वकील छुट्टियों के दौरान काम नहीं करना चाहते हैं, लेकिन लंबित मामलों के लिए कोर्ट को दोषी ठहराया जाता: CJI गवई
नई दिल्ली
बीते 14 मई सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ लेने वाले जस्टिस बी आर गवई ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामलों पर चिंता जताते हुए वकीलों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। CJI गवई ने कहा है कि वकील छुट्टियों के दौरान काम नहीं करना चाहते हैं, लेकिन लंबित मामलों के लिए कोर्ट को दोषी ठहराया जाता है। बता दें कि मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ उस समय भड़क गई, जब एक वकील ने याचिका को गर्मी की छुट्टियों के बाद सूचीबद्ध करने की अपील की।
इस दौरान CJI गवई ने कहा, "पांच न्यायाधीश छुट्टियों के दौरान बैठ रहे हैं और काम करना जारी रख रहे हैं, फिर भी लंबित मामलों के लिए हमें दोषी ठहराया जाता है। असल में वकील ही छुट्टियों के दौरान काम नहीं करना चाहते हैं।" गौरतलब है कि हाल ही में शीर्ष अदालत ने एक अधिसूचना जारी की है जिसके तहत जजों की पीठ आगामी ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान काम भी करेंगी। 26 मई से 13 जुलाई तक चलने वाली अवधि को "पार्शियल कोर्ट वर्किंग डेज" का नाम दिया गया है।
इन आंशिक न्यायालय कार्य दिवसों के दौरान दो से पांच वेकेशन बेंच बैठेंगी। वहीं मुख्य न्यायधीश सहित सुप्रीम कोर्ट के शीर्ष पांच जज भी इस अवधि के दौरान अदालतें लगाएंगे। 26 मई से 1 जून तक सीजेआई गवई, जरिए सूर्यकांत, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस जे के माहेश्वरी और जस्टिस बी वी नागरत्ना क्रमशः पांच पीठों का नेतृत्व करेंगे।
इस अवधि के दौरान शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री सभी अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक खुली रहेगी। रजिस्ट्री सभी शनिवार (12 जुलाई को छोड़कर), रविवार और सार्वजनिक छुट्टियों पर बंद रहेगी। बता दें कि पहले की प्रथा के मुताबिक ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान सिर्फ दो अवकाश पीठ ही हुआ करती थीं और वरिष्ठ न्यायाधीशों की अदालतें नहीं लगती थीं।