लोहारीडीह : मौतों के तांडव से लेकर सरकार के मरहम तक की कहानी… कांग्रेस के दौर में बिरनपुर के मुकाबले लोहारीडीह में विष्णु सरकार का रवैया…
सुरेश महापात्र।
छत्तीसगढ़ में कवर्धा जिले में जमीन विवाद की रंजिश से शुरू हुई समस्या मौत और हत्या से आगे बढ़ते हुए अब व्यापक रूप ले चुकी है। छत्तीसगढ़ में हालिया मॉब लिंचिंग की यह दूसरी बड़ी घटना है। बड़ी बात यह है कि यह मॉब लिंचिंग एक ही समाज के दो समूहों के बीच सामने आई है। पहली घटना सुकमा जिले में टोनही के नाम पर हुई जिसमें पांच लोगों की मौत हुई। बस्तर में अपनी तरह की यह पहली वारदात है। वहीं छत्तीसगढ़ के दूसरे कोने में कवर्धा जिले के लोहारीडीह की यह वारदात छत्तीसगढ़ के लोगों में मानसिक बदलाव और बदले की भावना का एक बड़ा उदाहरण है।
बमुश्किल एक सप्ताह पहले लोहारीडीह में घटनाक्रम शुरू हुआ। सप्ताह भर के भीतर इतनी तेजी से घटनाक्रम हुआ कि सरकार को अब तक का सबसे बड़ा कदम दूसरी बार उठाना पड़ा है। बलौदाबाजार में कलेक्टोरेट में आगजनी की वारदात के बाद वहां के कलेक्टर—एसपी को सरकार ने हटा दिया था। अब कवर्धा में कलेक्टर—एसपी को हटाया गया। एएसपी का निलंबित किया गया। थाना स्टाफ को लाइन अटैच किया गया। अब आज इसी मुद्दे को लेकर कांग्रेस ने प्रदेश व्यापी बंद का एलान किया है।
बवाल मचा हुआ है। प्रशासन का नियंत्रण हादसे दर हादसे के बाद कैसे खत्म होता रहा। आखिर जानलेवा विवाद की जड़ में क्या है? यह अब जानना जरूरी है। बीते रविवार को लोहारीडीह गांव में सुबह एक युवक की लाश पेड़ से लटकी मिली थी। युवक गांव का ही रहने वाला था। इसके बाद ग्रामीणों ने हत्या के शक एक परिवार के 4 लोगों को बंधक बनाया और फिर उनके घर में आग लगा दी।
मामला रेंगाखार थाना क्षेत्र में यकायक घटे इस बवाल की सूचना के बाद SP अभिषेक पल्लव समेत मौके पर पुलिस फोर्स पहुंची। इस दौरान पुलिस वालों को भी पहले रोका गया और एसपी अभिषेक पल्लव के साथ भी झूमाझटकी की गई। उग्र भीड़ ने पुलिस पर भी हमला कर दिया।
SP ने मीडिया को बताया कि, किसी तरह मौके पर हालात कंट्रोल में किए गए। इसके बाद बंधक लोगों में से 3 लोगों को बचाकर भगाया गया। वहीं फूंके गए घर से एक की लाश मिली। आगजनी के दौरान घर में जोरदार धमाका भी हुआ था।
जमीन को लेकर गांव के 2 पक्षों में लंबे समय से विवाद चल रहा था। इस बीच जब युवक की लाश पेड़ पर लटकी मिली। लोहारीडीह निवासी शिवप्रकाश उर्फ कचरू साहू की हत्या के शक में गांव वालों ने उपसरपंच रघुनाथ साहू के घर पर आग लगा दी। रघुनाथ साहू की जिंदा जलने से मौत हो गई।
लोहारीडीह में घर जलाए जाने से मृत उप सरपंच रघुनाथ साहू और शिव प्रकाश साहू के बीच पुरानी रंजिश थी। यह रंजिश राजनीतिक और वर्चस्व को लेकर थी। हादसे के बाद एक हजार की आबादी वाले इस गांव लोहारीडीह में सन्नाटा पसर गया। भयवश लोग गांव से बाहर चले गए। दो तरफा इस लड़ाई के कारण लोहारीडीह के 161 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज है। 70 से ज्यादा की गिरफ्तारी हो चुकी है। शेष गांव छोड़कर फरार हैं।
यहां रघुनाथ के जले हुए घर की आग भले ही बूझ गई हो पर इस दौरान भड़की हिंसा की तपिश बनी हुई है। मृतक उपसरपंच रघुनाथ के घर के चारों तरफ सामान बिखरा पड़ा है साइकिल और बाइक तक फूंक दी गई है। रघुनाथ की मां भगोतिया इस गांव की सरपंच है जबकि रघुनाथ खुद उप सरपंच था।
राजनीतिक तौर पर उपसरपंच रघुनाथ बीजेपी में भी जिला स्तर के महत्वपूर्ण पदों पर रहा। सत्तारूढ़ पार्टी के बड़े नेताओं से भी अच्छे कनेक्शन थे। जिस समय भीड़ ने उप सरपंच के घर पर हमला किया, रघुनाथ घर के अंदर मौजूद था और अपनी जान बचाने के लिए खपरैल वाले कमरे में छिपा हुआ था। भीड़ में शामिल आरोपियों ने कमरा खोलने का प्रयास किया। कमरा नहीं खुला तो आरोपियों ने पेट्रोल छिड़ककर पूरे घर पर आग लगा दी। आगजनी में जिंदा जले उपसरपंच की लाश के अवशेष घटना के 16 घंटे बाद पुलिस ने बरामद किया है।
शिव प्रसाद वह व्यक्ति है जिसकी मौत के बाद यह सब कुछ हुआ। इसकी लाश देखने के बाद ही लोगों में रघुनाथ की भूमिका को लेकर संदेह उठ खड़ा हुआ। फांसी पर लटके मिले शिवप्रकाश के 5 बच्चे हैं। जिनमें 4 लड़कियां और 1 लड़का है। सबसे बड़ी बेटी 14 साल की और सबसे छोटी बेटी 3 साल की है। रघुनाथ साहू की हत्या के आरोप में पुलिस ने शिवप्रकाश की पत्नी और उसके सभी रिश्तेदारों को गिरफ्तार किया।
घटना के दो दिन बाद 17 सितंबर को घटना स्थल में जायजा लेने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पीसीसी अध्यक्ष दीपक बैज लोहारीडीह पहुंचे। गांव के घटनाक्रम को लेकर सवाल खड़ा किया। इस मामले में गिरफ्तार लोगों के बारे में भी जानकारी ली। जानकारी मिली कि करीब 70 ग्रामीणों को पुलिस ने इस मामले में गिरफ्तार किया है। इसके दूसरे ही दिन पुलिस कस्टडी में युवक प्रशांत साहू की मौत की खबर आई। लोहारीडीह में आगजनी, हत्याकांड के बाद प्रशांत और उसके दो भाई व मां को हिरासत में लिया गया था। जिसमें से प्रशांत की मौत पुलिस अभिरक्षा में हो गई।
लोहारीडीह के घटनाक्रम में 18 सितंबर को यह तीसरी मौत दर्ज हो गई। इसके बाद पूरा मामला और भी बिगड़ गया। पुलिस अभिरक्षा में मौत के बाद राज्य सरकार ने अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक आईपीएस विकास कुमार को निलंबित कर दिया गया। सरकार ने प्रशांत साहू की मौत के बाद मृतक के परिवार का 10 लाख रुपए मुआवजा देने की घोषणा की तो प्रशांत की मां ने इसे लेने से इंकार कर दिया।
मृतक प्रशांत के भाई दीपक ने पुलिस द्वारा अभिरक्षा के दौरान सभी के साथ बुरी तरह मारपीट का आरोप लगाते बताया कि प्रशांत को मरते दम तक पीटा गया। कांग्रेस की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पीसीसी अध्यक्ष दीपक बैज दुबारा लोहारीडीह पहुंचे। पीड़ित परिजनों से मुलाकात की और इसके बाद उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा को बर्खास्त करने की मांग करते 21 सितंबर को छत्तीसगढ़ बंद का ऐलान किया।
बरसों पुरानी दुश्मनी
पुलिस और परिजनों के अनुसार शिवप्रकाश और रघुनाथ साहू के बीच सालों पुरानी दुश्मनी थी। 2020 में रघुनाथ पर शिवप्रकाश की पत्नी के आरोपों पर 3 महीने जेल की सजा भी हुई थी। जेल से लौटने के बाद फिर दोनों के बीच बड़ा विवाद हुआ और दोनों के बीच हाथापाई भी हुई थी।
पुलिस ने दोनों आरोपियों पर अलग-अलग धाराओं के तहत कार्रवाई की थी। इसके अलावा गांव में जमीन का विवाद भी चल रहा था। जेल से रिहा होने के बाद रघुनाथ साहू गांव का उप सरपंच बना और उसकी मां गांव की सरपंच बनी। रघुनाथ जहां बीजेपी सपोर्टर था वहीं शिवप्रकाश के लिंक कांग्रेस से थे। पिछली सरकार में बड़े पद में बैठे नेताओं से शिवप्रकाश का कनेक्शन था।
ग्रामीणों ने किया था उपसरपंच के परिवार का बहिष्कार
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बीजेपी समर्थित उपसरपंच रघुनाथ साहू के दामाद सुरेश कुमार साहू ने बताया, कि गांव वालों ने उनके परिवार का 2 साल पहले बहिष्कार कर दिया था। परिवार के किसी भी सदस्य से गांव वाले बातचीत नहीं करते थे। इसकी वजह छेड़खानी वाले केस को बताया जा रहा है, हालांकि रघुनाथ के दामाद के मुताबिक गांव में शराबबंदी कराने की वजह से उन्हें बहिष्कृत किया गया था।
2 माह पहले ही रघुनाथ ने खुद पहल की और फिर 2 लाख रुपए का अर्थदंड भरकर पूरे गांव को भोज कराया और फिर गांव वाले बहिष्कार वापस लेने को तैयार हुए।
भीड़ की अगुवाई कर रहे थे शिव प्रसाद साहू के रिश्तेदार
सुरेश कुमार साहू के अनुसार जिस वक्त भीड़ ने उनके ससुर के घर पर हमला किया, वो उस समय घर पर मौजूद था। सुरेश अपनी सास काे कवर्धा ले जाने के लिए रविवार की सुबह ही पहुंचा था। रघुनाथ ने भीड़ आती देख घर पर मौजूद सभी सदस्यों को छिपने के लिए कहा और खुद छत पर जाकर छिप गया। सुरेश के मुताबिक भीड़ गाली-गलौज देते हुए घर का मेन गेट तोड़कर अंदर दाखिल हुई। भीड़ की अगुवाई विजय साहू, गौकरण साहू, चिंता साहू, नेहरू साहू, गौतम साहू, नरेश साहू, पप्पू साहू और घनश्याम साहू समेत कुछ महिलाएं कर रही थी। इन लोगों ने टीम बनाई और घर पर तोड़फोड़ शुरू कर दी। भीड़ आंगन में दाखिल हुई तो सास भगवतियां बाई उन्हें बैठी नजर आई। भीड़ में मौजूद महिलाओं ने सास को पकड़ा और तब तक मारा जब तो वो बेहोश नहीं हुई।
यह छत्तीसगढ़ में अपनी तरह का पहला मामला है जब गांव के भीतर ही दो समूहों के बीत का टकराव पूरे गांव के लिए जानलेवा बन गया है। यदि देखा जाए तो छत्तीसगढ़ सरकार ने अब तक की सबसे तेज कार्रवाई भी की है। हर स्तर पर जिम्मेदारों की तलाश करते हुए उनके खिलाफ प्रशासकीय कार्रवाई से साफ दिखाई दे रहा है कि इस पूरे मामले की जड़ तक सरकार पहुंचना चाह रही है।
कर्वधा से सटे बिरनपुर में कांग्रेस के दौर में एक साप्रंदायिक घटना में एक युवक की हत्या हो गई थी। इसके बाद कांग्रेस ने बिरनपुर मामले में जिस तरह की चुप्पी साधने का काम किया था उसके विपरित लोहारीडीह में सरकार का रवैया ज्यादा स्पष्ट दिखाई दे रहा है। यह सही है कि प्रशासन और पुलिस को समय रहते ऐसे मामलों में चेतना चाहिए। ताकि जानलेवा अप्रिय स्थिति निर्मित ना हो सके। पुलिस की सबसे बड़ी गलती यही है कि उसका सूचनातंत्र पूरी तरह से विफल रहा। एक गांव में मौत के बाद उपजा आक्रोश इस कदर जानलेवा हो सकता है इसे समझने में भूल निश्चित तौर पर गृह विभाग की सबसे बड़ी नाकामी है। वैसे भी यह क्षेत्र गृह मंत्री विजय शर्मा के साथ—साथ राज्य के उपमुख्यमंत्री का भी है। ऐसे में ज्यादा ऐहतियात की उम्मीद की जानी चाहिए थी।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कांग्रेस के छत्तीसगढ़ बंद की घोषणा के बाद देर शाम जिस तरह से प्रशासनिक कार्रवाई की है। यह उनकी सौम्य छवि के बिल्कुल विपरित है। अब तक जिन्होंने भी विष्णुदेव को देखा है वे अचकचा सकते हैं कि एक जिले के दो जिला अधिकारियों को घटना के लिए जिम्मेदार मानते हुए जिले से हटाना कतई छोटी कार्रवाई नहीं है। थाना स्टाफ, समेत जिला पुलिस के बड़े अधिकारी लोहारीडीह की भेंट चढ़ाए जा चुके हैं। अब जरूरत है जल्द से जल्द यहां शांति स्थापित करने और न्यायिक प्रक्रिया पालन करवाने की है। इन मौतों के लिए जिम्मेदार हर किसी पर कार्रवाई होनी चाहिए। यदि दो लोगों के बीच जमीन का झगड़ा इस तरह से जानलेवा हो सकता है तो राजस्व विभाग की जिम्मेदारी है कि पूरे प्रदेश में ऐसे विवादित मामलों के निपटारे के लिए त्वरित व्यवस्था लागू करे।