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भारत-ऑस्ट्रिया दोस्ती मजबूत है और आने वाले समय में यह और मजबूत होगी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

नई दिल्ली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने ऐतिहासिक ऑस्ट्रिया दौरे पर हैं। उन्होंने बुधवार को ऑस्ट्रिया के चांसलर कार्ल नेहमर से मुलाकात की और द्विपक्षीय साझेदारी पर चर्चा की। बैठक से पहले मोदी ने कहा कि भारत-ऑस्ट्रिया दोस्ती मजबूत है और आने वाले समय में यह और मजबूत होगी। मोदी दो दिवसीय यात्रा पर मंगलवार शाम मास्को से यहां पहुंचे। यह 40 से अधिक वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की ऑस्ट्रिया की पहली यात्रा है। वर्ष 1983 में इंदिरा गांधी ने ऑस्ट्रिया की यात्रा की थी। पीएम मोदी के साथ चर्चा के दौरान ऑस्ट्रिया के चांसलर कार्ल नेहमर ने एक बेहद पुरानी बात को याद किया। उन्होंने बताया कि कैसे भारत ने उनके देश को एक संप्रभु राष्ट्र बनने में मदद की। उन्होंने कहा, "भारत और ऑस्ट्रिया के बीच बहुत अच्छे संबंध हैं। यह विश्वास का रिश्ता है जो 1950 के दशक में शुरू हुआ था। जब बात शांति समझौते की होती है, तो भारत और ऑस्ट्रिया बहुत महत्वपूर्ण और सपोर्टिव पार्टनर रहे हैं।" उन्होंने आगे कहा, "भारत ने ऑस्ट्रिया की मदद की और 1955 में ऑस्ट्रियाई राज्य संधि के साथ वार्ता सकारात्मक निष्कर्ष पर पहुंची। भारत और ऑस्ट्रिया के बीच जो बात खास है वह यह कि हम भू-राजनीतिक स्थिति के घटनाक्रम को लेकर चिंतित हैं।"

ऑस्ट्रिया की 'आजादी' में भारत का बड़ा हाथ, नेहरू ने ऐसे की थी मदद
1955 में भारत ने ऑस्ट्रिया की मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। यह वह समय था जब द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ऑस्ट्रिया पर चार सहयोगी शक्तियों (अमेरिका, सोवियत संघ, यूनाइटेड किंगडम, और फ्रांस) का कब्जा था। भारत ने ऑस्ट्रिया की आजादी और तटस्थता की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने संयुक्त राष्ट्र (UN) और अन्य अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर ऑस्ट्रिया के समर्थन में जोर दिया। भारत ने यह प्रस्ताव रखा कि ऑस्ट्रिया को एक स्वतंत्र और तटस्थ देश के रूप में स्थापित किया जाए, ताकि वह दोनों विश्व युद्धों के दौरान हुए संघर्षों से बाहर रह सके।

क्या निकला नतीजा?
इसका नतीजा ये निकला कि 1955 में ऑस्ट्रियाई राज्य संधि पर हस्ताक्षर किए गए, जिसने ऑस्ट्रिया की स्वतंत्रता और तटस्थता की स्थापना की। इस संधि ने ऑस्ट्रिया को चारों शक्तियों के नियंत्रण से मुक्त कर दिया और उसे एक संप्रभु राज्य बना दिया। भारत की इस पहल और समर्थन के कारण ऑस्ट्रिया ने स्वतंत्रता प्राप्त की और भारत की तरह ही शांति और तटस्थता की नीति अपनाई।

क्या है ऑस्ट्रियन राज्य संधि?

ऑस्ट्रियन राज्य संधि (Austrian State Treaty) एक महत्वपूर्ण संधि थी जिस पर 15 मई 1955 को वियना में हस्ताक्षर हुए थे। इस संधि ने ऑस्ट्रिया को द्वितीय विश्व युद्ध के बाद चार सहयोगी शक्तियों (संयुक्त राज्य अमेरिका, सोवियत संघ, यूनाइटेड किंगडम, और फ्रांस) के नियंत्रण से मुक्त करा दिया और उसे एक स्वतंत्र, संप्रभु और तटस्थ राष्ट्र के रूप में स्थापित किया। इससे ऑस्ट्रिया को पूर्ण स्वतंत्रता और संप्रभुता प्राप्त हुई, और सभी विदेशी सेनाओं को ऑस्ट्रियाई क्षेत्र से हटने का आदेश दिया गया। ऑस्ट्रिया ने अपनी स्थायी तटस्थता की घोषणा की, जिसका अर्थ है कि वह किसी भी सैन्य गठबंधन का हिस्सा नहीं बनेगा और किसी भी सैन्य संघर्ष में भाग नहीं लेगा। ऑस्ट्रिया पर लगाए गए सभी प्रतिबंध और नियंत्रण हटा दिए गए, जिससे ऑस्ट्रियाई सरकार को अपने मामलों का स्वायत्त रूप से संचालन करने की अनुमति मिली। ऑस्ट्रिया ने युद्ध के दौरान हुए नुकसान की क्षतिपूर्ति के लिए कुछ आर्थिक जिम्मेदारियों को स्वीकार किया और पुनर्निर्माण की दिशा में कदम उठाए। यह संधि ऑस्ट्रिया की स्वतंत्रता और स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण थी और उसने देश को शांति और तटस्थता की नीति अपनाने में मदद की। ऑस्ट्रियन राज्य संधि के कारण, ऑस्ट्रिया एक तटस्थ राष्ट्र के रूप में विकसित हुआ और उसने अपने स्वतंत्रता और संप्रभुता को सुनिश्चित किया।

अमेरिका, सोवियत संघ, यूनाइटेड किंगडम, और फ्रांस का ऑस्ट्रिया पर कब्जा क्यों था?
संयुक्त राज्य अमेरिका, सोवियत संघ, यूनाइटेड किंगडम और फ्रांस ने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ऑस्ट्रिया पर कब्जा किया था। इसका मुख्य कारण था कि ऑस्ट्रिया, नाजी जर्मनी का हिस्सा बन चुका था जब 1938 में एडोल्फ हिटलर ने ऑस्ट्रिया का एन्स्क्लुस (Anschluss) किया था। यहां एन्स्क्लुस का मतलब 1938 में ऑस्ट्रिया के विलय से है। यानी हिटलर ने ऑस्ट्रिया पर खुद का शासन स्थापित कर दिया था। द्वितीय विश्व युद्ध के अंत में, मित्र राष्ट्रों (Allied Powers) ने नाजी जर्मनी यानी हिटलर को हराया और यूरोप के पुनर्निर्माण की योजना बनाई। इस प्रक्रिया में, उन्होंने जर्मनी और उसके अधीनस्थ क्षेत्रों को विभाजित किया ताकि भविष्य में किसी भी प्रकार की नाजी सत्ता का पुनरुत्थान न हो सके और स्थिरता बनी रहे। इस विभाजन के हिस्से के रूप में, ऑस्ट्रिया को चार क्षेत्रों में विभाजित किया गया और इन क्षेत्रों का नियंत्रण संयुक्त राज्य अमेरिका, सोवियत संघ, यूनाइटेड किंगडम और फ्रांस को सौंपा गया। यह कब्जा अस्थायी था और इसका उद्देश्य ऑस्ट्रिया को नाजी शासन से मुक्त करना और देश में स्थायी शांति और लोकतंत्र की स्थापना करना था। इस प्रकार, इन चार सहयोगी शक्तियों ने मिलकर ऑस्ट्रिया के प्रशासन और पुनर्निर्माण की जिम्मेदारी संभाली, ताकि देश को स्वतंत्र और तटस्थ राज्य के रूप में पुनः स्थापित किया जा सके।