पृथ्वीराज सुकुमारन की फिल्म द गोट लाइफ की ओटीटी रिलीज का एलान, 19 जुलाई को नेटफ्लिक्स पर होगी प्रीमियर
मुंबई,
साउथ सुपरस्टार पृथ्वीराज सुकुमारन की फिल्म आडुजीविथम: द गोट लाइफ मार्च में रिलीज हुई और तुरंत ही बॉक्स ऑफिस पर हिट हो गई। फिल्म को आलोचकों और फिल्म प्रेमियों से सकारात्मक समीक्षा मिली, जो अब तक की तीसरी सबसे ज्यादा कमाई करने वाली मलयालम फिल्म बन गई। अब तक, यह 2024 की दूसरी सबसे ज्यादा कमाई करने वाली मलयालम फिल्म है।
फिल्म ने सिनेमाघरों में शानदार प्रदर्शन किया और इसे हटाए जाने के तुरंत बाद फिल्म प्रेमी इसके ओटीटी पर आने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। वहीं अब दर्शकों के लिए बड़ी खुशखबरी सामने आई है। जो लोग सिनेमाघरों में फिल्म देखने से चूक गए हैं, वे इसके ओटीटी रिलीज का इंतजार कर रहे थे। आखिरकार अब उनके इंतजार खत्म होने का समय आ गया है, क्योंकि निर्माताओं ने आडुजीविथम: द गोट लाइफ की ओटीटी रिलीज की तारीख से पर्दा उठा दिया है। निर्माताओं ने आधिकारिक एलान कर खुलासा किया है कि यह फिल्म इस महीने ओटीटी पर दस्तक देने आ रही है। मलयाली अप्रवासी मजदूर नजीब की वास्तविक जीवन की कहानी पर आधारित यह सर्वाइवल ड्रामा 19 जुलाई को नेटफ्लिक्स पर प्रीमियर के लिए तैयार है। यह फिल्म पांच क्षेत्रीय भाषाओं मलयालम, तमिल, तेलुगु, कन्नड़ और हिंदी में उपलब्ध होगी। नेटफ्लिक्स के आधिकारिक इंस्टाग्राम पेज ने फिल्म का पोस्टर जारी किया। कैप्शन में लिखा गया, साहस, उम्मीद और अस्तित्व की कहानी। इधु नजीबिंते अथिजीवन कथा।
आडुजीविथम 19 जुलाई को मलयालम, तमिल, तेलुगु, कन्नड़ और हिंदी में नेटफ्लिक्स पर आ रही है। कहानी की बात करें तो यह फिल्म मलयाली अप्रवासी मजदूर नजीब पर आधारित है, जो उन हजारों भारतीयों में से एक है, जिन्हें सऊदी अरब में रेगिस्तान में एकांत खेतों में बकरी चराने के लिए मजबूर किया गया था। पृथ्वीराज के अलावा फिल्म में जिमी जीन-लुई और केआर गोकुल भी मुख्य भूमिकाओं में हैं। फिल्म को शुरू में यूएई के अलावा जीसीसी देशों में प्रतिबंधित कर दिया गया था, बाद में कुवैत और सऊदी अरब को छोड़कर सभी देशों में प्रतिबंध हटा दिया गया था। फिल्म ने अब तक 160 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई की है। द गोट लाइफ मलयालम साहित्यिक दुनिया के अब तक के सबसे लोकप्रिय बेस्टसेलर उपन्यास आडुजीविथम पर आधारित है, जिसका विदेशी सहित 12 विभिन्न भाषाओं में अनुवाद किया गया है। मशहूर लेखक बेन्यामिन द्वारा लिखित यह एक युवक नजीब के जीवन की सच्ची कहानी है, जो 90 के दशक की शुरुआत में विदेश में भाग्य की तलाश में केरल के हरे-भरे तटों से पलायन करता है।