धर्म और आध्यात्म देश की ताक़त- उप मुख्यमंत्री शुक्ल
भोपाल
उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने कहा है कि धर्म और आध्यात्म देश की ताक़त है। त्याग और समर्पण हमारे समाज के आधारभूत स्तंभ है। भारत की इस ताक़त के आगे सभी देश नतमस्तक हैं। उप मुख्यमंत्री श्री शुक्ल मुरैना के सीहोनिया में श्री मज्जिनेंद्र पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव एवं विश्वशांति महायज्ञ समारोह में सम्मिलित हुए। उप मुख्यमंत्री श्री शुक्ल ने मंदिर में दर्शन कर प्रांगण का भ्रमण किया एवं जैन मुनिश्रीयों का आशीर्वाद प्राप्त किया। उन्होंने कहा कि चौबीसों तीर्थंकरों भगवान आदिनाथ स्वामी से लेकर महावीर स्वामी तक की परंपराओं एवं संस्कृति को आगे ले जाने का कार्य श्री वसुनंदी जी महाराज ने किया है। उनके दर्शन पा कर मैं कृतार्थ एवं गौरवान्वित हूँ।
उप मुख्यमंत्री श्री शुक्ल ने कहा कि देश का आर्थिक विकास काफ़ी तेज़ी से हो रहा है। विकास के इस दौर में संस्कार और भी प्रासंगिक हैं। भारतीय संस्कृति की ताक़त से युवाओं को आलोकित कर विकास को वरदान बनाना है। सतत विकास सुनिश्चित करने में आध्यात्म और नैतिकता की अहम भूमिका है। वसुनंदी जी महाराज के कहे अनुसार गौमाता की रक्षा एवं कुटीर उद्योगों को बढ़ावा मिले यह सोच बहुत जमीनी स्तर की है, हमारी सरकार गौवंश के संरक्षण एवं कुटीर उद्योगों को बढ़ावा देने के लिये तत्पर है। ये सभी लक्ष्य निःस्वार्थ भाव से प्राप्त करना तभी संभव है जब हम आध्यात्म के रास्ते चलकर अहिंसा के मार्ग पर चलेंगे।
उप मुख्यमंत्री श्री शुक्ल ने कहा कि जैन दर्शन नीचे देखकर चलना सिखाता है एवं इंसान को झुके रहने की सीख देता है। इस दर्शन में एक चींटी का जीवन भी अमूल्य है। महापुरूषों का समर्पण त्याग की पराकाष्ठा का एक अंश भी यदि हम अपने जीवन में उतार लें तो हमारा मानव जीवन सफल हो जाएगा। निःस्वार्थ भाव से हम प्रकृति की सेवा कर सकेंगे व जीवन को सफल बना सकेंगे। उन्होंने कहा कि प्राकृत भाषा के विकास के लिये महत्वपूर्ण कदम सरकार द्वारा उठाये जायेंगे।
उप मुख्यमंत्री श्री शुक्ल ने कहा कि सिहोनिया मंदिर स्थान ऐसा तीर्थ स्थान है जिसे वहीं बनाया गया है जहाँ पर पवित्र मूर्तियाँ प्राप्त हुई है। ऐसे स्थानों में भगवान का वास होता है। इन स्थानों के विकास से समाज भी विकसित होता है। उन्होंने कहा कि इस बड़े समारोह में 187 से ज्यादा प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा के संपन्न होने एवं प्रतिमायों की स्थापना होने से समाज का कल्याण होगा। मैं ख़ुद को बहुत सौभाग्यशाली समझता हूँ, जो मुझे यहाँ आने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।