National News

फिर एक बार चर्चा में प्‍लास्टिक के नोट… क्‍या है सरकार का प्‍लान, फायदे-नुकसान, जानें सबकुछ

नई दिल्‍ली
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 2018 में प्लास्टिक के नोटों पर एक अध्ययन शुरू किया था। इसके बाद से इनके शुरू होने को लेकर बार-बार चर्चा होती रही है। दोबारा इसकी सुगबुगाहट बढ़ी है। हालांकि, सरकार ने कह दिया है कि उसने प्लास्टिक नोट लाने का कोई निर्णय नहीं लिया है। नकली नोटों पर अंकुश लगाने की कवायद के बीच ऐसी अटकलें थीं कि सरकार प्‍लास्टिक के नोट शुरू कर सकती है। वैसे, कई ऐसे देश हैं जहां प्‍लास्टिक के नोट चलते हैं। इन प्‍लास्टिक के नोटों के कुछ फायदे तो कुछ नुकसान भी हैं। आइए, यहां जानते हैं कि सरकार का इसे लेकर क्‍या रुख है? किन देशों में प्‍लास्टिक के नोट चलते हैं? इनके नफे-नुकसान क्‍या हैं?
 

क्‍या है सरकार का रुख?
वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने राज्‍यसभा में जानकारी दी कि सरकार ने प्लास्टिक नोट लाने का कोई फैसला नहीं किया है। उन्होंने राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में कहा कि बैंक नोटों की ड्यूरेबिलिटी और नकली करेंसी से निपटने के लिए हमेशा ही कोशिशें जारी रहती हैं। मंत्री ने आरबीआई की वार्षिक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा,'2022-23 के लिए सिक्‍योरिटी प्रिंटिंग पर कुल खर्च 4,682.80 करोड़ रुपये था। प्लास्टिक नोटों की छपाई पर कोई लागत नहीं आई है।' एक अन्य सवाल के जवाब में चौधरी ने कहा कि क्रिप्टो एसेट्स सहित किसी भी प्रकार की संपत्ति का इस्‍तेमाल करके अवैध वस्तुओं का व्यापार करना अपराध है। मौजूदा दंडात्मक प्रावधानों के अनुसार इससे निपटा जाता है।

कहां चलते हैं प्‍लास्टिक के नोट?
दुनिया में लगभग 23 देशों में प्लास्टिक के नोट चलते हैं। इनमें से 6 देशों ने अपने सभी नोटों को प्लास्टिक के नोटों में बदल दिया है:

देश वर्ष
ऑस्ट्रेलिया 1988 (पहला देश)
न्यूजीलैंड 1999
रोमानिया 2005
पापुआ न्यू गिनी 1975
वियतनाम 2003
ब्रुनेई 2004

अन्य देश जिनमें प्लास्टिक नोटों के साथ कागज के नोट भी चलते हैं:
– ब्राजील
– चीन
– हांगकांग
– इंडोनेशिया
– इजरायल
– लेबनान

– मलेशिया
– मैक्सिको
– नेपाल
– निकारागुआ
– पोलैंड
– सिंगापुर
– श्रीलंका
– थाईलैंड
– यूक्रेन
– उरुग्वे

प्लास्टिक नोटों के फायदे
– वे टिकाऊ होते हैं और जल्दी खराब नहीं होते।
– नमी और गंदगी से बचे रहते हैं।
– उन्हें जाली बनाना मुश्किल होता है।

प्लास्टिक नोटों के नुकसान

– कागज के नोटों की तुलना में अधिक महंगे होते हैं।
– उन्हें रीसाइकिल करना मुश्किल होता है।
– पर्यावरण के लिए हानिकारक हो सकते हैं।

कब शुरू हुई भारत में चर्चा?
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 2018 में प्लास्टिक के नोटों पर एक अध्ययन शुरू किया था। इसके बाद से भारत में इन्‍हें शुरू करने की संभावनाओं को देखा रहा है।