआत देते हुए पहले विकेट के लिए अर्धशतकीय साझेदारी की।
रोहित शर्मा के अलावा इस मैच में यशस्वी जायसवाल भी खेल रहे हैं। पहली पारी में दोनों ही सीनियर टीम के खिलाड़ी फ्लॉप रहे थे, उनके इस निराशाजनक प्रदर्शन के साथ मुंबई की टीम 120 रनों पर सिमट गई थी। इसके बाद जम्मू एंड कश्मीर की टीम ने 206 रन बनाकर मुंबई पर 86 रनों की बढ़त हासिल की। मुंबई की दूसरी पारी का आगाज करने उतरे रोहित शर्मा और यशस्वी जायसवाल की जोड़ी ने इस बार टीम को अच्छी शुरुआत देते हुए पहले विकेट के लिए अर्धशतकीय साझेदारी की।
हालांकि 14वां ओवर लेकर आए युद्धवीर सिंह चरक की चौथी गेंद पर हवा में शॉट मारने के प्रयास में रोहित आउट हो गए। हिटमैन धीमी गेंद को पढ़ नहीं पाए और समय से पहले हवा में बल्ला चला बैठे। गेंद उनके बल्ले के अंदरुनी किनारे पर लगकर मिड विकेट की दिशा में आबिद मुश्ताक के हाथों में गई। आबिद मुश्ताक ने अपनी बाईं ओर छलांग लगाते हुए एक हाथ से कैच पकड़ा। रोहित शर्मा ने अपनी 28 रनों की पारी में 2 चौके और 3 गगनचुंबी छक्के लगाए। इस दौरान उन्होंने 35 ही गेंदें खेली। रोहित के बाद यशस्वी जायसवाल भी 26 के निजी स्कोर पर पवेलियन लौट गए। उन्हें भी युद्धवीर सिंह चरक ने पवेलियन का रास्ता दिखाया।