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प्रशांत नायर, अंगद प्रताप, अजित कृष्णन… Gaganyaan मिशन के चारों एस्ट्रोनॉट्स दुनिया के सामने पेश

नई दिल्ली
 चांद और सूरज के बाद भारत एक बार फिर अंतरिक्ष पर इतिहास रचने को तैयार है। दरअसल भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ISRO अपने गगनयान मिशन पर काम रही है। चंद्रयान और आदित्य एल-1 की सफलता के बाद ये मिशन इसरो को और बुलंदियों पर पहुंचाएगा। गगनयान भारत का पहला मानव मिशन होगा। भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान लॉन्च होने वाला है। पीएम मोदी ने जब 2018 में भारत के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन, गगनयान की घोषणा की थी, तभी से संभावित अंतरिक्ष यात्रियों के नामों पर सस्पेंस बना हुआ है। अब हमारे सहयोगी संस्थान TOI के पास उनके नाम हैं।

चार अंतरिक्ष यात्री, सभी विंग कमांडर या ग्रुप कैप्टन हैं। इनके नाम हैं- प्रशांत बालकृष्ण नायर, अंगद प्रताप, अजीत कृष्णन और विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला। चारों लोग, जो बेंगलुरु में अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण सुविधा में ट्रेनिंग ले रहे हैं, मंगलवार को तिरुवनंतपुरम में इसरो के विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र में थे, जहां प्रधानमंत्री मोदी उन्हें दुनिया के सामने पेश किया। हमारे सहयोगी संस्थान टीओआई ने जुलाई 2019 में सबसे पहले बताया था कि गगनयान के सभी चयनित अंतरिक्ष यात्री टेस्ट पायलट होंगे, क्योंकि यह भारत का पहला अंतरिक्ष उड़ान मिशन है। अपने विशेषज्ञता के कारण, टेस्ट पायलटों को आमतौर पर उस हर चीज का अध्ययन करने के लिए कहा जाता है जो पहले कभी नहीं आजमाई गई चीज में गलत हो सकती है।

चर्चा में क्यों ग्रुप कैप्टन नायर?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज तिरुवनंतपुरम के विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) का दौरा किया। साथ ही भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के महत्वाकांक्षी गगनयान मिशन के लिए प्रशिक्षण ले रहे चार टेस्ट पायलटों के नामों की घोषणा की। केरल के लिए गौरव की बात यह है कि इन चार टेस्ट पायलटों में से एक, ग्रुप कैप्टन प्रशांत बी. नायर, केरल से ही ताल्लुक रखते हैं। सूत्रों के मुताबिक, वह पिछले कुछ सालों से इस मिशन के लिए रूस में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे थे। अब वह भारत सरकार के अंतरिक्ष विभाग (इसरो) की एक इकाई में इस मिशन की बारीकियों को समझ रहे हैं।

कैसे चुने गए 4 जांबाज?

अंतरिक्ष यात्री बनने के लिए आवेदन करने वाले बहुत से टेस्ट पायलटों में से, 12 लोगों को सितंबर 2019 में बेंगलुरु में हुए पहले चरण के चयन में सफलता मिली। यह चयन भारतीय वायु सेना (IAF) के अधीन आने वाले इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोस्पेस मेडिसिन (IAM) द्वारा किया गया था। कई चरणों के चयन के बाद, IAM और इसरो ने अंतिम 4 लोगों को चुना। 2020 की शुरुआत तक, इसरो ने चारों को शुरुआती प्रशिक्षण के लिए रूस भेजा, जो कोविड-19 के कारण कुछ देरी के बाद 2021 में पूरा हुआ। उसके बाद से चारों को कई एजेंसियों और सशस्त्र बल की ओर से ट्रेनिंग दी जा रही है। इसरो अपने मानव अंतरिक्ष उड़ान केंद्र (HSFC) को प्रशिक्षण के लिए विभिन्न सिमुलेटरों से लैस करने पर काम कर रहा है। वे फिट रहने के लिए IAF के साथ नियमित रूप से उड़ान भरना जारी रखते हैं।

कब लॉन्च होगा गगनयान मिशन?

इसरो के गगनयान मिशन साल 2025 तक लॉन्च होगा। हालांकि इसके शुरुआती चरणों को इसी साल यानी 2024 तक पूरा किया जा सकता है। इसमें दो मानवरहित मिशन को अंतरिक्ष में भेजना शामिल है। जब ये मिशन सफल होंगे उसके बाद ही एस्ट्रोनॉट को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा।

गगनयान मिशन क्या है?

गगनयान मिशन ISRO द्वारा विकसित भारत के मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। गगनयान मिशन भारत का पहला मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन है। इस मिशन के तहत 4 चालक दल के सदस्यों को 400 किलोमीटर की कक्षा में तीन दिनों के मिशन के लिए लॉन्च करना और उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाना है। इसरो ने इस मिशन की टेस्टिंग पिछले साल की थी। वहीं बुधवार को इसरो ने इसके क्रायोजेनिक इंजन की टेस्टिंग की। इस मिशन में HSFC (ह्यूमन स्पेस फ्लाइट सेंटर) का खास योगदान है।गगनयान देश का पहला मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन है, जिसके तहत चार अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। इस मिशन को अगले साल के आखिर या 2025 की शुरुआत तक भेजा जा सकता है। 2024 में मानव रहित परीक्षण उड़ान अंतरिक्ष में भेजने का लक्ष्य है, जिसमें एक व्योममित्र रोबोट भेजा जाएगा। गगनयान मिशन का उद्देश्य तीन दिवसीय गगनयान मिशन के लिए 400 किलोमीटर की पृथ्वी की निचली कक्षा पर मानव को अंतरिक्ष में भेजना और उन्हें सुरक्षित पृथ्वी पर वापस लाना है।

रूसी मिशन सोयुज एमएस-10 मिशन को 11 अक्तूबर 2018 को लॉन्च किया गया था। इस मिशन में रूसी एजेंसी रोस्कोस्मोस ने अपने सदस्य अलेक्सेय ओवचिनीन और नासा ने अपने सदस्य निक हेग को भेजा था। टेक-ऑफ के बाद मिशन कंट्रोल ने घोषणा की कि एक बूस्टर फेल हो गया। 35 वर्षों में पहली बार हुआ जब कोई रूसी बूस्टर असफल हुआ लेकिन क्रू लॉन्च एस्केप सिस्टम की वजह से क्रू बचने में सफल रहे। लॉन्चिंग के बाद क्रू कैप्सूल को लॉन्च व्हीकल से अलग कर लिया गया था। यही वजह है कि इसरो ने रूस के अनुभव से सीख ली है कि मानव मिशन में क्रू की सुरक्षा सर्वोपरी होनी चाहिए।

 

गगनयान के सफल होते ही खास सूची में शामिल हो जाएगा भारत
गगनयान मिशन सफल होता है, तो भारत उन देशों की एक खास सूची में शामिल हो जाएगा, जिन्होंने खुद चालक दल अंतरिक्ष यान लॉन्च किया है। वर्तमान में ऐसा मुकाम हासिल करने वाले देश केवल अमेरिका, रूस और चीन ही हैं। कैप्टन राकेश शर्मा अंतरिक्ष मे जाने वाले भारत के पहले व्यक्ति हैं। 1984 में इसरो और रूस के इंटरकस्मिक कार्यक्रम के एक संयुक्त अंतरिक्ष अभियान के अंतर्गत राकेश शर्मा आठ दिन तक अंतरिक्ष में रहे। राकेश उस समय भारतीय वायुसेना के स्क्वाड्रन लीडर और विमान चालक थे। वहीं कल्पना चावला अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के जरिए अंतरिक्ष जाने वाली भारतीय मूल की पहली महिला थीं। उनके अलावा सुनीता विलियम्स अंतरिक्ष जाने वाली दूसरी भारतवंशी महिला हैं।