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कुमारी शैलजा खुद को बता रहीं CM फेस, हाईकमान की चुप्पी ने और बढ़ा दी कांग्रेस की मुश्किल

हरियाणा
हरियाणा में विधानसभा चुनाव से पहले राज्य कांग्रेस में गुटबाजी चरम पर पहुंच चुकी है। कुमारी शैलजा और भूपिंदर सिंह हुड्डा के बीच टकराव इतना तेज है कि दोनों ही अलग-अलग यात्राएं निकाल रहे हैं। एक तरफ रैलियों में भूपिंदर सिंह हुड्डा के बेटे दीपेंदर हुड्डा को सीएम फेस बताया जा रहा है तो वहीं अब कुमारी शैलजा की यात्राओं में भी उन्हें अगले मुख्यमंत्री के तौर पर बताया जा रहा है। उनके जो पोस्टर आ रहे हैं, उनमें भी वही प्रमुख तौर पर दिखती हैं। उनके अलावा चौधरी वीरेंद्र सिंह नजर आते हैं और रणदीप सुरजेवाला की तस्वीरें हैं, लेकिन प्रदेश अध्यक्ष उदयभान और भूपेंद्र सिंह हुड्डा का नाम नहीं और फोटो नहीं हैं।

फेसबुक, एक्स जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भी कुमारी शैलजा के समर्थक उन्हें अगला मुख्यमंत्री बता रहे हैं। ऐसी स्थिति में भूपिंदर सिंह हुड्डा खेमे से उनका टकराव होना लाजिमी है। एक तरफ भूपिंदर हुड्डा अपने बेटे दीपेंदर हुड्डा को आगे बढ़ाना चाहते हैं तो वहीं दलित नेता कुमारी शैलजा के भी समर्थक बढ़ रहे हैं। लेकिन विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस का दो खेमों में बंटना उसके लिए चिंता बढ़ाने वाला है। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने 5 सीटों पर जीत हासिल की थी और इसके चलते उसके लिए विधानसभा में उम्मीदें बढ़ी थीं। 2014 के बाद पहली बार कांग्रेस खुद को मजबूत मान रही है। ऐसे में कुमारी शैलजा और हुड्डा के गुटों में बंटना उसके लिए मुश्किल भरा होगा।

कुमारी शैलजा ने संदेश यात्रा निकाली है और वह अपने गढ़ सिरसा के अलावा अंबाला, करनाल, कैथल जैसे इलाकों में भी खूब जा रही हैं। हालांकि भूपिंदर हुड्डा गुट संभलकर बात कर रहा है। कुमारी शैलजा ने अपनी यात्रा को उनसे अलग बताया था, लेकिन हुड्डा ने पूछे जाने पर कहा कि उनकी यात्रा अलग नहीं है। अब ताकत की बात करें तो राज्य में जीत हासिल करने वाले कुल 4 सांसद दीपेंदर हुड्डा, जय प्रकाश, सत्यपाल ब्रह्मचारी और वरुण चौधरी ने सीनियर हु़्ड्डा को ही समर्थन दिया है। वहीं कुमारी शैलजा अकेली सांसद हैं। फिर भी उन्हें रणदीप सुरजेवाला और चौधरी वीरेंद्र सिंह का समर्थन हासिल है। दोनों उनके पोस्टरों में दिखते हैं और रैलियों में भी खूब नजर आ रहे हैं।

हाईकमान की चुप्पी ने और बढ़ा दी कांग्रेस की मुश्किल
इनके अलावा प्रदेश का कोई भी नेता उनके पोस्टरों में नहीं दिखता। सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका और मल्लिकार्जुन खरगे जैसे नेताओं को ही जगह दी है। यह बात इसलिए हैरान करने वाली है कि प्रदेश अध्यक्ष उदयभान को भी वह पोस्टर में जगह नहीं दे रहीं। इसके अलावा भूपिंदर हुड्डा तो पूर्व में सीएम रहें हैं। कांग्रेस के स्थानीय नेताओं का कहना है कि इसलिए मुश्किल बढ़ रही है क्योंकि अब तक हाईकमान ने भी रार को थामने का कोई प्रयास नहीं किया है। यदि ऐसी ही स्थिति बनी रही तो फिर विधानसभा चुनाव में मुश्किल होगी क्योंकि भाजपा भले ही झटका खा चुकी है, लेकिन उसके बीच गुटबाजी नहीं दिख रही।