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2023 के वैश्विक विकास में भारत-चीन की रहेगी आधी हिस्सेदारी… एशिया की विकास दर 4.6 प्रतिशत होगी…

इम्पैक्ट डेस्क.

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के अनुसार एशिया-प्रशांत क्षेत्र में वृद्धि दर 2022 में दर्ज 3.8 प्रतिशत से बढकर 2023 में 4.6 प्रतिशत होने का अनुमान है। मंगलवार को जारी अपनी क्षेत्रीय आर्थिक परिदृश्य- एशिया व प्रशांत रिपोर्ट में वाशिंगटन स्थित कोष ने कहा है कि यह क्षेत्र वैश्विक वृद्धि में करीब 70 प्रतिशत का योगदान देगा। रिपोर्ट के अनुसार एशिया और प्रशांत क्षेत्र 2023 में दुनिया के प्रमुख क्षेत्रों में सबसे ज्यादा गतिशील होंगे और इसमें चीन व भारत का सबसे अहम योगदान होगा। आईएमएफ की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस क्षेत्र की इन दो सबसे बड़ी और उभरती अर्थव्यवस्थाओं का इस साल वैश्विक विकास में लगभग आधे का योगदान होगा। शेष एशिया और प्रशांत क्षेत्र बाकी बचे आधे के पांचवें हिस्से का योगदान देंगे।

एशियाई अर्थव्यवस्था की चाल भारत और चीन के विकास से प्रेरित होगी

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘एशिया की गतिशीलता मुख्य रूप से चीन में सुधार और भारत में लचीली वृद्धि से प्रेरित होगी। हालांकि, शेष एशिया में विकास दर 2023 में अन्य क्षेत्रों के अनुरूप सबसे नीचे रहने की उम्मीद है। आईएमएफ ने कहा कि 2023 वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए एक चुनौतीपूर्ण वर्ष प्रतीत होता है क्योंकि वैश्विक विकास में गिरावट आई है। इसका कारण मौद्रिक नीति में सख्ती (ब्याज दरों में लगातार वृद्धि के माध्यम से) और यूक्रेन में रूस के युद्ध का आर्थिक गतिविधियों को प्रभावित करना है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके अलावा लगातार मुद्रास्फीति का दबाव और अमेरिका व यूरोप में वित्तीय क्षेत्र की हालिया समस्याएं पहले से ही जटिल आर्थिक परिदृश्य को कठिन बना रही है। इस बीच प्रौद्योगिकी स्टार्टअप की दुनिया के सबसे प्रमुख उधारदाताओं में से एक सिलिकॉन वैली बैंक दस मार्च को ढह गया। बीते सोमवार को फर्स्ट रिपब्लिक बैंक को भी नियामकों ने सीज कर लिया। ये हालिया घटनाक्रम वैश्विक अर्थव्यवस्था के प्रति और अनिश्चितता पैदा कर रहे हैं।

अमेरिका में कई बैंकों के डूबने से वैश्विक अर्थव्यवस्था पर संकट के बादल मंडराए 

सिलिकॉन वैली बैंक समेत अमेरिका के कुछ क्षेत्रीय बैंकों के डूबने से वैश्विक बैंकिंग उद्योग में हलचल मच गई है। अर्थव्यवस्थाओं पर इसके संक्रमण के प्रभाव की आशंका पैदा हो गई है। एशिया प्रशांत क्षेत्र में विकास को चीन की ओर से कोविड से संबंधित प्रतिबंधों के विस्तार के बाद अपनी अर्थव्यवस्था को फिर से खोलने से भी एक नई गति मिली है। हालांकि, आईएमएफ ने चेतावनी दी कि इस गतिशील दृष्टिकोण का मतलब यह नहीं है कि क्षेत्र के नीति निर्माता आत्मसंतुष्ट होने का जोखिम उठा सकते हैं। आईएमएफ ने कहा, ‘मौद्रिक नीति तब तक सख्त रहनी चाहिए जब तक मुद्रास्फीति लक्ष्य के दायरे में नहीं आ जाती। महंगाई के मामले में चीन और जापान अपवाद हैं, जहां उत्पादन क्षमता से कम है और मुद्रास्फीति कम रही है।