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BJP के दबदबे वाले राज्यों में विपक्ष को अच्छे रिजल्ट की आस, जरूरी बहुमत वाली सीटों पर वोटिंग से बन रहे नए समीकरण

नई दिल्ली.

लोकसभा चुनाव का चौथा चरण चौखट पर है और विपक्ष भी अब संख्या की बात खुलकर करने लगा है। बहुमत के जादुई आंकड़े से भाजपा की अगुवाई वाले एनडीए को दूर रखने के लिए विपक्ष कर्नाटक, तेलंगाना, केरल, तमिलनाडु सहित दक्षिण के अपने गढ़ के अलावा हरियाणा, यूपी, बिहार सहित कई राज्यों में बेहतर प्रदर्शन की आस में है।

यह भी उम्मीद जताई जा रही है कि जिन राज्यों में भाजपा ने शत-प्रतिशत प्रदर्शन किया था वहां इस बार विपक्ष सेंधमारी जरूर करेगा। दावे में कितनी सचाई है यह तो बाद में पता चलेगा, लेकिन विपक्ष का उत्साह बचे हुए चरणों में लड़ाई को और रोचक बना रहा है। पिछले चुनाव के परिणामों पर नजर डालें तो उत्तर भारत में जहां एनडीए दमदार दिख रहा था, वहीं, दक्षिण भारत में इंडिया का किला मजबूत दिख रहा है। हालांकि जानकारों का कहना है कि हर चुनाव का अपना अलग गणित होता है इसलिए इस बार कई उलटफेर की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है।

हरियाणा, राजस्थान समेत कई राज्यों में विपक्ष को उम्मीद
जानकारों का कहना है कि गुजरात 26 सीट, राजस्थान 25 सीट, मध्य प्रदेश 29 सीट, उत्तराखंड 5 सीट, दिल्ली 7 सीट, यूपी 80 सीट, छत्तीसगढ़ 11 सीट, हरियाणा 10 सीट वाले राज्यों में भाजपा का दबदबा रहा है। लेकिन इस बार हरियाणा , राजस्थान सहित कई राज्यों में विपक्ष को भाजपा का सक्सेस रेट कम और अपना बढ़ता दिख रहा है। इनमें से ज़्यादातर जगहों पर चुनाव हो चुका है। दिल्ली और हरियाणा में चुनाव होना बाकी है। यूपी की भी कई सीटों पर मतदान होना बाकी है।

बहुमत के लिए जरूरी सीटों पर मतदान संपन्न
पिछले परिणामों के लिहाज से कर्नाटक को छोड़ दें तो दक्षिण में इंडिया गठबंधन मजबूत नजर आ रहा है। तमिलनाडु, केरल से लेकर तेलंगाना में कांग्रेस, डीएमके और वाम दल भाजपा पर भारी पड़ते दिख रहे हैं। लेकिन बीजेपी को कर्नाटक के साथ तेलंगाना और आंध्र में गठबंधन के साथ बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है। जबकि तमिलनाडु में भी खाता खोलने का दावा भाजपा द्वारा किया जा रहा है। तेलंगाना और आंध्र में चौथे चरण में चुनाव होना है। बहुमत के लिए जरूरी सीटों पर अब तक चुनाव हो चुका है। इसमें कौन कितना भारी पड़ेगा यह कहना मुश्किल है लेकिन सियासी जानकारों का कहना है कि अब तक जो भी फीडबैक मिला है उससे साफ है कि कोई भी पक्ष आश्वस्त नहीं है और जमीन पर कोई लहर नहीं नजर आ रही है।