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आगामी लोकसभा चुनाव के लिए मैसूर पेंट्स देगा अपना योगदान

नई दिल्ली
मैसूर पेंट्स एंड वार्निश लिमिटेड को आगामी लोकसभा चुनाव के लिए विभिन्न राज्यों में अमिट स्याही की 26 लाख से अधिक शीशियां उपलब्ध कराने का काम सौंपा गया। यह वही स्याही है जो मतदाता की बायीं तर्जनी (इंडेक्स फिंगर) पर गहरा बैंगनी निशान छोड़ती है। यह स्याही किसी व्यक्ति की बायीं तर्जनी पर इस बात के प्रमाण के रूप में लगाई जाती है कि उसने वोट डाला है। कर्नाटक सरकार का उपक्रम 1962 से केवल चुनाव आयोग के लिए स्याही का निर्माण कर रहा है। मैसूर पेंट्स एंड वार्निश लिमिटेड के प्रबंध निदेशक के मोहम्मद इरफान ने बताया, "हमारा कुल ऑर्डर स्याही की लगभग 26.5 लाख शीशियों का है। आज तक, कुल सामग्री का लगभग 60 प्रतिशत राज्यों को भेज दिया गया है।"

24 राज्यों को उपलब्ध कराई गई अमिट स्याही की शीशी
मोहम्मद इरफान ने बताया कि लगभग 24 राज्यों को उनके हिस्से की स्याही उपलब्ध करा दी गई है। उन्होंने कहा, शेष ऑर्डर 20 मार्च के आसपास पूरा किया जाएगा। स्याही की 10 मिलीलीटर की शीशी का उपयोग लगभग 700 लोगों की उंगलियों पर निशान लगाने के लिए किया जा सकता है। एक मतदान केंद्र पर करीब 1200 मतदाता हैं।

अप्रैल-मई के महीने में होने वाले हैं लोकसभा चुनाव
अप्रैल-मई में होने वाले चुनावों के लिए 12 लाख से अधिक मतदान केंद्र बनाए जाएंगे। स्याही का विकास दिल्ली स्थित औद्योगिक अनुसंधान परिषद-राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला द्वारा किया गया था। अमिट स्याही का निशान आमतौर पर त्वचा पर लगाने पर तीन दिनों तक रहने की उम्मीद होती है, लेकिन नाखून पर कुछ हफ्तों तक रहता है। कोविड-19 का प्रकोप शायद एकमात्र मौका था जब चुनाव आयोग ने गैर-चुनावी उद्देश्यों के लिए स्याही के उपयोग की अनुमति दी थी।

अब प्लास्टिक में होती है स्याही की आपूर्ति
कुछ राज्यों ने महामारी के दौरान होम क्वारंटाइन के तहत लोगों की पहचान करने के लिए इसका इस्तेमाल किया था। इरफान ने कहा, पहले स्याही की आपूर्ति कांच की शीशियों में की जाती थी लेकिन अब प्लास्टिक का उपयोग किया जाता है। चुनाव आयोग के अनुसार, जनवरी में भारत में लगभग 97 करोड़ मतदाता हैं, जिनमें से अधिकतम 15.30 करोड़ से अधिक उत्तर प्रदेश में और न्यूनतम 57,500 लक्षद्वीप में हैं।