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जापान का 58 अरब डॉलर के रेकॉर्ड रक्षा बजट का प्रस्ताव, चीन को मुंहतोड़ जवाब देने की तैयारी

टोक्यो
 जापान ने चीन को मुंहतोड़ जवाब देने की तैयारी शुरू कर दी है। जापान के रक्षा मंत्रालय ने साल 2025-26 के लिए 8.5 ट्रिलियन येन (करीब 58.5 अरब डॉलर) का रेकॉर्ड रक्षा बजट का प्रस्ताव दिया है, जो देश की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करेगा। भारतीय रुपये में यह रकम करीब 4.90 लाख करोड़ रुपये होगी। साल 2024 के बजट अनुरोध के मुकाबले यह 7.4 प्रतिशत अधिक है। 30 अगस्त को जापान के रक्षा मंत्रालय ने रक्षा मंत्री मिनोरू किहारा की उपस्थिति में मंत्रालय की बैठक आयोजित की, जिसमें वित्तीय वर्ष 2025 (FY25) के बजट अनुरोध को मंजूरी दी गई। FY25 जापान के रक्षा निर्माण कार्यक्रम के तहत तीसरा वर्ष है।
इन योजनाओं पर खास फोकस

जापानी रक्षा मंत्रालय ने मिसाइल क्षमताओं को मजबूत करने के लिए 970 अरब येन, एकीकृत हवाई रक्षा और मिसाइल रक्षा नियंत्रण प्रणालियों की क्षमताओं का विस्तार करने के लिए 537 अरब येन और ड्रोन विकास के लिए 103 अरब येन का प्रस्ताव दिया है। जापानी रक्षा मंत्रालय की योजना अंतरिक्ष में भी क्षमता का विस्तार करने की है और इसके लिए 227 अरब येन का अनुरोध किया है। इसके साथ ही साइबर सुरक्षा के लिए 265 अरब येन का अनुरोध किया है।

तीन नई परियोजनाएं

बजट में तीन नहीं परियोजनाएं शामिल की गई हैं। पहली परियोजना का उद्येश्य गैरीसन और अन्य संरक्षित सुविधाओं की दूरस्थ निगरानी के लिए एक प्रणाली विकसित करना है, जिसकी लागत 18 अरब येन है। इसके साथ ही 4.3 अरब येन की एक और परियोजना है, जो गोदाम स्वचालन प्रणाली विकसित करने से संबंधित है, जबकि तीसरी परियोजना के लिए कृत्रिम बुद्धमत्ता का उपयोग करके सप्लाई जरूरतों का पूर्वानुमान लगाने के लिए सिस्टम तैयार करना है। इसके लिए 1.9 अरब येन की जरूरत होगी।

चीन से मुकाबले की तैयारी

रक्षा मंत्रालय के दस्तावेज में तीन नए FFM श्रेणी के विध्वंसक के लिए निर्माण की योजना भी है, जिसकी लागत 314 अरब येन होगी। जापान ने अपनी रक्षा क्षमताओं को ऐसे समय में बढ़ाना शुरू किया है, जब उसके पड़ोस में स्थित पूर्वी चीन सागर में बीजिंग ने अपनी आक्रामक गतिविधियां बढ़ा दी हैं। प्रधानमंत्री किशिदा के नेतृत्व में जापान ने 2027 तक अपने रक्षा खर्च को जीडीपी के दोगुने तक बढ़ाते हुए नाटो के दो प्रतिशत के मानक तक करने का संकल्प लिया है, जो दशकों से चली आ रही शांतिवाद की नीति से द्वीपीय देश का यू-टर्न है।