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अमरनाथ यात्रा में 18 दिनों में 3.38 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने किए बाबा बर्फानी के दर्शन

जम्मू

अमरनाथ यात्रा जारी है और श्रद्धालुओं में यात्रा को लेकर उत्साह भी बरकरार है। जानकारी के अनुसार, यात्रा के शुरू होने के बाद से अब तक 3.38 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने बाबा बर्फानी के दर्शन किए हैं।

वार्षिक यात्रा का प्रबंधन करने वाले श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड (एसएएसबी) के अधिकारियों ने बताया कि 29 जून को यात्रा शुरू होने के बाद से पिछले 18 दिनों में 3.38 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने पवित्र गुफा मंदिर के अंदर दर्शन किए हैं।

अधिकारियों ने बताया कि बुधवार को कड़ी सुरक्षा के बीच 3,740 तीर्थयात्रियों का एक और जत्था अमरनाथ यात्रा के लिए रवाना हुआ। उन्होंने कहा, “आज सुबह 3,740 यात्रियों को लेकर बसें जम्मू के भगवती नगर से घाटी के लिए रवाना हुई है। इस काफिले में सुरक्षा के मद्देनजर दो टीमें भी साथ हैं। इनमें से पहला सुरक्षा काफिला 55 वाहनों में 1,435 यात्रियों को लेकर सुबह 3:05 बजे उत्तरी कश्मीर के बालटाल बेस कैंप के लिए रवाना हुआ।”

उन्होंने बताया कि 72 वाहनों में 2,305 यात्रियों को लेकर दूसरा काफिला सुबह 3:55 बजे दक्षिण कश्मीर के नुनवान (पहलगाम) बेस कैंप के लिए रवाना हुआ है। इस साल की यात्रा शुरू होने के बाद पहली बार अधिकारी बीमार यात्रियों के इलाज के लिए एक अनूठी टट्टू एंबुलेंस सेवा का इस्तेमाल कर रहे हैं।

दरअसल, इस एंबुलेंस सेवा का बालटाल और पहलगाम यात्रा मार्गों पर यात्रियों को ऊंचाई से होने वाली बीमारी या अन्य स्वास्थ्य आपात स्थितियों के लिए किया जाता है। अधिकारियों ने बताया कि इस एंबुलेंस सेवा का इस्तेमाल करते हुए स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टर और पैरामेडिक्स ने अब तक दोनों यात्रा मार्गों पर 1,200 मरीजों का सफलतापूर्वक इलाज किया है।

बता दें कि गुफा मंदिर में एक बर्फ की संरचना है, जो चंद्रमा के चरणों के साथ घटती-बढ़ती रहती है। भक्तों का मानना ​​है कि यह बर्फ की संरचना भगवान शिव की पौराणिक शक्तियों का प्रतीक है। यह गुफा कश्मीर में समुद्र तल से 3,888 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। भक्त पारंपरिक दक्षिण कश्मीर पहलगाम मार्ग या उत्तर कश्मीर बालटाल मार्ग से गुफा मंदिर तक पहुंचते हैं।

पहलगाम-गुफा मंदिर की दूरी 48 किलोमीटर लंबी है और तीर्थयात्रियों को मंदिर तक पहुंचने में चार से पांच दिन लगते हैं। बालटाल-गुफा मंदिर की दूरी 14 किलोमीटर लंबी है और तीर्थयात्रियों को दर्शन करने व बेस कैंप पर लौटने में एक दिन लगता है। इस साल की यात्रा 52 दिनों के बाद 29 अगस्त को श्रावण पूर्णिमा और रक्षा बंधन त्योहारों के साथ संपन्न होगी।

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