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पीने के पानी में जहर… गुर्दा हो रहा खराब… जवानी में बुढ़ापा झांक रहा…

पी.रंजन दास. बीजापुर।

गरियाबंद जिले के सुपबेड़ा में किडनी रोग की भयावहता की चर्चा प्रदेश ही नही बल्कि पूरे देश मे रही है। सुपबेड़ा में किड्नी रोगग्रस्त पीड़ितों को राहत दिलाने कोशिशो के बीच बस्तर में भी एक ऐसा गाँव सामने आया है, जिसे सुपबेड़ा की तरह उसके हाल पर छोड़ दिया गया है।

भोपालपटनम से लगा लोहार पारा ऐसा गाँव है, जहाँ किडनी रोग से पीड़ितों की संख्या साल दर साल बढ़ रही है। किडनी फेलियर के कारण कई लोग काल कवलित भी हो चुके है।

महाराष्ट्र की सीमा और इंद्रावती के तट पर बसे भोपालपटनम ब्लाक के गोटाइगुड़ा पंचायत के लोहारपारा में गत डेढ़ दशक में 15 मौतें हुई है। ग्रामीणों का दावा है कि मौतें किडनी फेलियर से हुई है। जबकि स्वास्थ्य विभाग जांच के अभाव में मौतों का तथ्यात्मक आधार बता पाने में असमर्थ है। विभाग का तर्क है कि मौतों के अलग अलग कारण हो सकते है और यह जांच का विषय भी है।

कारणों का पता लगाने स्वास्थ्य विभाग की टीम जल्द ही गाँव मे कैम्प करेगी

जिला मुख्यालय से 50 किलोमीटर दूर लोहारपारा हाल में हुई दो मौतों के बाद चर्चा में है। सीएमएचओ डॉ बी आर पुजारी का कहना है कि मृतकों में एक डायलिसिस पर था, वही दूसरा अत्यधिक मदिरापान का आदि था। हालांकि दोनों मौतों के बाद स्वास्थ्य अमला भी हरकत में आया है। अब स्वास्थ्य अमला सुपबेड़ा की तरह अपने हाल पर छोड़े गए लोहारपारा कि सुध लेने की बात कह रहा है। डॉ पुजारी के मुताबिक प्रशासन के निर्देशन में जरूरी एक्शन लिया जाएगा।

जिला पंचायत सदस्य बसन्त राव टाती का कहना है कि भोपालपटनम इलाके में गेर्रा गुड़ा नामक गाँव फ्लोराइड की चपेट में है। लोहारपारा में फ्लोराइड के अलावा पीने के पानी मे आयरन की अधिकता हो सकती है, जो किडनी रोग का कारण बनी हुई है। मृतकों की फेहरिस्त भी लम्बी है। जितनी भी मौतें हुई है 35 से 60 आयु वर्ष की अवधि में हुई है। दावा किया गया है कि ये मौते किडनी फेलियर की वजह से हुई है। मृतकों में कोतरँगी चन्द्रिया, रामैया लम्बाड़ी,दुगुबाईं लम्बाड़ी,तोतापल्ली जेचन्ना, लम्बाड़ी कांदै या,लम्बाड़ी प्रेम,लम्बाड़ी गोपाल,तोतापल्ली स्वर्णा,लम्बाड़ी सोम्बाई,वासम समैया,पोसाघण्टी बद्री,मोरला सामैया,पोसाघण्टी राजू,कोटरँगी तारकेष, जबकि तीन अन्य का इलाज जारी है।

यहां जवानी में बूढ़ापा

भोपालपटनम का गेर्रा गुड़ गाँव, जो फ्लोराइड की चपेट में है, इसकी वजह से इस गाँव की लगभग आबादी अस्थि भंगुर रोग की जद में है, नतीजतन यहां जवानी बुढ़ापे में बदल रही है। लोहारपारा के बाशिन्दे भी किडनी रोग के लिए पानी मे फ्लोराइड, आयरन की अधिकता को जिम्मेदार ठहराते इसकी शिकायत वर्षो से कर रहे है, बाबजूद गाँव की सुध लेने की जहमत प्रशासन ने कभी नही उठाई।

पानी में आयरन का भी प्रभाव

टाती की माने तो किडनी रोग के कई मामले आ चुके है, लेकिन इसके ठोस कारणों का पता अब तक नही लगाया जा सका है। एक बारगी यह पानी में आयरन की अधिकता से ऐसा होना मालूम पड़ता है। हालांकि इलाके के 16 गाँवो तक शुद्ध पेयजलापूर्ति हेतु तिमेड में नल जल योजना के तहत मेगा वाटर प्रोजेक्ट पर दीर्घावधि से काम चल रहा है। योजना पूरी होती है तो लोहारपारा के बाशिंदों को किडनी रोग से मुक्ति मिल सकेगी।

किडनी रोग पीड़ितों की संख्या में इजाफा हो रहा है। पानी मे आयरन, फ्लोराइड की अधिकता की आशंका पर पानी की जांच भी कराई जा चुकी है। पानी स्वच्छ है, लेकिन किडनी सम्बंधी रोग के मामले बढ़ने के असल कारण का अब तक पता नही लग पाया है। – सीताराम तोडेम/सरपंच/गोटाइगुड़ा

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