Madhya Pradesh

इंदौर के बहुचर्चित खुशी कूलवाल आत्महत्या केस की दोबारा होगी जांच, कई बड़े कारोबारी और राजनेताओं की बढ़ सकती है मुश्किलें

इंदौर
खुशी कूलवाल के आत्महत्या केस की फाइल 7 साल के बाद दोबारा खुल गई है. शनिवार को पुलिस आयुक्त संतोष कुमार सिंह ने इस हाईप्रोफाइल केस में दोबारा जांच की इजाजत दे दी है. आरोप है कि आत्महत्या केस में एक पूर्व मंत्री के भाई और कारोबारी का नाम आने के चलते पुलिस ने मामले को दबा दिया था.

इंदौर का बहुचर्चित कांड

इंदौर का बहुचर्चित खुशी कूलवाल आत्महत्या केस हमेशा से सुर्खियों में रहा है. बता दें कि, 37 वर्षीय खुशी कूलवाल ने जुलाई 2018 में होराइजन ओएसिस पार्क महालक्ष्मीनगर के फ्लैट में आत्महत्या कर ली थी. मृतक इंदौर के कई हाई प्रोफाइल लोगों से सीधे तौर पर जुड़ी हुई थी. वह जिले के यशवंत क्लब की सदस्य भी रह चुकी है.

तत्कालीन मंत्री के भाई से जुड़ा रहा मामला

आरोप है कि, पुलिस ने तत्कालीन मंत्री के भाई से मामला जुड़ा होने के चलते बारीकी से जांच पड़ताल नहीं की. जिसके चलते 7 सालों के लंबे इंतजार के बाद दोबारा आत्महत्या की जांच की जा रही है. मृतका के पास से पुलिस ने 3 मोबाइल बरामद किए थे. अब इसकी भी जांच पड़ताल दोबारा से की जा रही है.

मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के बयान के बाद खुली फाइल

दरअसल, कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने जीतू पटवारी के भाई नाना पटवारी पर सीधे आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि “नाना पटवारी के दबाव में एक युवती ने आत्महत्या कर ली थी।” मंत्री के बयान के बाद साल 2018 में कांग्रेस सरकार के समय हुए खुशी कूलवाल आत्महत्या मामले की फाइल एक बार फिर खुल गई है।

युवती के सुसाइड केस में आया नाम

बता दें कि उनका यह बयान ऐसे समय में आया है, जब पटवारी के भाइयों पर जमीन धोखाधड़ी और वसूली (एक्सटॉर्शन) के गंभीर आरोप में नया मामला दर्ज हुआ है। मंत्री विजयवर्गीय ने इस घटनाक्रम को जोड़ते हुए कहा कि “ऐसे लोग पहले भी ताकत का गलत इस्तेमाल कर चुके हैं जब कांग्रेस सरकार थी, एक युवती ने तो इसी दबाव में जान तक दे दी।”

हाईप्रोफाइल पार्टियों में दिखने वाली खुशी ने फ्लैट में लगाई थी फांसी

साल 2018 में यशवंत क्लब की सदस्य और हाईप्रोफाइल पार्टियों में दिखने वाली खुशी कूलवाल ने महालक्ष्मी नगर स्थित फ्लैट में फांसी लगाकर जान दे दी थी। उस समय यह मामला काफी चर्चा में था, लेकिन बाद में जांच ठंडे बस्ते में चली गई। सूत्रों के मुताबिक, उस समय जांच में एक ड्रग्स पैडलर सोहन उर्फ जोजो से पूछताछ में तत्कालीन पूर्व मंत्री जीतू पटवारी के भाई नाना पटवारी का आया था।

अब पुलिस की सक्रियता बढ़ी, अफसरों पर भी आ सकता है शिकंजा

मंत्री के बयान के बाद पुलिस आयुक्त संतोष कुमार सिंह ने केस की फाइल दोबारा खोली है। डीसीपी जोन-2 ने केस डायरी तलब कर पुराने सभी बिंदुओं की समीक्षा शुरू कर दी है। जांच में कुछ ऐसे अफसरों के नाम भी सामने आ रहे हैं, जिन्होंने पहले इस केस को राजनीतिक दबाव में दबा दिया था। अब अगर निष्पक्ष जांच होती है, तो सिर्फ राजनीतिक चेहरों ही नहीं, सिस्टम के भीतर छिपे कुछ अधिकारी भी फंस सकते हैं।

तीन मोबाइल, बयान, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई थी पहले

पुलिस कर्मियों ने उस दौरान कहा था कि खुशी के पास से तीन मोबाइल जब्त हुए थे, जिनकी जांच के बावजूद कोई सुसाइड नोट सामने नहीं आया। ट्रैवल एजेंट, दोस्त और कई परिचितों के बयान लिए गए, लेकिन जिन रसूखदारों का नाम सामने आया, उनके खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। सूत्रों के मुताबिक जांच के दायरे में थे एक आईएएस अधिकारी भी आ सकते हैं। जिन्हें आखिरी बार खुशी के साथ यशवंत क्लब में देखा गया था ।

अब जांच के घेरे में फिर वही चेहरे

अब जब इस केस की फाइल दोबारा खुली है, तो नाना पटवारी समेत उन सभी चेहरों पर सवाल उठ रहे हैं जो उस समय परदे के पीछे थे। मंत्री विजयवर्गीय के इस बयान ने एक बार फिर इस केस को गंभीर मोड़ पर ला खड़ा किया है।

पुलिस कर सकती है कार्रवाई

खुशी कूलवाल के इंदौर के कई हाई प्रोफाइल लोगों से संबंध थे. लेकिन, अचानक आत्महत्या करने का पुलिस खुलासा नहीं कर पाई थी. आरोप है कि उस दौरान पुलिस ने संभवत हाई प्रोफाइल लोगों के दबाव में जांच बंद कर दी थी, लेकिन अब एक बार फिर से इस पूरे ही मामले में पुलिस ने जांच शुरू कर दी है. इससे निश्चित तौर पर आने वाले दिनों में कुछ लोगों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई भी कर सकती है.

एडिशनल डीसीपी राजेश दंडोतिया ने कहा, "जुलाई 2018 में एक महिला ने आत्महत्या कर ली थी. इसकी जांच की जाएगी. जांच में जो तथ्य सामने आएगा, उसी के आधार पर वैधानिक कार्रवाई की जाएगी."