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निजी विद्यालयों के शिक्षकों, कर्मचारियों की आजीविका पर लगा प्रश्नचिन्ह?

इम्पेक्ट न्यूज. जगदलपुर।

कोरोना वैश्विक महामारी के कारण देश भर में लॉकडाउन का सबसे ज़्यादा दुष्प्रभाव निजी संस्थाओं के कर्मचारियों पर पड़ा है। इनमें भी सबसे ज़्यादा आहत निजी विद्यालयों के शिक्षक-कर्मचारी हैं। इनकी आजीविका पर आज प्रश्नचिन्ह लग गया है।

इसी प्रश्नचिन्ह के समाधान के लिए राज्य शासन से सामूहिक गुहार लगाने की योजना-निर्माण के उद्देश्य से बस्तर अंचल के अनेक निजी विद्यालयों के शिक्षक प्रतिनिधियों ने स्थानीय निर्मल विद्यालय में आज 26 जून को एक बैठक आयोजित की।

बैठक का मुख्य उद्देश्य अपनी जटिलताओं को शासन प्रशासन तक पहुँचाना है। इस बैठक में यह तथ्य उभर कर आये कि 18 मार्च को लॉकडाउन के समय तक अधिकांश कक्षाओं में शिक्षण कार्य पूर्ण हो चुका था। 10वीं, 12वीं की परीक्षाएं लगभग हो चुकी थीं। शेष कक्षाओं की परीक्षाओं की तैयारी पूर्ण हो चुकी थी। सत्र समाप्ति के करीब था।

लेकिन बहुत से पालकों ने सत्र 2019-20 का शिक्षण शुल्क जमा नहीं किया था, जो लॉकडाउन के कारणअप्राप्त ही रह गया। इससे विद्यालयों की आर्थिक स्थिति पर विपरीत प्रभाव पड़ा जिसका खामियाज़ा शिक्षकों को भुगतना पड़ा।

निजी विद्यालय अपने शिक्षकों को वर्तमान में 25 से 30 प्रतिशत वेतन ही दे पा रहे हैं और आगे की स्थिति अंधकारमय है। निजी विद्यालय के शिक्षक शासन के आदेशानुसार उनकी योजनाओं का पालन कर ऑनलाइन शिक्षण कार्य में संलग्न होकर जी जान से अपनी भूमिका उत्तरदायित्वपूर्ण ढंग से निभा रहे हैं।

पर वे इस बात से आशंकित हैं कि उनकी आवश्यकताओं की ओर शासन-प्रशासन का ध्यान कब होगा? निजी विद्यालयों में शिक्षण शुल्क ही एकमात्र आय का स्त्रोत होता है जिससे विद्यालय शिक्षकों के वेतन सहित अपने समस्त व्यय पूरे करता है।

ऐसे में यदि शासन के आदेशानुसार निजी विद्यालय शिक्षण शुल्क एकत्र नहीं करेंगे तो इन विद्यालयों के अस्तित्व के साथ इनके शिक्षकों-कर्मचारियों का जीवन घोर संकट में पड़ जायेगा।

आज की स्थिति में राज्य शासन, केंद्र शासन अपने शिक्षकों- कर्मचारियों को पूरा वेतन दे रहे हैं, राजस्व प्राप्ति के कार्य भी हो रहे हैं।बस्तर में स्थिति बेहद सामान्य होने से व्यापार एवम निर्माण कार्य भी सुचारू रूप से चल रहे हैं।

ऐसे में केवल निजी विद्यालयों के शिक्षण शुल्क लेने पर लगी रोक अतर्कसंगत है।
शिक्षा जैसे अतिमहत्वपूर्ण क्षेत्र के निजी विद्यालयों के साथ इस तरह की अतार्किकता शिक्षकों के साथ छात्रों पर भी विपरीत प्रभाव डालेगी।

शासन-प्रशासन इन सारी स्थितियों पर विनम्रतापूर्वक ध्यान देकर इस विषय का जल्द ही कोई उचित समाधान करे ।
जब तक शासन कोई ठोस निर्णय करे, तब तक निजी विद्यालयों को उन पालकों से शुल्क लेने की अनुमति दें जो स्वेच्छा से शिक्षण शुल्क जमा करना चाहते हैं, इसके साथ ही पिछले सत्र का बकाया शुल्क लेने का अधिकार भी दिया जाए।

बैठक में उपरोक्त बातों को मुख्यमंत्री, छत्तीसगढ़ शासन भूपेश बघेल एवम राज्य शिक्षा मंत्री प्रेमसाय टेकाम के संज्ञान में लाने के लिए एक ज्ञापन विधायक, जगदलपुर रेखचन्द जैन, एवम ज़िलाधीश बस्तर के माध्यम से प्रेषित करने का भी निर्णय किया गया।

यह बैठक इस विचार के साथ संपन्न हुई कि शासन – प्रशासन के साथ ही पालकों, सामाजिकों एवम मीडियाकर्मियों का अपने उद्देश्य के पक्ष में समर्थन के लिए लगातार प्रयास किये जायेंगे।

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