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नितिन गडकरी का ये सपना सच हुआ तो कार चलाना हो जाएगा इतना सस्ता… जानिए क्या है मास्टर प्लान?…

इम्पैक्ट डेस्क.

रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाईवे मिनिस्टर नितिन गडकरी कई अलग-अलग मिशन को पूरा करने में जुटे हुए हैं। इस लिस्ट में एक मिशन ग्रीन हाइड्रोजन का भी है। ऑप्शनल फ्यूल पर जोर देने वाल गडकरी ने इंजीनियर्स और प्रोफेशनल्स के लिए हुई नेशनल कॉन्फ्रेंस में एक बार फिर इसका जिक्र किया। उन्होंने कहा कि उनका सपना भारत में कम से कम 1 डॉलर (लगभग 80 रुपए) प्रति किलोग्राम के हिसाब से ग्रीन हाइड्रोजन उपलब्ध कराना है। यदि ऐसा होता है तो कार को चलाना बेहत किफायती हो जाएगा। साथ ही, पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों से भी निजात मिलेगा।

एक रिपोर्ट के मुताबिक, गडकरी ने कहा कि ग्रीन हाइड्रोजन को पेट्रोलियम, बायोमास, ऑर्गेनिक वेस्ट और सीवेज के पानी से बनाया जा सकता है। इसका इस्तेमाल एविएशन (विमान), रेलवे और ऑटो इंडस्ट्री समेत कई क्षेत्रों में किया जा सकता है। टोयोटा मिराई हाइड्रोजन से चलने वाली कार है। ये हाइड्रोजन से एक टैंक फुल कराने के बाद 650 किमी तक जा सकती है।

ऐसे काम करती है हाइड्रोजन कार
ये एक इलेक्ट्रिक कार ही है। इसे चलाने के लिए जो इलेक्ट्रिसिटी चाहिए होती है, वो इसमें लगे हाइड्रोजन फ्यूल सेल से जेनरेट होती है। ये फ्यूल सेल वायुमंडल में मौजूद ऑक्सीजन और इसके ईंधन टैंक में भरे हाइड्रोजन के बीच केमिकल रिएक्शन कराकर बिजली पैदा करते हैं। केमिकल रिएक्शन से इन दोनों गैस के मिलने से पानी (H2O) और इलेक्ट्रिसिटी जनरेट होती है। इसी इलेक्ट्रिसिटी से कार चलती है। जबकि इसमें लगी पावर कंट्रोल यूनिट एक्स्ट्रा बिजली को कार में लगी बैटरी में स्टोर के लिए भेज देती है।

1 लीटर पेट्रोल 1.3 लीटर इथेनॉल के बराबर
इवेंट के दौरान गडकरी ने अल्टरनेटिव फ्यूल के रूप में इथेनॉल पर भी जोर दिया। उन्होंने खुलासा किया कि इथेनॉल की कीमत 62 रुपए प्रति लीटर है। जबकि कैलोरी वैल्यू के मामले में 1 लीटर पेट्रोल 1.3 लीटर इथेनॉल के बराबर है। यानी इथेनॉल के लिए कैलोरी वैल्यू पेट्रोल से कम था। इंडियन ऑयल ने रूसी वैज्ञानिकों के साथ मिलकर दो ईंधनों को कैलोरी मान देने के लिए प्रौद्योगिकी विकसित करने के लिए काम किया था। गडकरी ने कहा कि पेट्रोलियम मंत्रालय ने अब इस टेक्नोलॉजी को सर्टिफाई कर दिया है।

यूएस के बराबर लाएंगे रोड इंफ्रास्ट्रक्चर
गडकरी ने कहा कि 2024 खत्म होने से पहले भारतीय सड़क इंफ्रास्ट्रक्चर को संयुक्त राज्य अमेरिका के बराबर बनाने के अपने लक्ष्यों को भी हासिल करना है। उन्होंने यह भी कहा कि देश में हरित वैकल्पिक सामग्री का उपयोग करने सहित बुनियादी ढांचे के विकास और प्रौद्योगिकी में जबरदस्त क्षमता है। उन्होंने वेस्ट से वेल्थ बनाने के अपने आइडिया को दोहराते हुए कहा, “नागपुर में हम सीवेज के पानी को रीसाइकल कर रहे हैं। इसे पावर प्रोजेक्ट के लिए राज्य सरकार को बेच रहे हैं। इससे हमें हर साल 300 करोड़ रुपये की रॉयल्टी मिल रही है। भारत में सॉलिड और लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट में 5 लाख करोड़ रुपये की बड़ी संभावना है।