मोटापा और रक्तचाप के बीच संबंध: कारण और प्रभाव
मोटापा आज के समय में अधिकतर लोगों की सबसे बड़ी समस्या है, जो अपने साथ और भी कई बीमारियों को लेकर आती हैं, जैसे कि डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर।
मोटापा लोगों में कई कारणों से हो सकता है, जैसे कि खराब डाइट, हाई कैलोरी का सेवन, शारीरिक गतिविधियों का कम होना तनाव और नींद की कमी आदि। वैसे भी आजकल हम सभी की लाइफस्टाइल बिगड़ ही रखी है।
ऐसे में मौजूदा समय में मोटापा और ब्लड प्रेशर संबंधी बीमारी सबसे ज्यादा देखने को मिल रही है। आइए जानते हैं इसके कारणों के बारे में और बचाव के उपायों के बारे में।
हाई ब्लड प्रेशर और बीएमआई
नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन की रिपोर्ट के अनुसार, बीएमआई और सिस्टोलिक-डायस्टोलिक रक्तचाप के बीच सीधा संबंध दिखाती है। इसी तरह रक्तचाप और बीएमआई के बीच सीधा संबंध देखा गया है।
मोटापा उच्च रक्तचाप का एक प्रमुख कारण है। फ्रेमिंघम हार्ट स्टडी की रिपोर्ट के अनुसार पुरुषों में लगभग 78 प्रतिशत और महिलाओं में 65 प्रतिशत उच्च रक्तचाप के मामलों को सीधे तौर पर मोटापे के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है।
मोटापे और ब्लड प्रेशर में संबंध
मोटापा और हाई ब्लड प्रेशर के बीच के संबंध के बारे में विज्ञान अभी भी अध्ययन कर रहा है, लेकिन कुछ कारणों से दोनों के बीच के अंतर देखा जा सकता है। मोटापा वजन बढ़ने का सीधा कारण हो सकता है, जो ब्लड प्रेशर को भी बढ़ा सकता है।
मोटापा और ब्लड प्रेशर की बात करें तो रिसर्च में पाया गया है कि शरीर का ब्लड फ्लो, वैसल्स डाइलेट और उसका कॉन्ट्रैक्ट असामान्य होने से परेशानी होती है।
ऐसा कैल्शियम सिग्नलिंग के कारण होता है। कैल्शियम आयन सेल्स के साथ बैलेंस बनाते हैं। मोटापे के शिकार लोगों में ब्लड वैसल्स में कैल्शियम सिग्नलिंग असामान्य हो जाता है।
मोटापा, ब्लड प्रेशर और किडनी में भी है कनेक्शन
मोटापा हाइपरटेंशन सहित कई बीमारियों के होने की सबसे बड़ी वजह है। क्योंकि ओबेसिटी के कारण हाइपरटेंशन की समस्या होने से सिंपैथेटिक नर्वस सिस्टम पर असर पड़ता है, इससे किडनी भी प्रभावित हो सकती है। मोटापे के कारण ब्लड प्रेशर बढ़ने से किडनी सही प्रकार से काम नहीं कर पाती है। मोटापा कंट्रोल करना ही सभी समस्याओं का उपाय है।
मोटापे, हृदय रोग और हृदय रोग
मोटापा न केवल उच्च रक्तचाप के जोखिम को बढ़ाता है, बल्कि इससे कई हृदय संबंधी समस्याओं का खतरा भी बढ़ जाता है। मोटापा कई हृदय संबंधित जोखिमों से भी जुड़ा हुआ है, जिनमें उच्च रक्तचाप के साथ कोरोनरी आर्टरी रोग, हार्ट फेलियर और टाइप 2 डायबिटीज शामिल हैं।