सट्टा कारोबारियों की दबंगई से अब पत्रकार भी नहीं हैं अछूते, नशेड़ी युवाओं को पैसे का लालच दे, सट्टा की खिलाफत करने वालों पर बनाया जा रहा दबाव, कुछ रसूखदार सटोरिए, सत्ताधीशों की आड़ में सट्टाधीश बन गए
इम्पैक्ट न्यूज़ सक्ती 20 जुलाई 23।
नगर के छुटभैये सटोरिए अब सुपारी देकर लोगों के बीच दहसत का माहौल बनाने की कोशिश कर रहें हैं। वहीं सट्टा के खिलाफ बोलने वालों का मुंह बंद कराने का कुत्सित प्रयास भी कर रहें हैं।
ज्ञात हो कि सक्ती नगर में गत डेढ़ दशक से सट्टे का कारोबार काफी ऊंचाईयों पर पहुंच चुका है, 2005 से 2018 तक तो सक्ती नगर के सटोरियों पर कार्रवाई होती थी, वहीं सटोरिए दबे रहते थे, मगर 2018 के बाद से जब से छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का शासन आया सटोरियों के हौसले बुलंद हो गए, कारण यह है कि इनके बीच के कुछ लोग सत्ता के करीबी हैं, यही कारण हैं कि सक्ती में 2018 के बाद से क्रिकेट सट्टा पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इन पौने पांच सालों में सिर्फ कुछ सट्टा मटका के रसूखदारों के प्यादों को पकड़ कर पुलिस अपना पीठ थपथपाती रही है। वही नगर के दो युवा सटोरिए जिनमें से एक के खिलाफ केंद्र की सबसे बड़ी एजेंसी आईटी के अधिकारियों द्वारा भी नामजद एफआईआर करने के लिए थाने में आवेदन तक दिया गया है। लेकिन कार्रवाई नही होने की स्थिति में सटोरियों के हौसले काफी बुलंद हो गए हैं। सूत्रों की मानें तो एक पत्रकार के खिलाफ इन सटोरियों द्वारा 20 हजार की सुपारी नगर के ही आदतन बदमाशों को दी गई है, जिसके संबंध में पुलिस को सूचना भी दी गई है। लेकिन रसूखदार सटोरियों को पकड़ने में पुलिस के भी हांथ पांव फूलते नजर आ रहें हैं। बता दें कि सट्टे से जुड़े समाचार लगातार समाचार पत्रों में प्रकाशित होते रहता है, मगर पुलिस के कानों में जूं तक नहीं रेंगती है। पट्टी सट्टा के अलावा क्रिकेट सट्टा, फुटबॉल सट्टा, कबड्डी सट्टा, सहित राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय खेलों के प्रतियोगिताओं में लाखों करोड़ों के दांव लगवाए जा रहे हैं, वहीं इन सटोरियों द्वारा प्राइवेट बैंकों के माध्यम से ग्रामीणों का खाता खुलवाया जाता है, वहीं खातों से संबंधित सभी दस्तावेज व लिंक मोबाइल नम्बर अपने पास रख लिया जाता है और धड़ल्ले से सट्टे के गोरखधंधे को अंजाम दिया जा रहा है। वहीं विरोध करने वालों या समाचार प्रकाशित करने वालों पर दंबगई दिखाई जाती है और मारपीट तक किया जाता रहा है, लेकिन अब नए सटोरिए तो सुपारी तक देने लगे ऐसी भयावह बातें भी सामने आ रहीं हैं। लोगों की मानें तो अब क्षेत्र की जनता चुटकी लेते हुए कहने लगी है कि नगर में कांग्रेस नहीं, सट्टा कांग्रेस का बोलबाला है, क्योंकि स्थानीय विधायक के आसपास अधिकांश ऐसे कुछ असामाजिक तत्वों को भी देखा जा सकता है। आईटी अधिकारियों के पत्र के बाद भी कार्रवाई नहीं होने से नगर के सटोरियों के हौसले काफी बुलंदी पर है।