नर्सिंग सेवाओं में बीएससी अनिवार्य करने की तैयारी, 10 लाख सरकारी कर्मचारियों पर असर के चलते प्रस्ताव का विरोध शुरू
नई दिल्ली.
केंद्र सरकार पूरे देश में स्वास्थ्य सुविधाओं से जुड़ी सेवाओं के लिए एक बड़ा बदलाव करने जा रही है। इस बदलाव के पीछे स्वास्थ्य सुविधाओं की गुणवत्ता को बेहतर करने का आधार बताया जा रहा है। लेकिन केंद्र सरकार के इस आदेश के बाद न केवल नई भर्तियों पर असर पड़ेगा, बल्कि सेवारत सरकारी कर्मचारियों की पदोन्नति पर भी असर पड़ सकता है। यही कारण है कि इस बदलाव के आने के पहले ही स्वास्थ्यकर्मियों ने इसको लेकर विरोध जताना शुरू कर दिया है।
जानकारी के अनुसार, स्वास्थ्य मंत्रालय नर्सिंग सेवाओं की नौकरियों के लिए आवश्यक योग्यता को बढ़ाने पर गंभीरता से विचार कर रहा है। प्रस्तावित बदलाव के बाद जीएनएम स्तर की नर्सिंग सेवा करने के लिए अभ्यर्थियों को संबंधित एंट्री लेवल कोर्स पास करना होगा। वर्तमान जीएनएम को सीनियर नर्सिंग ऑफिसर बनने के लिए बीएससी होना अनिवार्य किया जा सकता है। अभी तक केवल अनुभव और संबंधित प्राथमिक योग्यता के आधार पर पदोन्नति कर दी जाती है। इसी प्रकार एएनएस स्तर का नर्सिंग कर्मचारी बनने के लिए अभ्यर्थियों को एमएससी स्तर की डिग्री होनी आवश्यक होगी। यह बदलाव केवल नई भर्तियों के लिए ही नहीं, बल्कि सेवारत कर्मियों की पदोन्नति पर भी लागू होगी। सेवारत कर्मचारियों का अनुमान है कि यदि प्रस्तावित बदलावों को कानून का शक्ल दे दिया जाता है तो इससे 99 फीसदी कर्मचारी पदोन्नति से वंचित हो जाएंगे। यही कारण है कि वे सरकार के इस संभावित आदेश का विरोध करने पर जुट गए हैं। ऑल इंडिया नर्सेज फेडरेशन ने इस संदर्भ में एक पत्र लिखकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा को अपनी आपत्तियों की जानकारी दी है। यदि केंद्र सरकार उनकी आपत्तियों को ध्यान में रखे बिना कोई आदेश पारित करती है, तो कर्मचारी आदेश के सामने आने के बाद नए विकल्पों पर भी विचार कर सकते हैं।
ऑल इंडिया नर्सेज फेडरेशन की अध्यक्ष जीके खुराना ने अमर उजाला से कहा कि उन्हें इस बात की जानकारी मिली है कि सरकार इन सेवाओं में योग्यता बढ़ाने पर गंभीरता से विचार कर रही है। जल्द ही यह प्रस्ताव एक आदेश के रूप में सामने आ सकता है। उन्होंने कहा कि नई भर्तियों पर योग्यता को बढ़ाने का आधार समझा जा सकता है, लेकिन वर्तमान कर्मचारियों की पदोन्नति पर यह संभावित आदेश समझ से बाहर है। उन्होंने कहा कि बीएससी का कोर्स चार साल का हो चुका है और एमएससी का कोर्स करने के लिए भी दो साल की आवश्यकता होती है।
जीके खुराना ने कहा कि सेवा में रहने वाले कर्मचारी के लिए यह संभव नहीं हो सकता कि वह दो साल या चार साल की छुट्टी लेकर पढ़ाई करे। स्वयं अस्पतालों के लिए भी मरीजों की सेवा के लिए आवश्यक नर्सों की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए सेवारत नर्सेज को इतनी लंबी छुट्टी देना संभव नहीं होगा। उन्होंने कहा कि सरकार को वर्तमान में सेवा में जुटे कर्मचारियों को पदोन्नति संबंधित नियमों में छूट देनी चाहिए। इससे स्वास्थ्य सेवाओं को अनुभवी कर्मचारियों का लाभ मिलेगा, जबकि कर्मचारियों को भी पदोन्नति का अवसर प्राप्त हो सकेगा।