अब उज्जैन और बुरहानपुर में भी हो सकेगा अंग प्रत्यारोपण, ऑर्गन एंड टिशू ट्रांसप्लांट आर्गेनाइजेशन ने दी अनुमति
भोपाल
मध्य प्रदेश में अब तक लोगों को अंग प्रत्यारोपण यानी ऑर्गन ट्रांसप्लांट के लिए भोपाल, इंदौर जैसे बड़े शहरों की ओर रुख करना पड़ता था, लेकिन अब छोटे जिलों में भी यह सुविधा शुरू होने जा रही है। इन जिलों में अंगदान के बाद प्रत्यारोपण हो सकेगा। उज्जैन और बुरहानपुर में जल्द ही किडनी प्रत्यारोपण की सुविधा शुरू होने जा रही है। इसके लिए वहां के निजी अस्पतालों को स्टेट ऑर्गन एंड टिशू ट्रांसप्लांट आर्गेनाइजेशन (सोटो) ने अनुमति जारी कर दी है। इससे पहले रीवा और जबलपुर के अस्पतालों में भी प्रत्यारोपण शुरू हो चुका है।
एमजीएम मेडिकल कॉलेज में पिछले माह आयोजित प्रत्यारोपण समन्वयक प्रशिक्षण कार्यक्रम के कारण संभव हो पाया है। यहां प्रदेशभर के सभी जिलों के साथ ही छत्तीसगढ़, राजस्थान, गुजरात से भी प्रत्यारोपण समन्वयक प्रशिक्षण प्राप्त करने आए थे। इसमें नेशनल ऑर्गन एंड टिशू ट्रांसप्लांट आर्गेनाइजेशन (नोटो) के डायरेक्टर डा. अनिल कुमार भी शामिल हुए थे।
बढ़ेगी अंगदान की प्रवृत्ति
अधिकारियों ने बताया कि छोटे जिलों में अंग प्रत्यारोपण की सुविधा होने से अंगदान को बढ़ावा मिलेगा। वहां जो भी ब्रेन डेड मरीज अस्पताल में होंगे, वहां की कोऑर्डिनेटर टीम उनके परिवार के लोगों से चर्चा करेगी। उन्हें अंगदान का महत्व समझाएगी, क्योंकि अब तक ऐसे मरीजों को अंगदान के लिए बड़े शहरों में भेजना पड़ता था।
नहीं बिकते हैं अंग
अधिकारियों ने बताया कि लोगों में अभी भी भ्रांतियां हैं कि अंगों को बेच दिया जाता होगा, लेकिन जागरूक होना होगा कि ऐसा नहीं होता है, क्योंकि सभी ऑनलाइन पोर्टल पर दर्ज होता है। यहां जो सूची बनती है, उसी के हिसाब से अंगों को दिया जाता है। सूची में जिसका नाम ऊपर है और वह कहीं दूर है तो दूसरे नंबर वाले को अंग दिया जाता है। इसलिए लोगों को अंगदान के प्रति जागरूक होकर आगे आना चाहिए, ताकि बीमार व्यक्ति को नया जीवन मिल सके।
इन अंगों का हो सकता है दान
अगर आप चाहें तो जीवित रहते हुए यह सहमति दे सकते हैं कि मृत्यु के बाद मेरे इन अंगों का दान ले लिया जाए। दान किए जा सकने वाले अंगों में कार्निया, हृदय के वाल्व, हड्डी, त्वचा जैसे ऊतकों को प्राकृतिक मृत्यु के बाद दान किया जा सकता है। हृदय, यकृत, गुर्दे, फेफड़े और अग्नाशय जैसे अन्य महत्वपूर्ण अंगों को केवल ब्रेनडेड के मामले में ही दान किया जा सकता है।