मौसम के करवट लेते ही इन्फ्लूएंजा वायरस सक्रिय, 2 महीने से 10 साल तक के बच्चों का करें बचाव
अमृतसर
मौसम के करवट लेते ही इन्फ्लूएंजा वायरस सक्रिय हो गया है। इन्फ्लूएंजा वायरस दो महीने से 10 साल के बच्चों को आसानी से अपनी जकड़ में ले रहा है। सरकारी अस्पतालों तथा प्राइवेट डॉक्टर के पास बड़ी तादाद में उक्त वर्ग के बच्चे उपचार के लिए आ रहे हैं। इन्फ्लूएंजा वायरस के लक्षण कोरोना वायरस से मिलते जुलते हैं। अभिभावक यदि उक्त वायरस को हल्के में लेते हैं तो कई बार यह वायरस घातक भी बच्चों के लिए साबित हो सकता है।
जानकारी अनुसार मौसम के करवट लेते ही इन्फ्लूएंजा वायरस तेजी से फैल रहा है। यह वायरस अक्तूबर से मई तक अपना असर दिखाता है। पिछले समय के दौरान कोरोना वायरस भी एकदम तेजी से फैला था तथा तब भी लोगों में जागरूकता की कमी होने के कारण कई मरीजों की जान जा चुकी थी परंतु अब इन्फ्लूएंजा वायरस कोरोना वायरस से मिलते जुलते लक्षणों वाला सामने आने लगा है। इन्फ्लूएंजा जो श्वास मनाली से संबंधित बीमारी को फ्लू भी कहा जाता है। यह ऐसी बीमारी है जो आपको इन्फ्लूएंजा वायरस से होती है। इसके कारण सिर और शरीर में दर्द, गले में खराश, बुखार और सांस संबंधी लक्षण जैसे लक्षण होते हैं, जो गंभीर हो सकते हैं। फ्लू सर्दियों के महीनों में सबसे आम है, जब कई लोग एक साथ बीमार हो सकते हैं। सबसे ज़्यादा मामले (पीक) आमतौर पर दिसंबर और फरवरी के बीच होते हैं। सरकारी मेडिकल कॉलेज के अधीन आने वाले बच्चा विभाग तथा अन्य स्वास्थ्य विभाग के सरकारी अस्पतालों की बात करें तो वहां पर बड़ी तादाद में उक्त लक्षण वाले बच्चे उपचार के लिए अभिभावक लेकर आ रहे हैं। यहां तक कि जिले के प्रसिद्ध छाती रोग विशेषज्ञों के पास भी उक्त लक्षण वाले बच्चे उपचार पाने के लिए आ रहे हैं।
फ्लू तथा सामान्य सर्दी में अंतर
इंडियन मैडीकल एसोसिएशन के टी.बी. कंट्रोल प्रोग्राम के नोडल अधिकारी तथा प्रसिद्ध छाती रोग विशेषज्ञ डॉ. नरेश चावला ने बताया कि फ्लू तथा सामान्य सर्दी के लक्षण एक जैसे हो सकते हैं, जैसे बहती नाक और खांसी, लेकिन सर्दी के लक्षण आमतौर पर हल्के होते हैं और फ्लू के लक्षण गंभीर हो सकते हैं और गंभीर जटिलताओं का कारण बन सकते हैं। अलग-अलग वायरस सर्दी और फ्लू का कारण बनते हैं। कुछ स्वास्थ्य स्थितियाँ आपको फ्लू से गंभीर बीमारी के जोखिम में डाल सकती हैं। इसमें जीवन के लिए खतरा पैदा करने वाली जटिलताएँ शामिल हैं जिनके लिए अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता होती है। अस्थमा, सी.ओ.पी.डी. या अन्य दीर्घकालिक फेफड़ों की बीमारी हो तथा इसके अलावा स्ट्रोक सहित किडनी, लीवर, न्यूरोलॉजिकल, हृदय या रक्त वाहिकाओं की बीमारी इत्यादि वाले मरीज फ्लू की जकड़ में आने से गंभीर अवस्था में पहुंच सकते हैं।
हर वर्ष लाखों बच्चे फ्लू की जकड़ में आते हैं
इंडियन मैडीकल एसोसिएशन के सक्रिय मेंबर तथा प्रसिद्ध मैडीसिन रोग विशेषज्ञ डॉक्टर रजनीश शर्मा ने बताया कि फ्लू के हर वर्ष भारत में लाखों बच्चे जकड़ में आते हैं। इसके अलावा सीज़न में, अमेरिका में लगभग 20 से 40 मिलियन लोग फ्लू की चपेट में आते हैं। इन्फ्लूएंजा वायरस फ्लू का कारण बनता है। इन्फ्लूएंजा ए, बी और सी सबसे आम प्रकार हैं जो लोगों को संक्रमित करते हैं। इन्फ्लूएंजा ए और बी मौसमी हैं, (अधिकांश लोग सर्दियों में इनसे पीड़ित होते हैं) और इनके लक्षण अधिक गंभीर होते हैं। इन्फ्लूएंजा सी गंभीर लक्षण पैदा नहीं करता है और यह मौसमी नहीं है – पूरे वर्ष इसके मामलों की संख्या लगभग समान रहती है।