अब महुआ मोइत्रा से बलपूर्वक सरकारी बंगला भी छीना जाएगा, फिर भेजा गया नोटिस
नई दिल्ली
टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा की मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं. दिसंबर 2023 में पहले लोकसभा से निष्कासित किया गया. अब महुआ को अपना सरकारी बंगला तुरंत खाली करने के लिए कहा गया है. इस संबंध में मंगलवार को संपदा निदेशालय की तरफ से आदेश जारी किया गया है. विभाग ने कहा है कि बंगला खाली करने के लिए एक महीने का समय दिया गया. कोर्ट जाने का मौका भी दिया. लेकिन, वहां से राहत नहीं मिली. ऐसे में अब अगर बंगला खाली नहीं किया तो बलपूर्वक खाली करा लिया जाएगा.
इससे पहले सरकारी बंगले का आवंटन रद्द होने के बाद महुआ को 7 जनवरी तक घर खाली करने के लिए कहा गया था. लेकिन, जब यह बंगला खाली नहीं किया गया तो 8 जनवरी को संपदा निदेशालय ने एक नोटिस जारी किया था और तीन दिन के अंदर जवाब मांगा था कि उन्होंने (महुआ) अपना सरकारी आवास खाली क्यों नहीं किया? उसके बाद 12 जनवरी को महुआ को तीसरा नोटिस भी जारी किया गया. महुआ को यह बंगला बतौर सांसद आवंटित किया गया था. लेकिन, 8 दिसंबर 2023 को सांसदी जाने के बाद इसका आवंटन भी रद्द कर दिया गया था.
'अब बंगले की पात्र नहीं रहीं'
संपदा निदेशालय ने मंगलवार को महुआ को बेदखली नोटिस दिया है. विभाग ने 9B टेलीग्राफ लेन का टाइप 5 बंगला तुरंत खाली करने का निर्देश दिया. नोटिस में कहा गया कि अगर महुआ मोइत्रा ने बंगला खाली नहीं किया तो बलपूर्वक खाली कराया जाएगा. नोटिस के मुताबिक संसद सदस्यता छिनने के बाद अब वे इस बंगले की पात्र नहीं रहीं. नियम अनुसार उन्हें एक महीने का समय दिया गया था. इस बीच उन्होंने अदालत का भी सहारा लिया था. लेकिन वहां से राहत नहीं मिली. लिहाजा वे तुरंत बंगला खाली कर दें. संपदा निदेशालय के अधिकारियों की एक टीम अब यह सुनिश्चित करने के लिए भेजी जाएगी कि सरकारी बंगला जल्द से जल्द खाली कराया जाए.
'दिल्ली हाईकोर्ट ने संपदा निदेशालय से आग्रह के लिए कहा था'
दरअसल, मामले में महुआ ने दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया था. 4 जनवरी को दिल्ली हाई कोर्ट ने महुआ से कहा था कि वो संपदा निदेशालय से संपर्क कर अनुरोध करें कि उन्हें आवंटित सरकारी आवास में रहने की अनुमति दी जाए. कोर्ट ने मोइत्रा को अपनी याचिका वापस लेने की अनुमति दी और कहा कि उसने मामले के गुण-दोष पर कोई टिप्पणी नहीं की है. संपदा निदेशालय को मामले पर फैसला करना चाहिए. कानून किसी निवासी को बेदखली से पहले नोटिस जारी करने का आदेश देता है और सरकार को कानून के अनुसार याचिकाकर्ता को बेदखल करने के लिए कदम उठाना होता है.
'महुआ अनैतिक आचरण की दोषी'
गौरतलब है कि महुआ मोइत्रा को कारोबारी दर्शन हीरानंदानी से कथित तौर पर उपहार लेने और उनके साथ संसद की वेबसाइट का यूजर आईडी और पासवर्ड साझा करने का दोषी पाया गया है. एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर लोकसभा ने एक्शन लिया और पिछले साल 8 दिसंबर को महुआ की सदस्यता रद्द कर दी थी. महुआ को 'अनैतिक आचरण' का दोषी ठहराया था.
इसके बावजूद वो सरकारी बंगला खाली नहीं कर रही हैं. नोटिस के मुताबिक, संसद सदस्यता छिनने के बाद अब वे इस बंगले की पात्र नहीं रहीं इसलिए उन्हें 9B टेलीग्राफ लेन का टाइप 5 बंगला खाली करना होगा. नियम के मुताबिक, बंगला खाली करने के लिए उन्हें एक महीने का समय दिया गया था. हालांकि, इस बीच उन्होंने कोर्ट का भी सहारा लिया था लेकिन वहां से भी राहत नहीं मिली.