छत्तीसगढ़-बीजापुर में छात्राओं की मलेरिया से मौत पर आक्रोश, सर्व आदिवासी समाज ने मांगा 50-50 लाख का मुआवजा
बीजापुर.
बीजापुर जिले के भोपालपट्टनम विकासखंड अंतर्गत आवासीय विद्यालय तारलागुड़ा और संगमपल्ली की छात्राओं की मलेरिया से मौत पर सर्व आदिवासी समाज ने इसे शासन प्रशासन की लापरवाही करार देते हुए कारवाई और मुआवजे की मांग की है। सर्व आदिवासी समाज जिला बीजापुर के प्रवक्ता सालिक नागवंशी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि शुक्रवार को तारलागुड़ा पोटा केबिन की कक्षा दूसरी की छात्रा की मौत मेडिकल कॉलेज जगदलपुर में होने की जानकारी मीडिया से मिलने जिला अध्यक्ष जग्गूराम तेलामी द्वारा वस्तुस्थिति और वास्तविकता जानने के लिए सर्व आदिवासी समाज के उपाध्यक्ष अनिल पामभोई के नेतृत्व में शनिवार और रविवार को दल भेजा गया था।
परिजनों और पोटाकेबिन के कर्मियों से चर्चा में जो बात सामने आई है वह अधीक्षकों की लापरवाही को स्पष्ट करता है। चर्चा में पता चला है कि छात्राओं को मच्छरदानी वितरण नहीं किया गया था। इसके अलावा सत्र शुरू होने से पूर्व मच्छर रोधी दवा का छिड़काव और जल निकासी सहित छोटे मरम्मत जैसे कार्य भी नहीं किए गए।तारलागुड़ा की छात्रा को मलेरिया बुखार में झटके आने के बाद भी गंभीरता से न लेते हुए परिजनों को बुला कर उन्हें इलाज के लिए सौंप दिया गया था। ब्लॉक के संगमपल्ली पोटा केबिन की छात्रा की जान भी मलेरिया से गई। वहां भी मच्छरदानी बच्चों को नहीं दिया गया और न ही मलेरिया रोधी दवा का छिड़काव किया गया था। आदिवासी समाज के नेता नागवंशी ने कहा कि आदिवासी सीएम विष्णुदेव सरकार में पोटा केबिन के रहवासी आदिवासी छात्रों का जीवन खतरे में मालूम पड़ता है। यह भी पता चला है कि बिना किसी कारण के हाल ही में राजनैतिक प्रभाव के चलते पूर्व अधीक्षकों को हटा कर नए लोगों को प्रभार सौंपा गया है। दोनों आदिवासी छात्राओं की मौत के लिए जिम्मेदारी तय कर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए और मृतकों के परिजनों को 50-50 लाख का मुआवजा दिया जाए।