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कोलकाता कांड: सीबीआई ने साइकोएनालिसिस करवाया था, जिसमें चौंकाने वाले खुलासे हुए, जानवरों जैसी प्रवृत्ति है

कोलकाता
कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुए रेप और मर्डर केस को लेकर देशभर में विरोध प्रदर्शन हो रहा है। इस मामले में आरोपी संजय रॉय का सीबीआई ने साइकोएनालिसिस करवाया था, जिसमें चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। सामने आया है कि आरोपी संजय यौन विकृत मानसिकता वाला है और इसमें जानवरों जैसी प्रवृत्ति है। सीबीआई एक्सपर्ट्स ने रॉय के बयानों को भी स्कैन किया और उसे पोस्टमॉर्टम और फोरेंसिक निष्कर्षों से जोड़ने की कोशिश की है।

मिडिया रिपोर्ट के अनुसार, सीबीआई अधिकारियों ने बताया है कि अपराध वाली जगह पर संजय रॉय की मौजूदगी की पुष्टि तकनीकी और वैज्ञानिक सबूतों से हुई है। सीबीआई ने जब मामले को अपने हाथ में लिया, उससे पहले कोलकाता पुलिस ने बताया था कि रेप पीड़िता के नाखूनों के नीचे पाए गए खून और त्वचा पर बने निशान संजय रॉय के हाथों पर लगी चोटों से मैच होते हैं। इस मामले में अब तक हुई जांच की स्टेटस रिपोर्ट सीबीआई सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार तक सौंपेगी।

सीबीआई सूत्रों का कहना है कि आरजी कर से बरामद हुई सीसीटीवी फुटेज में दिखाई दे रहा है कि संजय रॉय आठ अगस्त को सुबह 11 बजे के आसपास चेस्ट डिपार्टमेंट के पास मौजूद था। उस समय पीड़िता चार अन्य जूनियर डॉक्टर्स के साथ वॉर्ड में थी। तब रॉय को वहां से जाने से पहले उन्हें घूरते हुए देखा गया था। पूछताछ के दौरान आरोपी संजय रॉय ने बताया कि वह शाम से पहले ही वॉर्ड में आ गया था। 9 अगस्त को पीड़िता अन्य जूनियर डॉक्टर्स के साथ डिनर करने के लिए गई थी और फिर रात में एक बजे सेमिनार हॉल में वापस लौटी। लगभग ढाई बजे एक जूनियर डॉक्टर हॉल में दाखिल हुआ और पीड़िता ने सोने से पहले उससे कुछ बात की। इसके बाद तड़के सुबह चार बजे रॉय सीसीटीवी फुटेज में फिर से कैद हुआ और जांचकर्ताओं का मानना है कि इसके बाद वह सीधे सेमिनार हॉल में गया, जहां पर पीड़िता सोई हुई थी।
 

सुप्रीम कोर्ट में आज भी हुई कोलकाता कांड की सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट में कोलकाता कांड की गुरुवार को भी सुनवाई हुई। इस दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में महिला डॉक्टर से रेप एवं उसकी हत्या के संबंध में अप्राकृतिक मौत का मामला दर्ज करने में कोलकाता पुलिस की देरी को बेहद परेशानी वाली बात बताया। कोर्ट ने इस घटना के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों से काम पर लौटने को कहा और उन्हें आश्वासन दिया कि काम पर लौटने के बाद उनके खिलाफ कोई प्रतिकूल कार्रवाई नहीं की जाएगी। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने पुलिस द्वारा की गई कानूनी औपचारिकताओं के क्रम और समय पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह बहुत ही आश्चर्यजनक है कि मृत पीड़िता का पोस्टमार्टम, अप्राकृतिक मौत का मामला दर्ज करने से पहले ही नौ अगस्त की शाम छह बजकर 10 मिनट से सात बजकर 10 मिनट के बीच कर दिया गया।