पोर्श कांड मामले में नए खुलासे- अब पुलिस के हाथ लगा सीसीटीवी फुटेज, जिसमे ब्लड सैंपल बदलने को किसे दी गई रिश्वत?
पुणे
पुणे के पोर्श कांड मामले में नए-नए खुलासे हो रहे हैं। अब पुलिस के हाथ अस्पताल का एक ऐसा सीसीटीवी फुटेज लगा है जिसमें अस्पताल के एक कर्मचारी को कथित तौर पर रिश्वत लेते हुए देखा जा सकता है। महाराष्ट्र में पुणे पुलिस को सीसीटीवी फुटेज मिली है, जिसमें ससून जनरल अस्पताल का एक कर्मचारी दिखाई दे रहा है। इस कर्मचारी पर पोर्श कार दुर्घटना में शामिल किशोर चालक के रक्त के नमूने बदलने की साजिश का हिस्सा होने का आरोप है। इस दुर्घटना में दो लोगों की मौत हो गई थी।
क्राइम ब्रांच के एक अधिकारी ने बताया कि येरवडा इलाके में रिकॉर्ड की गई फुटेज में बिचौलिया अश्पक मकानदार को अस्पताल कर्मचारी अतुल घाटकांबले को पैसे देते हुए दिखाया गया है। बिल्डर विशाल अग्रवाल के 17 वर्षीय बेटे द्वारा कथित तौर पर चलाई जा रही पोर्श कार ने 19 मई को तड़के कल्याणी नगर में एक बाइक को टक्कर मार दी थी जिसपर सवार आईटी पेशेवर अनीश अवधिया और अश्विनी कोष्टा की मौत हो गई थी। वे मध्य प्रदेश के रहने वाले थे।
पुलिस के मुताबिक, किशोर शराब के नशे में गाड़ी चला रहा था। यह घटना येरवडा थाना क्षेत्र के तहत आने वाले इलाके में हुई थी। आरोप है कि ससून अस्पताल में किशोर के रक्त के नमूने बदल दिए गए ताकि यह दिखाया जा सके कि उस समय वह नशे में नहीं था। इस मामले में मकानदार और घाटकांबले दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया है। पुलिस ने दावा किया है कि बिल्डर विशाल अग्रवाल द्वारा दिए गए तीन लाख रुपये में से सह-आरोपी डॉ. श्रीहरि हल्नोर ने 2.5 लाख रुपये लिए, जबकि घाटकांबले को 50,000 रुपये मिले। पुलिस ने डॉ. हल्नोर और घाटकांबले से पैसे बरामद करने का दावा किया था।
17 वर्षीय आरोपी की निगरानी गृह हिरासत बुधवार को 25 जून तक के लिए बढ़ा दी। इससे पहले पुलिस ने बोर्ड के समक्ष दलील दी थी कि उसकी अब भी काउंसलिंग की जा रही है और मामले की जांच जारी है। बचाव पक्ष ने हिरासत अवधि बढ़ाने की पुणे पुलिस की याचिका का विरोध किया और बोर्ड से कहा कि नाबालिग को निगरानी केंद्र से रिहा किया जाना चाहिए। एक पुलिस अधिकारी के अनुसार, अभियोजकों ने अपनी हिरासत बढ़ाने की याचिका में जेजेबी को बताया कि किशोर की अब भी मनोवैज्ञानिक काउंसलिंग की जा रही है और उसे निगरानी गृह में ही रखने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि अभियोजन पक्ष ने तर्क दिया कि वे मुकदमे के लिए किशोर को वयस्क के तौर पर मानना चाहते हैं और इस संबंध में औपचारिकताएं पूरी करने के लिए उसे आगे हिरासत में रखने की जरूरत है। अधिकारी ने बताया कि बोर्ड ने पुलिस से किशोर का संरक्षण उसके रिश्तेदारों को सौंपने की बचाव पक्ष की याचिका पर अपना पक्ष रखने को कहा है, क्योंकि उसके माता-पिता दुर्घटना से संबंधित अलग-अलग आरोपों में पुलिस की हिरासत में हैं। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद किशोर न्याय बोर्ड ने किशोर के निगरानी गृह में रहने की समयावधि 25 जून तक बढ़ा दी।