एमपी में लाखों कर्मचारियों का प्रमोशन नए ड्राफ्ट से अटका !
भोपाल
मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री की ओर से पदोन्नति की घोषणा के बाद मुख्य सचिव अनुराग जैन ने कर्मचारियों की अलग-अलग बैठकें लेकर राय जानी। दोनों संगठनों के पदाधिकारियों को सलाह दी कि लंबे समय से मामला अटका है। सरकार पदोन्नति देना चाहती है।
मुख्यमंत्री यह बात कह चुके हैं। ऐसे में छोटे-छोटे विषयों पर असहमति नहीं जतानी चाहिए, बल्कि दोनों तरफ से कुछ विषयों को छोड़कर आगे बढ़ना चाहिए, तभी बात बनेगी। ऐसा नहीं कर पाए तो हम सबको मुश्किल होगी।
2016 से अटकी
प्रदेश में 2016 से पदोन्नति नहीं हो पा रही है। लाखों कर्मचारी बगैर पदोन्नत हुए सेवानिवृत्त हो गए। क्रम जारी है। इसे देखते हुए सीएम ने अप्रेल में पदोन्नति की घोषणा की थी। इससे कर्मचारी जगत में खुशी का माहौल है। हाल में मंत्रालय परिसर में हुए सम्मान समारोह में भी सीएम ने बात दोहराई है, लेकिन नए ड्राफ्ट पर कुछ कर्मचारी संगठनों में सहमति नहीं बन पा रही।
सीएम पदोन्नति के नए नियम लागू करने से पहले लेंगे
मध्य प्रदेश सरकार पदोन्नति में आरक्षण की नौ साल पुरानी अड़चन खत्म करने का प्रयास कर रही है। नए नियमों का प्रारूप तैयार किया गया है। मुख्यमंत्री कर्मचारी संगठनों से इस पर बातचीत करेंगे। मानसून सत्र में प्रस्ताव पेश किए जाने की उम्मीद है। प्रदेश में नौ साल से रुकी पदोन्नति प्रक्रिया फिर से शुरू करने के लिए सरकार सक्रिय है। मुख्य सचिव अनुराग जैन की देखरेख में नए लोक सेवा पदोन्नति नियम बनाए गए हैं।
नौ साल से अटका प्रमोशन विवाद
एमपी में सरकारी कर्मचारियों की पदोन्नति को लेकर वर्षों से चला आ रहा आरक्षण विवाद अब हल की ओर बढ़ता दिख रहा है। मई 2016 से यह मुद्दा लंबित है, जब राज्य सरकार ने पदोन्नति से जुड़े आरक्षण नियम निरस्त किए थे। तब से अब तक न तो स्पष्ट नीति बनी, न ही न्यायिक गतिरोध पूरी तरह सुलझा।
कर्मचारियों से संवाद की तैयारी
सीएम मोहन यादव ने इस जटिल मुद्दे को संवेदनशीलता से लेते हुए अब सभी प्रमुख कर्मचारी संगठनों के साथ बैठक करने का फैसला किया है। उनका उद्देश्य एक सर्वमान्य प्रारूप पर आम सहमति बनाना है, जिससे कि बाद में कोई कानूनी अड़चन न खड़ी हो और सभी पक्षों को संतुष्ट किया जा सके।
मुख्य सचिव की निगरानी में बना नया प्रारूप
नई पदोन्नति नीति का मसौदा मुख्य सचिव अनुराग जैन की निगरानी में तैयार किया गया है। इसमें न्यायिक दिशा-निर्देशों, पूर्व के अनुभवों और कर्मचारियों के हितों को ध्यान में रखते हुए संतुलन बनाने की कोशिश की गई है। प्रारूप को मानसून सत्र में विधानसभा में प्रस्तुत किया जा सकता है।
सेवानिवृत्त हो चुके हैं एक लाख से अधिक कर्मचारी
2016 से अब तक प्रदेश के एक लाख से अधिक अधिकारी और कर्मचारी बिना प्रमोशन के ही सेवानिवृत्त हो चुके हैं। इस दौरान अस्थायी समाधान के रूप में उच्च पद का प्रभार देने की व्यवस्था की गई थी, लेकिन यह नीति सीमित दायरे में ही लागू हो पाई, जिससे व्यापक असंतोष पैदा हुआ।
पुरानी व्यवस्था ने बढ़ाई थी परेशानी
तत्कालीन शिवराज सरकार ने पदोन्नति विवाद का समाधान निकालने के लिए प्रयास जरूर किए थे। लेकिन नियमों के स्पष्ट अभाव और न्यायिक स्थगन के कारण सभी प्रयास निष्प्रभावी रहे। कई विभागों में कर्मचारियों को प्रमोशन की पात्रता होने के बावजूद अवसर नहीं मिला, जिससे शासन व्यवस्था भी प्रभावित हुई।
अब समाधान की उम्मीद
अब मुख्यमंत्री मोहन यादव के नेतृत्व में सरकार इस मसले को स्थायी समाधान देने की ओर अग्रसर है। कर्मचारी संगठनों से संवाद, सर्वमान्य नीति और विधानसभा में प्रस्ताव रखने की प्रक्रिया यह संकेत देती है कि राज्य सरकार इस विवाद को समाप्त कर एक नई और पारदर्शी प्रणाली लागू करना चाहती है।
सामान्य, पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक वर्ग अधिकारी कर्मचारी संस्था मध्य प्रदेश (सपाक्स)
-किसी भी वर्ग के क्रीमीलेयर के दायरे में आने वाले कर्मचारियों को पदोन्नति में आरक्षण न मिले।
-जिन्हें पदोन्नति मिल चुकी है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने रिवर्ट करने की बात कही थी, उनके मामले में स्टेटस को रखा जाए। ऐसे कर्मियों को पदोन्नत न किया जाए।
-जो आरक्षण का लाभ लेकर नौकरी में आए, उन्हें अनारक्षित पदों पर पदोन्नत न किया जाए।
मध्यप्रदेश अनुसूचित जाति जनजाति कर्मचारी संगठन (अजाक्स)
-2002 के नियम व सुप्रीम कोर्ट के सामने पेश गोरकेला प्रस्ताव से अलग जाकर पदोन्नति नहीं चाहते।
-पूर्व में जिन्हें पदोन्नति मिल चुकी है, उन्हें रिवर्ट न किया जाए।
-पहले अनारक्षित पदों के लिए डीपीसी हो, उसके बाद एसटी और फिर एससी के पदों के लिए प्रक्रिया शुरू की जाए।
ये प्रतिनिधि रहेंगे मौजूद
सीएस की बैठक में अजाक्स की ओर से एसएल सूर्यवंशी, मंत्रालय अजाक्स संघ के भगवानदास भकोरिया व सपाक्स की ओर से डॉ. केएस तोमर, राजीव खरे व अन्य ने हिस्सा लिया। सूत्रों के मुताबिक ज्यादातर बिंदुओं पर अजाक्स की ओर से सहमति दी गई। कई बिंदुओं पर सपाक्स ने सहमति नहीं दी। बताया जाता है कि ड्राफ्ट पर कर्मचारियों को दोबारा सुना जा सकता है। जिम्मेदारी एसीएस संजय दुबे को दी है।
कर्मचारियों को एक साथ नहीं मिलेगा डबल प्रमोशन का लाभ
कर्मचारियों को मिलेगा डबल प्रमोशन
जिन कर्मचारियों और अधिकारियों को पदोन्नति मिले 8 साल से अधिक का समय बीत चुका है, या फिर जिन्होंने साल 2014-15 के बाद ज्वाइन किया और उनकी समयावधि 8 साल पूरी हो चुकी है. ऐसे कर्मचारियों-अधिकारियों को सरकार डबल प्रमोशन का लाभ देगी. हालांकि मुख्यमंत्री ने साफ तौर पर कहा है कि कर्मचारियों को डबल प्रमोशन का लाभ तो मिलेगा, लेकिन एक साथ नहीं. सरकार की मंशा है कि इस वर्ष एक प्रमोशन देने के बाद दूसरा प्रमोशन उनको अगले वर्ष दिया जाए. जिससे कर्मचारियों की कमी न हो.
पदोन्नति का फार्मूला – 1
सामान्य प्रशासन विभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी ने पदोन्नति का सबसे पहले फार्मूला तैयार किया था. यह साल 2002 के पदोन्नति नियमों पर आधारित था. इस फार्मूले के आधार पर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति वर्ग के कर्मचारियों को पदोन्नति में आरक्षण दिया जाना प्रस्तावित है. वहीं मेरिट में आने पर आरक्षित समूह के कर्मचारी सामान्य पदों पर भी प्रमोशन पा सकेंगे.
पदोन्नति का फार्मूला – 2
सामान्य प्रशासन विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय दुबे ने वर्टिकल रिजर्वेशन के आधार पर प्रमोशन देने के लिए फार्मूला तैयार किया है. इसके तहत कर्मचारी की पहली पोस्टिंग जिस वर्ग समूह में हुई है, वह उसी श्रेणी में पदोन्नति का हकदार होगा. अन्य वर्ग के कर्मचारी उन पदों पर दावा नहीं कर सकेंगे, भले पद खाली ही क्यों न रहे.
पदोन्नति का फार्मूला – 3
सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि वर्टिकल रिजर्वेशन पर आधारित प्रमोशन के फार्मूले में संशोधन किए गए हैं. इसके अनुसार पहले अनुसूचित जनजाति वर्ग के पद भरे जाएंगे, फिर अनुसूचित जाति वर्ग के, और अंत में अनारक्षित वर्ग के पदों पर पदोन्नति होगी. यदि इन वर्गों के लिए आरक्षित पदों पर पात्र व्यक्ति नहीं मिलता है, तो वे पद रिक्त रहेंगे. प्रमोशन के लिए रिक्त पदों की संख्या के दोगुना के साथ 4 अतिरिक्त अभ्यर्थियों को बुलाया जाएगा.
जिन कर्मचारियों को पूर्व में प्रमोशन मिल गया है, उनमें से किसी को भी रिवर्ट नही किया जाएगा. क्लास वन ऑफिसर के लिए मेरिट कम सीनियरिटी के आधार पर और इसके नीचे के पदों के लिए सीनियरिटी कम मेरिट के आधार पर सूची बनाई जाएगी.
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट भी सुना चुका है फैसला
सामान्य, पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक वर्ग अधिकारी कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. केएस तोमर ने बताया "पदोन्नति में आरक्षण नियम 2002 लागू होने के बाद से अब तक प्रदेश के 60 हजार से अधिक अधिकारियों-कर्मचारियों को प्रमोशन का लाभ मिल चुका है. लेकिन जब इसे हाईकोर्ट 2016 में रद्द कर चुका है, तो ऐसे में इसकी वैधता कितनी है."
तोमर ने बताया कि अभी मध्य प्रदेश में प्रमोशन का कोई नियम नहीं है, लेकिन जैसे ही सरकार नए नियम बनाएगी, जो कर्मचारी गलत तरीके से प्रमोशन का लाभ ले रहे हैं, उनका डिमोशन करना होगा. हाईकोर्ट ने भी 31 मार्च 2024 के आदेश में कहा है कि 2002 के नियम के आधार पर जिन एससी-एसटी कर्मचारियों को प्रमोशन में आरक्षण का लाभ मिला है. उन सभी का डिमोशन किया जाएगा. हालांकि सरकार ऐसा करने से बचना चाहती है, इसलिए नए नियमों को ऐसा बना रही है. जिससे सबको समान रुप से पदोन्नति का लाभ मिल सके.