तलाशी के नाम पर क्या कोर्ट रूम भी खोद देंगे?… घरों पर बुलडोजर चलाने को लेकर भड़का हाई कोर्ट… एसे ‘फिल्मों में होती हैं बुलडोजर चलाने की घटनाएं’…
इम्पैक्ट डेस्क.
गुवाहाटी हाई कोर्ट ने जोर देकर कहा है कि आपराधिक कानून के तहत किसी घर पर बुलडोजर चलाने का प्रावधान नहीं है, भले ही एजेंसी बहुत गंभीर मामले की जांच कर रही हो। असम के नागांव जिले में आगजनी मामले में आरोपी के घर को गिराए जाने का उच्च न्यायालय ने स्वत: संज्ञान लिया। इस मामले की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस आरएम छाया ने सख्त टिप्पणियां कीं। दरअसल, स्थानीय मछली व्यापारी सफीकुल इस्लाम की हिरासत में मौत हो गई थी। इससे गुस्साई भीड़ ने 21 मई को बटाद्रवा पुलिस स्टेशन में आग लगा दी गई थी।
आगजनी की घटना के एक दिन बाद जिले के अधिकारियों ने बुलडोजर का इस्तेमाल करते हुए सफीकुल सहित 6 लोगों के घरों को ध्वस्त कर दिया था। अधिकारियों ने बताया कि हथियारों और ड्रग्स की तलाशी को लेकर यह कार्रवाई की गई। जस्टिस छाया
‘घर की तलाशी के लिए भी लेनी होती है इजाजत’
अदालत ने जोर देते हुए कि एक घर की तलाशी लेने के लिए भी इजाजत लेने की आवश्यकता होती है। चीफ जस्टिस ने सवाल किया कि कल अगर आपको किसी चीज की तलाश होगी तो क्या मेरे कोर्ट रूम को खोद देंगे? उन्होंने कहा कि अगर जांच के नाम पर किसी के घर को गिराने की इजाजत दी गई तो कोई भी सुरक्षित नहीं रहेगा। उन्होंने कहा कि हम एक लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत रहते हैं।
‘फिल्मों में होती हैं बुलडोजर चलाने की घटनाएं’
चीफ जस्टिस ने कहा कि घर को गिराने के बाद एक 0.9 एमएम की पिस्तौल बरामद हुई, हमें यही सरकारी हलफनामे में बताया गया है। जस्टिस छाया ने आशंका जताई कि इसे तो प्लांट भी किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि घरों पर इस तरह के बुलडोजर चलाने की घटनाएं फिल्मों में होती हैं और उनमें भी सर्च वारंट एक्ट से पहले दिखाया जाता है। छाया ने घरों पर बुलडोजर चलाने की घटना को ‘गैंग वार’ की घटना बताया और गृह मंत्रालय को जांच के बेहतर तरीके खोजने का निर्देश दिया।