Madhya Pradesh

मध्य प्रदेश में अब और टूरिस्ट के साथ-साथ रोजगार भी बढ़ेगा, एमपी को मिलेगा नया टाइगर रिजर्व, जाने कहां होगा बाघों का नया घर

भोपाल
 पर्यटकों के लिए एक बड़ी खबर है। मध्य प्रदेश, जिसे टाइगर स्टेट के नाम से भी जाना जाता है, यहां एक नया टाइगर रिजर्व बनने जा रहा है। राज्य की मोहन सरकार ने रातापानी वाइल्ड लाइफ सेंचुरी को टाइगर रिजर्व बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इसके लिए राज्य स्तरीय वन्यप्राणी बोर्ड से भी अनुमोदन प्राप्त हो चुका है। अब केवल औपचारिकताएं बाकी हैं, और अधिसूचना अगले दो महीनों में जारी की जा सकती है। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने 2011 में ही इस प्रस्ताव को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी थी।

अगले कुछ महीने में हो जाएगा शुरु

अगले कुछ दिनों में मध्य प्रदेश में आठ टाइगर रिजर्व हो जाएंगे। रातापानी वाइल्डलाइफ सेंचुरी को टाइगर रिजर्व बनाने का प्रस्ताव मुख्यमंत्री मोहन यादव की अध्यक्षता वाले राज्य स्तरीय वन्यजीव बोर्ड से पारित हो गया है और अब इसे केंद्र सरकार के पास भेजा जाएगा। वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अगर सब कुछ ठीक रहा तो अगले दो महीनों में रातापानी को टाइगर रिजर्व घोषित करने की अधिसूचना जारी हो जाएगी। इस प्रकार, नागपुर के बाद भोपाल ऐसा दूसरा प्रमुख शहर होगा, जिसमें टाइगर रिजर्व का हिस्सा होगा और पास में ही हवाई अड्डा भी होगा। पीसीसीएफ वाइल्डलाइफ शुभरंजन सेन ने पुष्टि की है कि रातापानी को टाइगर रिजर्व बनाने का प्रस्ताव बोर्ड से मंजूरी प्राप्त कर चुका है। उन्होंने कहा कि 2008 से यह प्रस्ताव विभिन्न कारणों से लंबित था, लेकिन अब केवल औपचारिकताएं ही शेष हैं।

पर्यटन और रोजगार में वृद्धि

टाइगर रिजर्व की औपचारिकता पूरी होते ही पर्यटन में वृद्धि होगी, जिससे स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे। इस निर्णय से मध्य प्रदेश की राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पहचान में वृद्धि होगी, और देश-विदेश से पर्यटक यहां आने लगेंगे। शुभरंजन सेन, पीसीसीएफ वाइल्डलाइफ, मप्र, ने बताया कि रातापानी सेंचुरी के टाइगर रिजर्व बनने से भोपाल की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनेगी। वैश्विक पर्यटन के कारण पर्यटकों की संख्या में वृद्धि होगी और स्थानीय युवाओं और निवासियों को रोजगार के अवसर मिलेंगे।

रातापानी सेंचुरी के टाइगर रिजर्व बनने के होंगे फायदे

रातापानी सेंचुरी की सांस्कृतिक धरोहर से दुनिया परिचित होगी। 2022 की गणना के हिसाब से यहां 56 बाघ, 70 तेंदुआ, 321 चिंकारा, 1433 नीलगाय, 568 सांभर, 667 चीतल, और 8 भेड़िये समेत 3123 वन्यजीव मौजूद हैं। रातापानी टाइगर रिजर्व बनने से भोपाल की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनेगी। वैश्विक पर्यटन के कारण पर्यटकों की संख्या में वृद्धि होगी। भोपाल-औबेदुल्लागंज की अर्थव्यवस्था में सुधार होगा और विदेशी मुद्रा में वृद्धि होगी। भोपाल तक फ्लाइट कनेक्टिविटी का सीधा लाभ पर्यटकों और स्थानीय लोगों को मिलेगा। होटल, रिसोर्ट और होम स्टे योजना से लोगों को आर्थिक लाभ होगा। केंद्र से 60% और राज्य से 40% बजट अलग से मिलेगा। वन्यजीवों की सुरक्षा में वृद्धि होगी। टाइगर रिजर्व बनने से मैदानी अमले का प्रबंधन भी बेहतर तरीके से हो सकेगा। बजट आवंटन बढ़ेगा और वन संबंधी केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाओं को आसानी से लागू किया जा सकेगा।

अलग से मिला करेगा बजट

वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि राज्य स्तरीय वन्यप्राणी बोर्ड का अनुमोदन मिल गया है। सूत्रों की मानें तो रातापानी को टाइगर रिजर्व बनाने का प्रस्ताव 16 साल से लंबित था। अब इसका बनना तय है और केवल औपचारिकताएं ही रह गई हैं। अधिकारियों ने कहा कि नया टाइगर रिजर्व बनने से भोपाल को एक नई पहचान मिलेगी। भोपाल और औबेदुल्लागंज को आर्थिक रूप से फायदा होगा। चूंकि हवाई अड्डा भोपाल में ही है, तो पर्यटकों की संख्या बढ़ जाएगी। इस रिजर्व के लिए केंद्र सरकार 60 फीसदी बजट देगी और राज्य सरकार 40 फीसदी अलग बजट देगी।

मध्य प्रदेश में अब तक 7 टाइगर रिजर्व हैं:

    कान्हा टाइगर रिजर्व, मंडला जिला
    पेंच टाइगर रिजर्व, छिंदवाड़ा और सिवनी जिले
    बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व, उमरिया जिला
    पन्ना टाइगर रिजर्व, पन्ना जिला
    सतपुड़ा टाइगर रिजर्व, नर्मदापुरम जिला
    संजय दुबरी टाइगर रिजर्व, सीधी जिला
    रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व, सागर, दमोह, और नरसिंहपुर जिले