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दिल्ली से लेकर असम तक CAA के खिलाफ आंदोलन, पिछली बार गई थी 100 की जान

नई दिल्ली

 असम में नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 (सीएए), के खिलाफ जमकर विरोध हो रहा है। प्रदेश में केंद्र सरकार की खूब आलोचना हो रही है।   अखिल असम छात्र संघ (आसू) और 30 स्वदेशी संगठनों ने सोमवार को गुवाहाटी, बारपेटा, लखीमपुर, नलबाड़ी, डिब्रूगढ़ और तेजपुर सहित राज्य के विभिन्न हिस्सों में विवादास्पद कानून सीएए की प्रतियां जलाई। इसके अलावा असम में 16 दलों के संयुक्त विपक्ष (यूओएफए) ने चरणबद्ध आंदोलन के तहत मंगलवार को राज्यव्यापी हड़ताल की घोषणा की है।

अखिल असम छात्र संघ (आसू) ने केंद्र सरकार के नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को अधिसूचित किए जाने के बाद राज्य में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन करने का एलान किया है। आसू के मुख्य सलाहकार समुज्जल भट्टाचार्य ने कहा कि हमने प्रत्येक जिले में सीएए की प्रतियां जलाने का फैसला किया है। मंगलवार को नॉर्थ ईस्ट स्टूडेंट ऑर्गनाइजेशन (एनईएसओ) की ओर से क्षेत्र के सभी राज्यों की राजधानियों में सीएए की प्रतियां जलाई जाएंगी।

प्रदेश में 16-पक्षीय संयुक्त विपक्षी मंच, असम (यूओएफए) ने चरणबद्ध तरीके से अन्य आंदोलनात्मक कार्यक्रम शुरू करने के अलावा, मंगलवार को राज्यव्यापी हड़ताल की भी घोषणा की। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के अनुसार, अधिनियम के कार्यान्वयन के बाद अतिरिक्त पुलिस कर्मियों की तैनाती के साथ राज्य भर में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है।

बंगाल और असम में चुनावों को प्रभावित करने के लिए है CAA- कांग्रेस

 CAA अधिसूचना पर कांग्रेस महासचिव संचार प्रभारी जयराम रमेश ने कहा, "इस नियम को लाने में उन्हें 4 साल और 3 महीने लग गए। विधेयक दिसंबर 2019 में पारित किया गया था। 3-6 महीने के अंदर कानून बन जाना चाहिए था। मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से नौ एक्सटेंशन मांगे और कल रात नियमों को अधिसूचित करने से पहले 4 साल और 3 महीने का समय लिया। ये सिर्फ ध्रुवीकरण के लिए हैं- बंगाल और असम में चुनावों को प्रभावित करने के लिए। अगर वे इसे ईमानदारी से कर रहे थे तो वे इसे 2020 में क्यों नहीं लाए? वे इसे अब चुनाव से एक महीने पहले ला रहे हैं। यह हेडलाइन मैनेजमेंट है… यह सामाजिक ध्रुवीकरण की रणनीति है…"

 CAA अधिसूचना पर ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक यूथ फ्रंट (AIUDYF) के अध्यक्ष जहरुल इस्लाम बादशाह मे कहा, "यह एक सांप्रदायिक अधिनियम है। हम शुरू से ही इसका विरोध करते आये हैं और आगे भी करते रहेंगे… हमारी पार्टी इसका विरोध करती है। इसके जरिए देशभर में सांप्रदायिक भावनाएं फैलाई जा रही हैं। यह असम की भाषा और संस्कृति को खत्म करने का प्रयास है… हम असाम के निवासी होने के नाते इसका विरोध करते हैं।"

 

थाने में अस्थायी जेल बनाई जा रहीं‎
असम पुलिस सूत्रों के मुताबिक ‎विरोध रोकने के लिए गुवाहाटी में ‎‎जगह-जगह बैरिकेडिंग कर दी गई है। ‎कई थाना क्षेत्रों के खाली परिसरों में ‎‎अस्थाई जेलें बनाई जा रही हैं।‎ राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो इस ‎बार आंदोलन उग्र हुआ तो ये राज्य की‎ सभी 14 लोकसभा सीटों पर असर‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎ पड़ेगा।

पिछले लोकसभा चुनाव में ‎भाजपा 9 सीटें जीती थी। असम में‎ कांग्रेस की अध्यक्षता में बने 16 दलों‎ के संयुक्त विपक्षी मंच ने सीएए के ‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎खिलाफ बड़े आंदोलन की धमकी दी ‎है। मंच के सदस्यों ने गुरुवार को असम ‎के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया से‎ मुलाकात की और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎ के लिए एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें केंद्र‎ सरकार की ओर से असम के लोगों पर‎ सीएए थोपने से रोकने का अनुरोध‎ किया गया है।‎

हाई कोर्ट के फैसले का ध्यान रखें: सीएम‎
सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा, राजनीतिक दलों को‎ सीएए के खिलाफ बंद की घोषणा करने से पहले गुवाहाटी‎ हाई कोर्ट का आदेश ध्यान में रखना चाहिए, अन्यथा उन ‎दलों का रजिस्ट्रेशन रद्द किया जा सकता है। इस पर असम ‎जातीय परिषद के प्रवक्ता जियाउर रहमान ने कहा, हाई‎कोर्ट के आदेश की गलत व्याख्या की जा रही है। जब बात ‎पहचान के संकट की हो तो लोग सड़क पर आएंगे।‎

आसू का आरोप: आंदोलन से रोकने कार्यकर्ताओं से बॉन्ड भरवा रही पुलिस‎
ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन के महासचिव शंकर ज्योति‎ बरुआ  बताया कि सीएए असम के‎ सांस्कृतिक और जनसांख्यिकीय ताने-बाने के लिए खतरा‎ है। यह असमिया जाति के अस्तित्व को खत्म करने की‎ साजिश है।

उन्होंने कहा कि हम इसके खिलाफ लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण‎ढंग से लगातार विरोध-प्रदर्शन करेंगे। साथ ही सुप्रीम कोर्ट में‎ अपील करेंगे। 30 संगठन हमारे साथ हैं। हमें उम्मीद है कि ‎लोग आगे आएंगे। इसलिए सरकार भी अस्थाई जेल बनवा‎ रही है। हमारे कार्यकर्ताओं को थाने में बुलाकर आंदोलन से‎ दूर रहने के लिए बॉन्ड पेपर पर हस्ताक्षर करवाने की कोशिश‎ हो रही है। सबके घरों में नोटिस भेजा गया है।‎

बंगाली हिंदुओं को नागरिकता की कोशिश‎
वरिष्ठ पत्रकार समीर कर पुरकायस्थ कहते हैं कि एनआरसी में‎ नाम नहीं आने से हिंदू बंगाली समुदाय बीजेपी से नाराज है। ‎लिहाजा सीएए के जरिए बंगाली हिंदुओं को नागरिकता देने की‎ कोशिश की जा रही है। अगर असम में हिंदू बंगाली भाजपा के‎ खिलाफ जाते हैं तो पार्टी को इसका नुकसान पश्चिम बंगाल‎ में भी उठाना पड़ेगा। असम में 34% मुसलमान है, जबकि‎70 लाख हिंदू बंगाली है। ये भाजपा का वोट बैंक है।